कीर्ति कापसे की विशेष रिपोर्ट
इंदौर: महाराष्ट्र साहित्य सभा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इंदौर के लाभ मंडपम में पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन पर लिखी किताब “ताई” का विमोचन किया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि मंत्री पूर्व मंत्री हो जाता है, सांसद पूर्व सांसद हो जाता है, विधायक पूर्व विधायक हो जाता है। मगर ताई कभी पूर्व नहीं होंगी क्यों कि उन्होंने अपनी पहचान एक कार्यकर्ता के रूप ने बनाई है ।
जब तक वो रहेगी कार्यकर्ता के रूप में रहेगी , उनकी इस पुस्तक से कार्यकर्ताओं को विजन मिलेगा , कि एक कार्यकर्ता के रूप में उसे कैसा बर्ताव करना चाहिए ।
केंद्रीय मंत्री गडकरी सहित पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी.शर्मा व इंदौर के सांसद शंकर लालवानी व जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट भी पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में मौजूद थे ।
नितिन गड़करी ने कहा कि ताई आपने अपने जीवन में बहुत अच्छा कार्य किया है। आप में सबसे अच्छी और बड़ी बात आपका व्यक्तित्व और आपका कार्य है जो आने वाली पीढ़ियों को मार्गदर्शित करेगा । एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में आपका जो व्यक्तित्व है वह हमेशा क़ायम रहेगा, यह सतत प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अपने आठ बार ताई को जिताया। मैं उन्हें बहुत नजदीक से जानता हूं,वह बहुत पापुलर नहीं है। उन्होंने बड़ी मज़ेदार बात कही कि “जब तक चाय में शक्कर नहीं डालो , तो चम्मच दौड़कर नहीं आता”।
उन्होंने एक बड़ी को दोहराया कि ताई मैं आपका स्वभाव जानता हूं। यहां के लोगों ने आपको आठ बार जिताया और जनता व कार्यकर्ताओं ने आपको पचाया। आप मूल्यों पर विश्वास रखने वाली, कोई छल-कपट नहीं करने वाली, ईमानदारी व कठोरता से उसका पालन करने वाली रही है। आप पर लिखी इस किताब से बहुतो को प्रेरणा मिलती रहेगी । उन्होंने अनंतकुमार से जुड़े एक किस्सों का जिक्र किया।
अपने उद्बबोधन में गडकरी ने कहा कि मैं होर्डिंग और कटआउट वाली राजनीति के भी खिलाफ हूं। मैंने आज तक कोई कट ऑउट नहीं लगाया और न ही समर्थकों को लगाने दिया। उन्होंने एयरपोर्ट पर लेने और छोड़ने आने वाली परंपरा को भी फिजूल बताया और कहा कि छोड़ने और लेने जाना समय और एनर्जी दोनों की बर्बादी है । कई बार नेताओ को उसके दुष्प्रभावों से भी जूझना पड़ता है ।
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इसके पहले पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहा कि मैं इस सम्मान की हकदार नहीं हूं। यह सम्मान जनता का है जिन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाया। इस दौरान उन्होंने अपनी पुस्तक में छपे कुछ संस्मरणों का जिक्र किया।
उन्होंने बताया कि विपक्ष के रहने के दौरान लोकसभा में ज्योतिरादित्य सिंधिया से कैसे संवाद होता था। खुद गडकरी भी जब बोलते थे तो वह विपक्ष को संतुष्ट कर देते थे।