रशिया और यूक्रेन के बीच का युद्ध अब बडा अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है और यूक्रेन द्वारा इससे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में उठाया जाने के बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस हेग नीदरलैंड्स ने बुधवार को आर्टिकल 41 स्टेट्यूट्स ऑफ इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के अंतर्गत रशिया के विरुद्ध यह आदेश दिया है कि रशिया द्वारा यूक्रेन में की जा रही सैन्य कार्रवाइयों को तुरंत स्थगित किया जावे
यूक्रेन द्वारा रशिया के विरुद्ध जिनोसाइड कन्वेंशन के अंतर्गत केस प्रस्तुत किया गया था जिसमें न्यायालय के जजेस द्वारा दो के विरुद्ध 13 के बहुमत से यह अंतरिम आदेश दिया गया
इस प्रकरण में यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है की अंतरराष्ट्रीय कोर्ट आफ जस्टिस में भारतीय जज जस्टिस दलबीर भंडारी ने भी अपना मत इस आदेश के पक्ष में दिया था जबकि आईसीजे के रशिया तथा चाइना के जज द्वारा इसके विरोध में मत दिए गए।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के अन्य जजों द्वारा सर्वसम्मति से यूक्रेन और रशिया को निर्देशित किया की वे दोनों ही देश अपनी किसी भी कार्यवाही या गतिविधि से विवाद को और ना बढ़ाएं
15 जजों की बेंच ने 7 मार्च को उनके सामने यूक्रेन द्वारा रखे गए तर्कों को सुनकर यह आदेश दिया गया न्यायालय द्वारा इस विषय में भी खेत व्यक्त किया गया की रशिया की ओर से इस न्यायालयीन कार्यवाही में भाग नहीं लिया गया
आदेश की बाध्यता के प्रश्न पर मैं यहां स्पष्ट करना चाहती हूं की यूनाइटेड नेशंस के चार्टर में स्थापित किया गया है कि यूनाइटेड नेशंस के सभी 193 सदस्य उक्त चार्टर में किए गए रेक्टिफिकेशन के आधार पर पार्टी बन जाते हैं यहां पर यह स्पष्ट करना भी आवश्यक हो जाता है कि यूक्रेन और रशिया दोनों ने ही उक्त चार्टर पर हस्ताक्षर किए हैं
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम होकर इसमें अपील का प्रावधान नहीं है इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के पास इससे लागू करवाने का कोई साधन ना होने के कारण संबंधित पक्ष कार इससे यूनाइटेड नेशंस की सिक्योरिटी काउंसिल के माध्यम से उसका पालन कराए जाने की प्रार्थना कर सकते हैं
वर्तमान में रशिया एवं यूक्रेन के मध्य हो रहा युद्ध सिर्फ दो देशों के बीच न रहकर पूरे विश्व को अपने प्रभाव में ले रहा है इस युद्ध की क्या परिणीति होती है यह तो भविष्य ही बता पाएगा वर्तमान में यह तथ्य विचारणीय है की इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत के जस्टिस दलबीर भंडारी द्वारा जो निर्णय दिया गया है वह एक स्वतंत्र निर्णय होकर
निष्पक्ष न्याय की अवधारणा को बल देता है।