रविवारीय गपशप :टेनिस कोर्ट और इलेक्शन ऑब्जर्वर की दरियादिली!
कुछ दिनों पहले जब अख़बार में ये खबर छपी कि टेनिस खेलने वाले लोगों की औसत उम्र बाक़ी लोगों से ज़्यादा होती है तो मैंने खुश होकर अपने बेटे को ये खबर बताई , पर मेरे बेटे ने मेरी ख़ुशी पर पानी फेरते हुए कहा पापा इस खेल को समाज के संपन्न लोग ही खेलते हैं इसलिए वे जीते भी ज़्यादा हैं । बहरहाल टेनिस खेलने से जीवन लंबा होता है या नहीं इसका तो पता नहीं पर इतना ज़रूर है कि चाहे टेनिस हो अथवा अन्य कोई भी खेल , उसे खेलने से जीवन में ज़िंदादिली भरपूर आ जाती है ।
भोपाल में अरेरा क्लब में सुबह के समय टेनिस के खिलाड़ियों का जो परस्पर संवाद और हँसी मज़ाक़ का वातावरण होता है वो पूरे दिन को एक अनोखी ऊर्जा से भर देता है । पिछले दिनों अरेरा क्लब के टेनिस खिलाड़ियों के व्हाट्सएप ग्रुप में अजय नाथ साहब ने एक पोस्ट डाली जिसका लब्बोलूवाब ये था कि इन दिनों टेनिस कोर्ट में खिलाड़ियों को होने वाली चोटों को ध्यान में रखते हुए क्ले कोर्ट ज़्यादा बनाने चाहिए । इस पोस्ट से मुझे एक पुराना क़िस्सा याद आ गया ।
राजगढ़ में जब मैं कलेक्टर पदस्थ हुआ तो अपने सरकारी कामकाज की ज़िम्मेदारी सम्भालने के तुरंत बाद जब मैंने खेलने की कोई व्यवस्था ढूँढनी शुरू की तो पता लगा कि राजगढ़ में तो बड़ा पुराना ऑफ़िसर्स क्लब है जिसमें टेनिस कोर्ट भी है । शाम को क्लब जाकर देखा तो उसकी हालत बड़ी दयनीय थी । क्लब की बिल्डिंग जीर्णशीर्ण हो रही थी और दीवारों से पपड़ियाँ गिर रही थीं । दूसरे दिन ही मैंने ज़िले में पदस्थ साथियों को इकट्ठा किया और क्लब की हालत दिखाते हुए अनुरोध किया कि हम सब चंदा भी इकट्ठा करें और खेलों में हिस्सा लें । जल्द ही सारे इंतज़ाम हो गये और थोड़े ही दिनों में क्लब की रौनक़ लौट आई ।
राजगढ़ के क्लब का सबसे बड़ा आकर्षण था उसका क्ले कोर्ट जो स्टेट टाइम का था और इस पर ही हम लोगों ने टेनिस खेलना आरंभ किया पर इसमें चार चाँद लगे विधान सभा चुनाव के समय जब हैदराबाद से रेड्डी साहब बतौर ऑब्ज़र्वर पधारे । श्री रेड्डी आंध्र प्रदेश कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी थे और राजगढ़ विधान सभा के लिए प्रेक्षक बनाये गये थे । रेड्डी जी मुख्यालय के सर्किट हाउस में रुके और हम लोगों के साथ शाम को टेनिस में हाथ आज़माने लगे । रेड्डी साहब टेनिस के शौक़ीन खिलाड़ी थे , पहले ही दिन खेलने के बाद बोले आपका क्ले कोर्ट डेड हो रहा है इसको सुधारना पड़ेगा । चुनाव में ऑब्ज़र्वर ऐसा प्राणी होता है जिसे हम प्रसन्न ही रखते हैं , तो मैंने पूछा बताइए मैं क्या कर सकता हूँ । रेड्डी साहब बोले कुछ नहीं आप पी.डब्ल्यू.डी. के ई.ई. को भेज दीजिये और कुछ दिन खेल बंद रहेगा इतना सब्र कर लीजिए । मैंने ई. ई. साहब को दूसरे दिन समझा कर रवाना कर दिया । रेड्डी साहब ने पूरा कोर्ट खुदवाया फिर उसमें इंजीनियर साहब से कह के इतने इंच मिट्टी , इतने इंच मुरम इतनी बारीक गिट्टी और ना जाने क्या क्या डलवाया । सभी परतों को पानी से सींचा गया , उस पर भारी रोलर घुमाया गया और फिर जब क्ले कोर्ट तैयार हो गया तो इंदौर से जाकर रेड्डी साहब कोर्ट में रौशनी के लिए नई एल.ई.डी. लाइट्स ले आये । लाइट कितनी ऊँचाई और कितनी दूरी पर लगेंगी इसे उन्होंने अपने सामने ही तय किया । एक सप्ताह बाद जब हम साथी खेलने गये तो कोर्ट की रंगत बदली हुई थी और उसमें मानो नई जान आ गई थी । मैं तो साधारण खिलाड़ी था पर गुप्ता जी जैसे स्टेट प्लेयर बोले अब ये टूर्नामेंट कराने लायक़ मैदान हो गया है । मैंने क्लब के सचिव और हमारे एस.डी.एम. रामप्रकाश जी से कहा बाक़ी तो सब बढ़िया है पर रेड्डी साहब जो इंदौर जाकर लाइट ले आये हैं उसका क्या करें ? रामप्रकाश ने कहा क्लब के चंदे से रेड्डी साहब को खर्च की गई रक़म लौटा देते हैं । मैंने सहमति व्यक्त की तो रामप्रकाश ने तुरंत निर्देशों का पालन कर दिया , पर हम तब आश्चर्य से भर उठे जब उन्होंने क्लब में बॉल पकड़ने वाले किशोर वय बच्चों ( बोलबॉय्स) को नये जूते और टी-शर्ट दिलवा दी । चुनाव के बाद रेड्डी साहब को हमने पार्टी देकर विदा तो कर दिया पर जब भी टेनिस का खेल होता हम सब उनको दिल से याद करते ।