Supreme Court’s Instructions to ED : सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘जब कोर्ट ने संज्ञान ले लिया तो फिर ED आरोपी को गिरफ्तार न करे!’

धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) मामले में अदालत का निर्देश!

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Supreme Court’s Instructions to ED : सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘जब कोर्ट ने संज्ञान ले लिया तो फिर ED आरोपी को गिरफ्तार न करे!’

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक विशेष अदालत द्वारा धन शोधन की शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकता।

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि जब कोई आरोपी किसी समन के अनुपालन में अदालत के समक्ष पेश होता है, तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा। पीठ ने कहा कि यदि आरोपी समन (अदालत द्वारा जारी) के जरिए विशेष अदालत के समक्ष पेश होता है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है।

पीएमएलए की धारा 45 की दोनों शर्तों में कहा गया है कि जब धन शोधन मामले में कोई आरोपी जमानत के लिए आवेदन करता है तो अदालत को पहले सरकारी अभियोजक को सुनने की अनुमति देनी होगी। जमानत तभी दी जा सकती है जब वह संतुष्ट हो जाए कि आरोपी दोषी नहीं है और रिहा होने पर उसके द्वारा इसी तरह का अपराध करने की आशंका नहीं है।

शीर्ष अदालत का फैसला इस सवाल पर सुनाया गया था कि क्या धन शोधन मामले में किसी आरोपी को जमानत के लिए दोहरे परीक्षण से गुजरना पड़ता है। यहां तक कि उन मामलों में भी जहां विशेष अदालत अपराध का संज्ञान लेती है। समन के बाद अदालत में पेश हुए आरोपी को जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है और इस प्रकार पीएमएलए की धारा 45 की दो शर्तें लागू नहीं होती।