Symposium on A Aware Citizen : आपात स्थितियों में एक सामान्य जागरूक नागरिक के रूप में हमारी क्या जिम्मेदारी है !

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Symposium on  A  Aware Citizen :आपात स्थितियों में एक सामान्य जागरूक नागरिक के रूप में हमारी क्या जिम्मेदारी है  !

मौलिक कर्तव्यों की अवधारणा के अंतर्गत नागरिकों में जिम्मेदारी एवं सामूहिक कल्याण के सार को विकसित करना है। भारतीय संविधान में निहित मौलिक कर्तव्य नागरिकों को अपने देश एवं पर्यावरण के साथ एक सौहार्दपूर्ण एवं उत्पादकपूर्ण संबंध बनाने में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं। मानवता पर युद्ध का ख़तरा मंडरा रहा हैं। कल रात जो स्थिति थी वह सबने देर रात तक देखी। किसी भी संकट के समय में हमें एक सूत्र में बंधे रहना और राष्ट्रीयता का परिचय देना चाहिए ,ऐसी आपात स्थितियों में एक सामान्य जागरूक नागरिक के रूप में हमारी क्या जिम्मेदारीहोनी चाहिए ,अपने परिवार के लिए ,समाज के लिए और देश के लिए -हम एक जागरूक नागरिक है -हमारे कर्तव्य हैं –

  • संविधान का पालन करना तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज तथा राष्ट्रीय गान का सम्मान करना।
  • स्वतंत्रता के लिए राष्ट्रीय संघर्ष को प्रेरित करने वाले महान आदर्शों को संजोना एवं उनका पालन करना।
  • भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना और उनकी रक्षा करना।
  • देश की रक्षा करना और आह्वान किए जाने पर राष्ट्रीय सेवा करना।
  • धर्म, भाषा और क्षेत्रीय या विविधताओं से परे भारत के सभी लोगों में सद्भाव और समान भाईचारे की भावना का प्रचार करना——हमने इस विषय पर विचार आमंत्रित किये ,आइये इस पर बात करते हैं——-
  • संयोजक -रूचि बागडदेव

  • युद्ध से कभी किसी का भला नहीं हुआ है युद्ध में मरते तो दोनों तरफ के लोग हैं,               स्वविवेक से काम करना चाहिए—श्रीमती शोभा रानी तिवारी

आजकल जैसे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के हालात बने हैं, ऐसे में हमें घबराना नहीं है, और न हीं लोगों के अंदर डर पैदा करना है ,बल्कि उनका हिम्मत बढ़ाना है ,और ऐसे व्यक्ति जो रोजी-रोटी वाले हैं उनकी मदद करनी है ।अफवाहों पर ध्यान न देकर भाई-चारा कायम करना होगा। क्योंकि युद्ध से कभी किसी का भला नहीं हुआ है युद्ध में मरते तो दोनों तरफ के लोग हैं ऑपरेशन सिंदूर के लिए जो सैनिक गए हैं, वे भी तो किसी के सिंदूर, किसी के पिता ,भाई, बेटा होंगे ।हमें अपने परिवार, मित्र, समाज और राष्ट्रों की सुरक्षा पर ध्यान देना होगा,हमें ज्यादा से ज्यादा घरों में रहना चाहिए। व्हाट्सएप का इस्तेमाल कम करना चाहिए। इस कठिन समय में हमें अपने साथ-साथ सभी का ध्यान रखना चाहिए। नेतागिरी में न पड़कर स्वविवेक से काम करना चाहिए। हमें सकारात्मक सोच के साथ लोगों को जागरूक करना चाहिए। हमें अनुशासन का पालन करना चाहिए। इस तरह हम सबको इस युद्ध से निजात पाने में अपनी भागीदारी निभानी चाहिए।

*जितनी भी मदद कर सके सैनिकों की उसे उतनी मदद करनी चाहिए–अपर्णा खरे

युद्ध की भयावह स्थिति से हम सभी वाकिफ़ हैं कुरुक्षेत्र की भूमि आज भी उस दर्द को झेल रही है परंतु अब जो स्थिति है कि युद्ध शुरू हो गया है तो हमें कम से कम अपनी प्रार्थनाओं का दायरा बढ़ाना होगा और सभी सैनिकों, उनके परिवारों को अपनी प्रार्थनाओं में ज्यादा से ज्यादा रखना होगाहम में से जो जितनी भी मदद कर सके सैनिकों की उसे उतनी मदद करनी चाहिएहमें पता है कि युद्ध का सीधा प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा इसीलिए हम सभी को अपने अपने खर्चों पर नियंत्रण करके मदद करनी चाहिएहमें सभी को भी यह सब समझाना चाहिए——

*आपत्तिजनक ,किसी धार्मिक उन्माद फैलाने वाली पोस्ट को फॉरवर्ड करने से भी बचें-डॉ  ज्योति सिंह

वर्तमान में जो स्थितियां बन रही हैं ,उनको मद्देनजर रखते हुए देश के हर नागरिक को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे सर्वोपरि राष्ट्र भक्ति और सहयोग- अपने परिवार और समुदाय की सुरक्षा के सभी इंतजाम देखना चाहिए और सामाजिक सद्भाव बनाए रखना चाहिए ।
जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए स्थितियों के बारे में जागरूक रहना चाहिए और प्रतिपल होने वाली घटनाओं की जानकारी रखनी चाहिए । हमला होने की स्थिति में अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सुरक्षित स्थान भवन या बंकर आदि में रहना चाहिए ।परिवार के सभी सदस्यों से संचार बनाकर रखना चाहिए। भोजन और पानी का भंडारण रखना चाहिए ।प्राथमिक चिकित्सा के साधन रखना चाहिए ।घर की सुरक्षा के उपाय करने चाहिए ।परिवार के सदस्यों को भावनात्मक समर्थन देना चाहिए ।सुरक्षित रहने के लिए सरकार और स्थानीय अधिकार के अधिकारियों के नियमों का निर्देशों का पालन करना चाहिए। सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की भ्रामक, झूठी या आपत्तिजनक और संवैधानिक जानकारी की पोस्ट वीडियो लिंक आदि को ना पोस्ट करें ।आपत्तिजनक ,किसी धार्मिक उन्माद फैलाने वाली पोस्ट को फॉरवर्ड करने से भी बचें ।पुलिस भारतीय नागरिक संहिता की धारा 163 के तहत विभिन्न प्रतिबंधात्मक आदेशों का पालन करना चाहिए। जिसमें बगैर अनुमति के रैली ,जुलूस ,प्रदर्शन, धरने आदि से दूर रहना चाहिए। यदि कोई रिश्तेदार ,किराएदार कामगार, बाहर से आया हो तो उसके परिचय पत्र और सूचना आवश्यक रूप से सरकार को देना चाहिए।
सैना की किसी भी गतिविधि को सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करना चाहिए ।ना ही अपने देश के सैनिकों का मनोबल गिरने वाली घटनाओं को पोस्ट करना चाहिए।

*अफवाहों से दूर रहकर सुख शांतिमय वातावरण बनाए रखना ही हमारा कर्तव्य है-प्रभा जैन इंदौर

मानवता पर युद्ध का खतरा मंडरा रहा है,,,सचमुच बहुत दहशत है सभी मे।ऐसे कठिन समय मे सबसे पहले समभाव से प्रण ले,हम मानव है,और मानवीयता ही हमारा धर्म है।आज देश पर आई विपदा की घड़ी में हमारे सैनिक देश सेवा में अपने आप को खपा रहे हैं।कम से कम हम,उनके परिवारजनों की मदद के लिए तत्तपर रहकर ,मैत्री भाव के शांति को गुर को धारण कर शांत दिमाग रख कर सोचें।।राजनीति से सर्वथा दूर रहकर सद्भावना,मैत्री भाव जगत में सब जीवों पर नित्य रहे यह सदभावना की प्रेरणा ही जगत में सुख शांति दे सकती है।ऐसे समय में देश हित मे भारत के हर नागरिक को आपसी सौहाद्र से देश पर आई विपदा को दूर करने की कोशिश करना चाहिए।हम सब का बिना बौखलाए, एकजुट हो, मिलकर शांत दिमाग से इस परिस्तिथि से बाहर निकलने की कोशिश करना,देश मे मैत्रीभाव बनाए रखकर वातावरण को सौहाद्र पूर्ण बनाना ही हर नागरिक का कर्तव्य है,जब ही हमारे सीमा पर खड़े प्रहरी दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में कामयाब हो सकते हैं।मातृभूमि के एकजुट सेवक बनकर अफवाहों से दूर रहकर सुख शांतिमय वातावरण बनाए रखना ही हमारा कर्तव्य है। तभी हम सच्चे भारत माता के सच्चे सपूत कहला सकते हैं।

*हमारी जिम्मेदारी देश , काल,वातावरण में सहयोग पूर्ण आपसी सौहार्दयुक्त होना जरूरी -माधुरी सोनी मधुकुंज
आलीराजपुर

राष्ट्र हित सर्वोपरि ,इसी भावना को मन में रखते हुए एक सामान्य नागरिक के रूप में मेरे विचार से हमारी जिम्मेदारी देश , काल,वातावरण में सहयोग पूर्ण आपसी सौहार्दयुक्त होना जरूरी हे।अफवाहों से भ्रमित संदेशों को फैलाएं नहीं ,क्योंकि जिस भी नगर में हम रहते हैं हर गांव,नगर,शहर,,प्रदेश के सेना के जवान अभी मोर्चा संभाले घर से जा रहे,कोई विवाह स्थगित ,कोई मां बाप को छोड़,कोई बच्चों ,जिम्मेदारियों से अलग अपना दायित्व देश हित हेतु सीमा पर जा रहे हैं।
यदि हम साहित्य साधक हैं तो उन सैनिकों के परिवार को सुखद संदेश भेज सकते हैं जिनसे उनका मनोबल भी बढ़ेगा और आत्मीयता भी लगेगी।यदि हो सके तो हमारे आसपास सैनिक परिवारों से मिलना,कुछ समय देना उनके बच्चों को गर्व की अनुभूति करवाना,कुछ मदद करना भी जरूरी हे।
ये पल बड़ा ही भावुक होगा उनके ओर हमारे लिए।क्योंकि विपरीत परिस्थिति में धर्म के खिलाफ बोला भी नहीं जा सकता । घर के बच्चों ,बुजुर्ग और आसपास यदि एकल बुजुर्ग दंपत्ति है तो उन्हें आपातकालीन समय में जरूरत हो तो अपना नंबर देकर हिम्मत दिलाएं कि हम भी आपके परिवार जैसे हैं। सूचनाओं द्वारा सजगता भी रखें विकट समय हेतु। शांति व्यवस्था मेंसमाज संगठन,स्वयं सेवी संस्थाओं से इस प्रकार चर्चा कर सामूहिक पहल मनोबल बढ़ाने वाले ,सहयोग करने वाले कार्य में शामिल होकर राष्ट्र आहुति में सामंजस्य बना सकते हैं।
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Deteriorating Handwriting : पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति द्वारा बच्चों की लिखावट खराब हो रही है -कारण और समाधान’ विषय पर परिसंवाद