
स्वयंप्रकाश ने खुद प्रकाश बनकर समाज से अंधकार हटाने का जयन किया : डॉ ऋतम
Ratlam : शहर के महत्वपूर्ण रचनाकार रहे स्वयंप्रकाश उपाध्याय ने खुद प्रकाश बनकर समाज से अंधकार हटाने का जतन किया। अपनी रचनाशीलता के माध्यम से उन्होंने साहित्य, समाज और अध्यात्म तीनों क्षेत्रों को सकारात्मक वातावरण दिया। उन्होंने आध्यात्मिक साम्यवाद को रचनाशीलता में शामिल कर अपनी जमीन पुख्ता की। यह शहर के लिए प्रेरणादायक रहा। उक्त विचार अंग्रेजी की प्राध्यापक एवं चित्रकार डॉ. ऋतम उपाध्याय ने जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित ‘एक रचनाकार का रचना संसार’ श्रृंखला की आठवीं कड़ी में रतलाम के वरिष्ठ रचनाकार रहें स्वयंप्रकाश उपाध्याय की रचनाओं पर विमर्श करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि इस आयोजन में केंद्रित रचनाकार की रचनाओं की प्रस्तुति शहर के सुधिजन करते हैं और उन पर आपसी विमर्श होता है, यह किसी भी शहर के जीवंत होने का प्रमाण है।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि, अनुवादक प्रोफेसर रतन चौहान ने कहा कि स्वयंप्रकाश जी जमीन से जुड़े रचनाकार रहें। उन्होंने अपने शिक्षकीय जीवन में विद्यार्थियों को साहित्य की बारीकियों से अवगत कराया। उनके जीवन के विविध आयाम रहे।
वरिष्ठ रंगकर्मी ओमप्रकाश मिश्र ने कहा कि स्वयंप्रकाश जी की सहज, सरल शैली प्रभावित करती थी। उन्होंने जैसा जिया वैसे ही लिखा भी। यह उनके जीवन की एकरूपता को दर्शाता है।
जनवादी लेखक संघ अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने कहा कि जनवादी लेखक संघ द्वारा अपने शहर के रचनाकारों को याद करने का सिलसिला प्रारंभ किया गया है जिसको सभी पसंद कर रहे हैं।
आशीष दशोत्तर ने स्वयं प्रकाश उपाध्याय पर केन्द्रित आलेख का पाठ करते हुए उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला।
इन्होंने पढ़ी रचनाएं!
स्वयं प्रकाश उपाध्याय की रचनाओं का पाठ विनोद झालानी, आईएल. पुरोहित, संजय परसाई ‘सरल’, आशा श्रीवास्तव, योगिता राजपुरोहित, पूजा चोपड़ा, डॉ. स्वर्णलता ठन्ना, प्रकाश हेमावत, हीरालाल खराड़ी, जितेंद्र सिंह पथिक, सुभाष यादव, मांगीलाल नागावत, जवेरीलाल गोयल, कला डामोर ने किया। संचालन आशीष दशोत्तर ने किया। आभार जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने माना। इस अवसर पर सुधिजन मौजूद थे।
अगला आयोजन मोहन अंबर पर केन्द्रित रहेगा!
जनवादी लेखक संघ द्वारा हर महीने के दूसरे रविवार को आयोजित होने वाली’ एक रचनाकार का रचना संसार ‘ श्रंखला के तहत जनवरी माह की नौंवी कड़ी रतलाम में रचनारत रहे दिवंगत गीतकार मोहन अंबर पर केन्द्रित रहेगी। यह आयोजन 11 जनवरी को प्रातः 11 भगत सिंह पुस्तकालय शहर सराय, रतलाम पर होगा। जनवादी लेखक संघ ने सुधिजनों से उपस्थिति का आग्रह किया है। उल्लेखनीय है कि इस श्रृंखला में केन्द्रीय रचनाकार की रचनाओं का शहर के सुधिजन पाठ करते हैं और रचनाओं पर विमर्श होता हैं!





