सुदर्शन, पांचजन्य, देवी अहिल्या और सुशासन…
यह कार्यक्रम तो निजी था, पर यहां जो विचार व्यक्त हुए वह सार्वभौमिक थे…इसलिए इसके बारे में लिखना मन को संतुष्टि दे रहा है। विचार वह जिन्हें कोई नकार नहीं सकता है और सभी स्वीकार करेंगे, बशर्ते कोई वैयक्तिक विद्वेष न हो। यह कार्यक्रम देवी अहिल्या की त्रिशताब्दी स्मरण पर केंद्रित था और विषय था सुशासन। और मंच पर एक जगह सवालों का जवाब दे रहे थे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनके बाद देवी अहिल्या का सुशासन और वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर विचार रखे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने।
मोहन यादव इन दिनों ‘मध्यप्रदेश के कृष्ण’ विषय पर लगातार ज्ञानवर्धन कर रहे हैं, सो शुरुआत भी इसी विषय से की। उन्होंने बताया कि किस तरह कृष्ण के सांदीपनी आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने के बाद उन्होंने गुरु दीक्षा में गुरु के उस पुत्र को लेकर आए, जिसे प्रभास पाटन क्षेत्र के असुरों ने छह माह की आयु में ही छीन लिया था। तब कृष्ण की उम्र 11 साल थी और उनके पास अस्त्र शस्त्र नहीं थे। तब गुरु के मार्गदर्शन से वह जानापाव परशुराम जी के आश्रम पहुंचे और उन्हें सुदर्शन चक्र प्राप्त हुआ। सुदर्शन से असुरों पर विजय प्राप्त कर उन्होंने गुरु पुत्र को रिहा करवाया। और प्रभास पाटन का राजतिलक पात्र और प्रजापालक योग्य राजा को सौंपा। तब उस राजा ने कृष्ण को पांचजन्य दिया था। और उसके बाद सुदर्शन चक्र और पांचजन्य शंख कृष्ण के पास हमेशा रहे। मुख्यमंत्री ने मुखर होकर सवालों के जवाब दिए। जब उनसे पूछा गया कि पुस्तकालयों में राष्ट्रहित की विचारधारा के लेखकों की पुस्तकों को रखने से सरकार से एक वर्ग बेहद दुखी है। तब उन्होंने खुलकर कहा कि ऐसे लोगों को मैं दुखी करता रहूंगा। तो उन्होंने यह साफ किया कि उद्योगों को आकर्षित करने के लिए वह भारत के दूसरे राज्यों में जा रहे हैं और अब वह अमेरिका, इंग्लैंड, जापान सहित विदेशों का भ्रमण भी करेंगे। और ऐसे उद्योगों को प्राथमिकता देंगे, जो रोजगार बढ़ाने में सहायक हों। और सुशासन विषय पर कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेंशन सेन्टर में आयोजित संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में नदी जोड़ो अभियान से किसानों को सिंचाई के क्षेत्र में बहुत अधिक लाभ होगा। उत्पादन के क्षेत्र में मध्यप्रदेश आने वाले समय में पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ देगा। उन्होंने कहा कि खेती के अलावा पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। प्रदेश में आधुनिक संसाधनों और तकनीक का उपयोग करते हुए सुशासन के क्षेत्र में बेहतर कार्य किया जाएगा। तो उन्होंने साफ किया कि कानून का पालन करना हम सभी का दायित्व है। तुष्टीकरण का युग अब खत्म हो गया है।
वही विष्णु दत्त शर्मा ने देवी अहिल्या के सुशासन का उदाहरण देते हुए यह साफ किया कि मोदी के नेतृत्व में केंद्र और राज्य की सरकारें देवी अहिल्या के स्थापित विचार मानकों पर कार्य कर रही हैं। उन्होंने बताया कि देवी अहिल्या ने धर्म और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। और मध्यप्रदेश और देश की सरकार देवी अहिल्या के पथ पर चलते हुए धर्म-संस्कृति के मार्ग पर आगे बढ़ रही है। चाहे रामराजा लोक हो, चाहे महाकाल लोक या छोटे-छोटे स्थानों पर हो रहे धार्मिक निर्माण कार्य। देवी अहिल्या की न्यायप्रियता का उदाहरण देते हुए उन्होंने वर्तमान भाजपा सरकारों की तुलना इससे की। गरीब, किसान, युवा और महिलाओं के हित में देवी अहिल्या के कार्यों और नीतियों का उदाहरण देते हुए विष्णु दत्त शर्मा ने मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्यों के कार्यों को उसी पथ और विचारों से प्रेरित बताया। पशु-पक्षियों के प्रति देवी अहिल्या की दया भावना से जोड़ते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के गौ संरक्षण और अन्य कार्यों की तुलना की। तो रोजगार को लेकर देवी अहिल्या के कार्यों का उदाहरण देते हुए उन्होंने स्थापित किया कि भाजपा शासित सरकार उसी दिशा में आगे बढ़ रही है।
वास्तव में देवी अहिल्या श्रेष्ठ शासिका थीं और उनका सुशासन मिसाल है। वर्तमान सरकारें उन पर कितनी खरी उतर रही हैं, इस बात को लेकर सहमति-असहमति हो सकती है। पर देवी अहिल्या के काल के इतिहास को दोहराकर कोई भी राजकाज बेहतर सुशासन की श्रेणी में शामिल हो सकता है। ऐसे में कुशाभाऊ ठाकरे हॉल में आयोजित अहिल्या के सुशासन पर केंद्रित आयोजन वाकई सराहनीय रहा, क्योंकि कृष्ण के बारे में सुनना भी संतुष्टि से भर गया और देवी अहिल्या के बारे में जितना सुना जाए, उतना ही कम है। सुदर्शन, पांचजन्य, देवी अहिल्या और सुशासन की बातें जिज्ञासा को शांत करती हैं, तो इनके साथ ही कृष्ण पर चर्चा समग्र रूप से संतुष्टि से भर देती है…।