TB Patients: स्वास्थ्य विभाग वैक्सीनेशन प्रोग्राम के चलते टीबी मरीजों को भूला, एक महीने से टीबी के मरीजों को नहीं मिल रही कोई दवा
भोपाल। स्वास्थ्य विभाग प्रदेश को वर्ष 2025 में टीबी मुक्त करने के अभियान में ऐसा जुटा हुआ है कि विभाग एक महीने से टीबी के मरीजों को सुध लेना ही भूल गया हैं।
प्रदेश में मौजूदा समय में 10 हजार टीबी के ऐसे मरीज है जिन्हें शासकीय अस्पताल से एसडीसी-3, और एसडीसी -4 टीबी की दवा अस्पतालों में नहीं मिल पा रही है। यह स्थिति भोपाल के अलावा जबलपुर, ग्वालियर, छिंदवाड़ा और इंदौर के टीबी स्पेशिलिस्ट अस्पतालों की है। टीबी प्रोग्राम से जुड़े लोगों ने बताया कि प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों की स्थिति इससे भी खराब है। विभाग के आला अधिकारियों को एक महीना पहले ही दवाओं की कमी होने की जानकारी दे दी गई थी। लेकिन उसके बावजूद भी अस्पतालों में विभाग के जिम्मेदारों ने दवा भेजना उचित नहीं समझा। टीबी प्रोग्राम से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि 7 मार्च से प्रदेश के 26 जिलों में टीबी वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू होने के बाद विभाग के जिम्मेदार वैक्सीनेशन प्रोग्राम में अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए टीबी के मूल मरीजों की देखभाल करना भूल गए।
टीबी के मरीजों की दवा स्पेशल अस्पतालों के अलावा प्रदेश के सभी डिस्ट्रिक अस्पतालों में भी मिलती है। लेकिन एक महीने से जिला अस्पतालों की हालत और खराब हैं। शासकीय अस्पतालों में दवा नहीं मिलने के चलते मरीजों को निजी मेडिकल स्टोरों से दवा लेना पड़ रहा है। लेकिन मरीजों ने बताया कि भोपाल, जबलपुर और इंदौर जैसी जगहों पर पर भी निजी मेडिकल स्टोरों पर पूरी दवाएं उपलब्ध नहीं रहती हैं। टीबी के एक मरीज की एक महीने की दवा तीन से चार हजार रूपये में मिलती है। लेकिन बिगड़े टीबी मरीजों की दवा इससे मंहगी मिलती है। जब इस मामले को लेकर स्टेट टीबी अधिकारी वर्षा राय से बातचीत करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने कोई संपर्क नहीं किया।
रजिस्ट्रेशन में विभाग ने बनाया रिकार्ड-
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए बीसीजी का टीकाकरण का अभियान प्रदेश के 26 जिलों में शुरू किया है। विभाग ने अब तक बीसीजी टीकाकरण अभियान में 50 लाख से ज्यादा लोगों को जोड़ चुका है। अगर समय रहते हुए टीबी के मूल मरीजों की विभाग देखभाल नहीं करता है तो टीबी का संक्रमण और फैल सकता हैं।