अमानक प्लास्टिक हमारे जीवन को जहरीला कर  पर्यावरण प्रदूषित कर रहा – जनपरिषद अध्यक्ष डॉ बटवाल

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अमानक प्लास्टिक हमारे जीवन को जहरीला कर  पर्यावरण प्रदूषित कर रहा – जनपरिषद अध्यक्ष डॉ बटवाल

अखिल भारतीय साहित्य परिषद की पर्यावरण काव्य संगोष्ठी सम्पन्न 
(मीडियावाला न्यूज )
मंदसौर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई की पर्यावरण काव्य संगोष्ठी जन परिषद चैप्टर अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल के मुख्य आतिथ्य, पूर्व प्रेस क्लब अध्यक्ष ब्रजेश जोशी के विशेष आतिथ्य, भजन गायक नरेन्द्रसिंह राणावत, गीतकार नन्दकिशोर राठौर, कवि अजय डांगी, अध्यक्षता नरेन्द्र भावसार,  गीत गायिका स्वाति रिछावरा, रेकी ग्रेण्ड मास्टर श्रीमती चंदा डांगी, सुत्रधार नरेन्द्र त्रिवेदी, गायक उदयसिंह एवं विडियोग्राफर पूजासिंह के सानिध्य में सम्पन्न हुई।
शहीद हेमू कालानी चौराहा स्थित मेडिपॉइंट सभागृह में आयोजित काव्य एवं पर्यावरण संगोष्ठी में प्रदूषण रोकने के लिये सतत प्रयासरत पर्यावरण प्रेमी श्रीमती चंदा डांगी का सम्मान शाल एवं पुष्पमालाओं से किया गया।
वक्ताओं ने श्रीमती डांगी के पर्यावरण क्षेत्र में किए जा रहे योगदान को सराहा और हर संभव मदद करने के लिए आश्वस्त किया ।
उल्लेखनीय है कि श्रीमती डांगी को प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण योगदान के लिए सम्मानित किया गया है ।
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इस अवसर पर डॉ बटवाल ने कहा कि अमानक प्लास्टिक हमारे जीवन में जहर घोलने का कार्य कर रहा है। प्लास्टिक की थैलियों में दूध, दही, चाय जैसे खाद्य विषाक्त होते जा रहे है और इन्हीं का दैनिक जीवन में उपयोग हमारे लिये बीमारी का निमंत्रण है। डिस्पोजल डायरेक्ट डिजीज़ का कारण बन रहा है इस पर सबको स्व नियंत्रण करने की जरूरत है ।
डॉ घनश्याम बटवाल ने बताया कि तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री कमलनाथ के निर्देशन में जिला स्तर पर पर्यावरण जागरूकता अभियान के लिए सामाजिक और अन्य वरिष्ठ जनों के नेतृत्व में पर्यावरण वाहिनी गठित की गई थी उसके माध्यम से बेहतर कार्य हुए इस अवधारणा पर पुनः कार्य करने की आवश्यकता है ।
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वरिष्ट पत्रकार श्री ब्रजेश जोशी ने कहा कि गणेश उत्सव को देश प्रेेम के जागरूक करने का माध्यम लोकमान्य   बालगंगाधर तिलक ने बनाया था। आज वही गणेशजी की मूर्ति पीओपी बन रही है जो विसर्जन पश्चात् नदियों में प्रदूषण का कारण बन रही है। अतः हमें मिट्टी के गणेश घर में लाना चाहिये जिनका विसर्जन नदियों को प्रदूषित नहीं करेगा।
आपने कहा संस्कृति पर्यावरण धर्म साहित्य और समाज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और बल्कि एकदूजे के पूरक हैं इसका निर्वहन सबको मिलकर करना होगा ।
पर्यावरण को समर्पित श्रीमती चंदा डांगी ने कहा कि घरेलू सामान प्लास्टिक की थैलियों में लाने का प्रचलन बनता जा रहा है जो खाद्य पदार्थों को दूषित करता है। अतः मैंने कपड़े की थैली बनाकर निःशुल्क वितरण का कार्य हाथ में लिया है अभी तक एक लाख से अधिक थैलियां मैं वितरित कर चुकी हूॅॅ आज भी जिसे निःशुल्क थैली चाहिये वह मुझसे प्राप्त कर सकता हैं आप जब भी घर से बाजार जाए कपड़े की थैली साथ ले जाये।
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संगोष्ठी में कवि नरेन्द्र भावसार, नन्दकिशोर राठौर, अजय डांगी ने  पर्यावरण पर कविता सुनाई।, ब्रजेश जोशी ने मंदसौर की बेटी के गुनहगारों की सजा पर कविता ‘‘ये दरिंदों की फांसी नहीं टली, देश की व्यवस्था सूली पे पढ़ी’’ प्रस्तुत की ।
इस अवसर पर नरेन्द्र त्रिवेदी, स्वाति रिछावरा, उदयसिंह ने गीत ‘‘ये जमी गा रही है, आसमां गा रहा है’’ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन नन्दकिशोर राठौर ने किया एवं आभार नरेन्द्र भावसार ने माना।
अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं अन्य संस्थाओं ने श्रीमती डांगी को पौधा भेंट किया ओर सक्रिय कार्य करने के लिए शुभकामनाएं दी।