रविवारीय गपशप: हुण्डई v/s अमीन भाई मैकेनिक
भारत में पैर जमा चुकी बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने ग्राहक संतुष्टि के लिए नये नये प्रयोग किए हैं। ऑनलाइन फीडिंग, व्हाट्सएप पर एआई द्वारा समस्या के समाधान के प्रयोग आदि आदि। ये प्रयोग लुभाते तो हैं, पर सीधी बात करके पुराने समय में जैसी हम अपनी समस्या का निराकरण करा लेते थे, उससे ये कोसों दूर हैं। और तो और नई नवेली चमकदार प्रणालियाँ पर आधारित ग्राहक संतुष्टि के ये प्रयास जमीनी स्तर इसके लिए भारी भरकम रकम वसूल करते हैं और तब भी समस्या का निदान नहीं हो पाता है।
पिछले दिनों जब भोपाल से इंदौर के लिये अपना सामान-असबाब शिफ्ट करने का मौका आया तो मैंने जिओ के फाइबर केबल का कनेक्शन समाप्त करने का सोचा। क्योंकि, इंदौर में मेरे फ्लैट पर पहले से जिओ का कनेक्शन था। मुझे ये जानकर आश्चर्य हुआ कि माय जिओ के ऐप में कहीं भी ये सुविधा नहीं थी। जो हेल्पलाइन नंबर्स थे, उस पर केवल कंप्यूटर बोलता था और रिलोकेशन के अलावा कोई विकल्प ही नहीं आता था। मैंने उज्जैन के अपने पुराने संपर्क के हवाले से इस समस्या का हल ढूँढा और जिओ के भोपाल कार्यालय के भाटिया जी ने इस मामले में मेरी मदद की।
भोपाल में शिफ्ट होने के पहले मेरी हुंडई वरना कार की सर्विसिंग भी ड्यू हो गई थी, जिसके लिए रिकॉर्ड के आधार पर कंपनी से मेरे पास फोन आ रहे थे। मैंने सोचा चलने के पहले इसकी भी सर्विसिंग करा लें। कार में कुछ दिनों से स्टीयरिंग घुमाने पर कर्र-कर्र की हल्की आवाज आ रही थी तो मैंने सोचा सर्विसिंग के बहाने ये भी ठीक हो जाएगी। मैंने कंपनी को सहमति दी तो बाकायदा सुरजीत हुंडई से ड्राइवर कार लेने आ गया। मैंने उसे परेशानी का ज़िक्र भी कर दिया और थोड़ी देर बाद कंपनी से फ़ोन आया कि हम व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बना रहे हैं जिसमें आप शामिल हैं। हम जांच के बाद आपसे एस्टिमेट शेयर करेंगे। मुझे लगा ये तो बढ़िया बात है।
थोड़ी देर बाद मुझे उनके किसी सहायक प्रबंधक का फोन आया कि गाड़ी की मरम्मत का एस्टिमेट ग्रुप पर डाल दिया है। आप ओके करो तो गाड़ी सर्विसिंग में भेजेंगे। मैंने संदेश का अवलोकन किया, तो उसमें स्टीयरिंग के काम का तो ज़िक्र ही नहीं था। मैंने वापस उन महाशय को फोन किया कि जनरल सर्विस तो ठीक है, पर भाई मेरी समस्या का तो कोई हल आपने सुझाया ही नहीं! हुंडई की ओर से अग्निहोत्री जी थे, कहने लगे उसके लिए तो मैंने मैकेनिक से बात की है आपके स्टीयरिंग का पूरा शाफ्ट ही बदलेगा और उसके लिए भी आपको एडवांस में रिक्वेस्ट डालनी होगी। तब कहीं हफ़्ते दस दिन में वो बदल पाएगा। मैंने दरियाफ़्त की कि उसमें कितना धन खर्च होगा, तो अग्निहोत्री जी बोले बत्तीस हज़ार के लगभग रुपये लगेंगे।
खर्च की राशि सुनकर मैं चौंका। मामूली करकराहट ठीक करने में इतने पैसे लग जाएंगे। ये बात हजम नहीं हो रही थी। मैंने कहा अग्निहोत्री जी आपके मैकेनिक ने स्टीयरिंग खोलकर देखा भी है या नहीं? अग्निहोत्री जी बोले मैकेनिक से मैंने बात कर ली है, वह कह रहा है समस्या का हल पूरा स्टीयरिंग शाफ्ट बदलना ही है। आप तो अभी सर्विसिंग करा लो, बाद में देखना। मैंने असमंजस भरे स्वर में कहा ‘भाई मेरे स्टीयरिंग का मामला है, कहीं कोई और दिक्कत हुई तो मुसीबत हो जाएगी। तीन-चार बार बात करने के बाद भी मेरे बार बार कहने पर भी यही जवाब मिला तो मैंने कहा ठीक है सर्विस करके कार वापस कर दो। दूसरे दिन आठ हज़ार रुपए चुकाने के बाद इंजन आयल आदि बदलकर गाड़ी वापस पहुँचा दी गई।
ज़ाहिर है समस्या ज्यूँ की त्यूं थी। मैंने अपने सुबह की सैर के साथी उमेश श्रीवास्तव जी से ज़िक्र किया तो वो बोले अरे आप तो माता मंदिर के पास मैकेनिक अमीन भाई के पास गाड़ी भेज दो, जो ख़राबी होगी सब दुरुस्त हो जाएगी। मैंने अमीन भाई के पास कार भेज दी, शाम तक फोन आ गया कि स्टीयरिंग की मोटर में एक हल्का सा बेयरिंग है जो आवाज कर रहा है। मैंने कहा क्या उपाय है? अमीन भाई बोले कुछ नहीं लड़का भेजा है, हमीदिया रोड पर, कल तक गाड़ी दे देंगे। भगवान जाने कौन सा बेयरिंग था, जिसे घिस-घिसाकर अमीन भाई ने फिट किया और दूसरे दिन शाम को बिना आवाज के दुरुस्त हुए स्टीयरिंग के साथ कार घर आ गई।
मैंने संकोच के साथ पूछा ‘अमीन भाई पैसे कितने हुए? अमीन का जवाब सुन मुझे यक़ीन ही नहीं हुआ। वो कुल जमा सोलह सौ रुपये माँग रहे थे। मैंने तुरंत उनकी रकम अदा की और फिर सुरजीत हुंडई के ज़िम्मेदार लोगों की जमकर खबर ली कि देखिए कंपनी के नाम पर आपके लोग ग्राहकों को कैसे चूना लगा रहे हैं। सुरजीत हुंडई की ओर से उनके मैनेजर योगेश घर भी आए, कार चेक की और बोले आप गाड़ी हमारे सर्विसिंग स्टेशन भेज दें, हम चेक करना चाहेंगे कि खराबी कैसे दुरुस्त हुई। मैंने मुस्कुरा कर कहा उसके लिए तो अब अमीन भाई की इजाज़त लगेगी।