Supreme Court’s Decision on Marriage : हिंदू विवाह में प्रमाण पत्र के साथ सारे रीति रिवाज भी जरूरी, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!

विवाह एक संस्कार है, समाज में इसे महान मूल्य की संस्था के रूप में स्थान दिया जाना जरूरी!

741

Supreme Court’s Decision on Marriage : हिंदू विवाह में प्रमाण पत्र के साथ सारे रीति रिवाज भी जरूरी, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!

New Delhi : हिंदू विवाह पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के तहत शादी की कानूनी आवश्यकताओं और परिवत्रता को स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा कि यह एक संस्कार है, कोई लेन-देन नहीं। इसलिए इसके लिए सिर्फ प्रमाण पत्र काफी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म में सात फेरे और अन्य रीति रिवाज जरूरी हैं। हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 8 के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और सेक्शन 7 के तहत हिंदू रीति रिवाज से शादी होना भी उतना ही जरूरी है।

कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 8 इस बात का प्रमाण है कि दो लोगों ने सेक्शन 7 के तहत सभी रीति रिवाजों के साथ शादी की। जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मैसी की बेंच ने फैसले में कहा कि अगर भविष्य में कोई जोड़ा अलग होना चाहता है, तो उस समय शादी के दौरान हुए रीति रिवाजों की तस्वीरें प्रमाण के तौर पर पेश करना जरूरी होता हैं।

शादी का महत्व कोर्ट ने बताया

बेंच ने कहा कि शादी कोई व्यावसायिक लेनदेन नहीं है। एक महिला और पुरुष के बीच एक रिश्ता कायम करने के लिए एक जरूरी प्रक्रिया है, ताकि दोनों मिलकर एक परिवार बनाएं, जो भारतीय समाज की बेसिक इकाई है। कोर्ट ने कहा कि विवाह एक संस्कार है और समाज में इसे महान मूल्य की संस्था के रूप में स्थान दिया जाना चाहिए। हम युवा लड़के-लड़कियों से आग्रह करते हैं कि शादी करने से पहले इसके बारे में गहराई से सोचें कि भारतीय समाज में यह संस्था कितनी पवित्र है।

शादी कोई नाच गाने का आयोजन नहीं

बेंच ने यह भी कहा कि शादी शराब पीने-खाने, नाच-गाने या अनुचित दबाव में दहेज और गिफ्ट लेने-देने का आयोजन नहीं है, जिसकी वजह से आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती हैं। बेंच ने कहा कि हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 8 के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी है और यह इस बात का प्रमाण है कि सेक्शन 7 के तहत हिंदू रीति-रिवाजों के साथ शादी हुई है। सेक्शन 5 में कहा गया है कि सेक्शन 7 के प्रावधानों के अनुरूप रीति रिवाजों के साथ शादी जरूरी है। अगर किसी शादी में इसकी अनुपस्थिति देखी जाती है, तो ऐसी शादी कानून की नजर में हिंदू विवाह नहीं माना जाएगा।