
रविवारीय गपशप : महाकाल दर्शन: जब सीएसपी को मांगनी पड़ी माफी
आनंद शर्मा
पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों का साथ चोली दामन का होता है , पर कई बार कुछ लोगों के ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार से इन आपसी रिश्तों में दरार आने लगती है तब ज़रूरत होती है किसी ऐसे शख़्स की जो धैर्य से सबको सम्भाले और वापस अनुराग की धारा बहा दे , इसी बात से जुड़ी एक पुरानी घटना याद आ रही है । सन् 1996 में उज्जैन जिले में अनुविभागीय अधिकारी उज्जैन के पद पर मेरी पदस्थापना श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में हुई एक दुर्घटना के बाद हुई थी , जिसमें हुई एक भगदड़ के दौरान 34 लोगों की मृत्यु हो गई थी । इस त्रासदी के बाद प्रशासन और पुलिस के सभी अधिकारी बदल दिए गए और एक न्यायिक जाँच आयोग का गठन किया गया । प्रारम्भिक जाँच में ये पाया गया कि भीड़ के प्रबन्धन की कमी से ये हादसा हुआ था , नतीजतन फ़ौरी तौर पर कलेक्टर-एस.पी. के साथ जिले के सभी प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की बैठक में ये तय किया गया कि व्ही.आई.पी. दर्शनों पर फ़िलहाल रोक रहेगी और जो भी दर्शन करना चाहे उसे लाइन लग कर ही दर्शन करना पड़ेगा । पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों यहां तक की जिले के कलेक्टर और एसपी भी अपनी पत्नियों के साथ लाइन में लग कर दर्शन कर रहे थे । पर्व पर आने वाले विशिष्ट अतिथियों को भी आगमन के पूर्व व्यवस्था की जानकारी दे दी जाती थी। श्रावण के सोमवारों पर मंदिर में दर्शनार्थियों की संख्या बहुत बढ़ जाया करती थी , इसलिए उक्त निर्णय के बाद हर प्रवेश स्थल पर पुलिस के अधिकारियों के साथ राजस्व अधिकारी भी बतौर कार्यपालिक मजिस्ट्रेट तैनात किए जाने लगे ।
सब कुछ ठीक चल रहा था , इस बीच सोमवार के साथ नागपंचमी का त्योहार आ गया । मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार उज्जैन के तहसीलदार श्री शिव कुमार दुबे की ड्यूटी लगी थी , दो दिन और दो रातों की लगातार ड्यूटी के बाद सुबह के समय हम अपने घरों को जाने लगे तो मैंने पाया मंदिर के मुख्य द्वार पर कुछ गहमा गहमी का माहौल था । पता किया तो दुबे जी कहने लगे , सर आप लोगों के निर्देश हैं कि बिना लाइन में लगे दर्शन नहीं करेंगे , पर अभी अभी शाजापुर जिले में पदस्थ एक डीएसपी साहब आकर जबरदस्ती अंदर चले गए हैं , मैंने रोका तो मुझे भी भला बुरा कहने लगे । लोगों ने बताया कि ये महाशय अभी कुछ दिनों पहले उज्जैन में ही सीएसपी थे और अब स्थानांतरण पर शाजापुर पदस्थ हो चुके थे । चूँकि वे ड्यूटी पर भी नहीं थे तो उनका इस तरह अनधिकार प्रवेश सर्वथा अनुचित था तो मैंने दुबे जी को ठंडा करते हुए कहा कि “कोई बात नहीं आप बाद में लिखित में देना , अपन कार्यवाही के लिए भिजवा देंगे “। इतना कह के मैं अपनी जीप में बैठ कर निकल ही रहा था कि वे सीएसपी दर्शन कर वापस लौटे और पुनः दुबे जी से बदतमीजी करने लगे । मैं जीप से उतर कर वापस आया तब तक सीएसपी अपनी जीप से बैठकर निकल गए ।
दूसरे दिन सुबह दुबे जी मेरे घर आए और कहने लगे , सर आपने घटना के बारे में लिख कर देने का कहा था तो बताइए क्या करें ? आप कहें तो बात को जाने देते हैं । मैंने कहा नहीं दुबे जी आपका अपमान हम सब का अपमान है , आप लिखित में घटना का ब्योरा मुझे दें , मैं कलेक्टर को लिखूँगा कि वे कड़ी कार्यवाही करें । हमने कार्यवाही के लिए पत्र लिखा तो कलेक्टर ने उसे एसपी को भिजवा दिया । बात फैली तो महाकाल पुलिस थाने में सीएसपी ने शिकायत दर्ज करा दी कि तहसीलदार ने उससे जाति सूचक शब्दों के साथ अपशब्दों का प्रयोग किया था । कलेक्ट्रेट के बाकी साथियों को इसका पता लगा तो और रोष फ़ैल गया , संयोग से उस क्षेत्र के सीएसपी मेरे बड़े गहरे मित्र थे तो मैंने उन्हें फोन कर इस बाबत पूछा तो वो कहने लगे “क्या करें , इतने जिम्मेदार अधिकारी ने शिकायत की है तो जाँच करनी पड़ेगी आख़िर एससी एसटी एक्ट का मामला है ।” मैं समझ गया कि ये मामले को ग़ैरक़ानूनी तौर पर दबाव डाल कर निबटाने का प्रयास हो रहा है । मैंने एडीएम से बात की और हम सभी राजस्व अधिकारी एक साथ कलेक्टर के पास पहुंचे । चेम्बर में एसपी और कलेक्टर एक साथ ही बैठे थे । हम सभी बड़े तैश में थे , मैंने कहा सर इन परिस्थितियों में अब हम पुलिस के अधिकारियों के साथ ड्यूटी नहीं करेंगे । एसपी श्री डीएम अवस्थी जी जिले में नए नए आए थे , वे बड़े धीरज से हमारी बात सुनते रहे , फिर बोले बेवजह की शिकायतों पर आप लोग ध्यान न दो बिना वजह किसी पर कोई एक्शन न होगा पर यारों मैंने अभी अभी जिला सम्हाला है , आप लोग ऐसी बात करोगे तो मैं कैसे काम करूँगा । हम सब इस व्यवहार से थोड़े ठंडे हुए पर हममें से कुछ ने कहा सर आपका कोई दोष नहीं है लेकिन जो दुर्व्यवहार करने वाला अधिकारी है उसे अपने किए पर अफ़सोस तो होना चाहिए । दोनों अधिकारियों ने आपस में कुछ देर बात की और अगली सुबह हमे ऑफ़िस बुलवाया । दूसरे दिन सुबह जब हम ऑफिस पहुंचे तो वे सीएसपी भी ऑफिस में थे , सीएसपी ने सबके सामने अपने व्यवहार के लिए दुबे जी से और हम सब से माफ़ी माँगी और आइंदा ऐसा न करने का वादा किया । हम सब ने आपस में बात की और बात वहीं ख़त्म करने का निर्णय ले लिया और बिना वजह एससी एसटी एक्ट के बिना पर की गई शिकायत भी अपने आप नस्तिबद्धों हो गई ।





