Teachers Day Special: वास्तविक टीचर्स से कितना मेल खाते हैं ये फ़िल्मी टीचर!

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Teachers Day Special: वास्तविक टीचर्स से कितना मेल खाते हैं ये फ़िल्मी टीचर!

फिल्म के परदे पर समाज के हर कथानक को देखा गया है। ऐसी फिल्म कम ही बनी, जिसमें शिक्षक अपने सच्चे स्वरूप में पेश किया गया हो। अधिकांश फिल्म में शिक्षक ऐसा प्राणी होता है जिसे उसके ही छात्र पढाकर हवा हो जाते हैं। कुछ फिल्मों में शिक्षक नायक या नायिका का गरीब और असहाय बाप होता है जो अपने बच्चों को ही शिक्षा नहीं दे पाता और उसके बच्चे अपराधी बन जाते हैं। कुछ फिल्मों के शिक्षक अपने अपराधी शिष्यों को सही राह पर लाने का काम भी करते हैं। फिर भी ऐसी फिल्में कम ही बनी हैं, जिसमें शिक्षक को सम्मान पेश किया गया हो।

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बरसों पहले एक फिल्म आयी थी जागृति । इस फिल्म में अभि भट्टाचार्य ने एक अनुशासित और मर्यादित शिक्षक की भूमिका निभाई थी। यह अपने छात्रों को शिक्षित और अनुशासित करने के लिए अलग अलग तरीके इस्तेमाल करता है। इस फिल्म के गीत आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिन्दुस्तान की और दे दी हमें आजादी बहुत लोकप्रिय हुए थे। अनुशासित शिक्षक को विनोद खन्ना की फिल्म इम्तिहान में भी शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया गया था। यह वह शिक्षक है जो छात्रों के बीच रहकर उनकी समस्याओं को सुनता भी है और सुलझाता भी है। यह छात्रों के साथ मिलकर खेलता भी है और जरूरत पड़ने पर उन्हें फटकारता भी है। अपनी छवि के विपरीत विनोद खन्ना एक डेशिंग प्रोफेसर के रूप में खूब फबे थे।

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रुबाबदार प्रोफेसर की भूमिका में राजकुमार ने फिल्म बुलंदी में प्राण फूंक दिए थे। एक निष्ठावान लेकिन दबंग प्रोफेसर जो किसी बात पर समझौता नहीं करता। उद्दंड छात्रों से उन्हीं के अंदाज में निपटाने वाला यह प्रोफेसर भाई भतीजावाद और पक्षपात का शिकार होकर रह जाता है । इस बेबसी को भी राजकुमार ने परदे पर बखूबी से उतारा था। इसी तर्ज पर आयी थी प्रतिघात जिसमें छात्रों की राजनीति और उसके बीच फंसी प्रोफेसर में सुजाता मेहता ने बेहतरीन अभिनय किया था। बाल मनोविज्ञान को समझने और उनके गुणों को पहचान कर उनके व्यक्तित्व को निखारने वाले शिक्षक की भूमिका में आमिर खान ने तारे जमीं पर एक नया अंदाज प्रस्तुत किया था। फिल्म में उनके पढाने की स्टाइल का दर्शक दीवाना होकर रह जाता है।

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अमिताभ बच्चन अपने व्यक्तित्व के कारण एक सुसंस्कृत प्रोफेसर दिखाई देते है। निर्माताओं ने उनके इस स्वरूप को भी भुनाकर उन्हें कई फिल्मों में शिक्षक बनाया है। कस्मे वादे में वह ऐसे ही सुस्ंकृत प्रोफेसर थे जो छात्रों का झगडा मिटाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर देते है। आरक्षण में वह एक सिद्धांतवादी प्रोफेसर बने सत्याग्रह में वह एक रिटायर शिक्षक हैं तो मोहब्बतें में सख्त शिक्षक हैं। ब्लैक में उन्होने विकलांग छात्रा को प्रशिक्षित करने की भूमिका में प्राण फूंक दिए तो चुपके चुपके में उनका एक शालीन प्रोफेसर का रूप दिखाई दिया था। मेजर साब में वह मेजर जसबीर राणा के रूप में कैडेट्स को देश के लिए मर मिटने का प्रशिक्षण देते हैं।

शिक्षकों के जीवन पर बनी फिल्मों में मेरा नाम जोकर में सिमी गरेवाल ने एक युवा शिक्षक की भूमिका निभाई जिस पर उनका एक छात्र मुग्ध है। यह छात्र थे ऋषि कपूर जो फिल्म दो दूनी चार में एक मजबूर टीचर बने थे। बोमन ईरानी भी शिक्षक के रूप में खूब फबते है। खासकर उनकी दो फिल्में थ्री इडियटस और मुन्ना भाई एमबीबीएस उल्लेखनीय है। ऐसे ही शिक्षकों में स्वदेश की गांव में रहकर बच्चों को पढ़ाने वाली शिक्षक गायत्री जोशी और हिचकी की रानी मुखर्जी का नाम भी याद आता है।

फिल्मों में अभि भट्टाचार्य, सत्येन कप्पू जैसे कुछ अभिनेता थे जो शिक्षक ही नजर आते थे। लेकिन, कुछ फिल्मे ऐसी भी है जिनमें चाकलेटी हीरो और स्टार का दर्जा प्राप्त कलाकार भी शिक्षक बनकर दिखाई दिए हैं। देव आनंद हम नौजवान और मनपसंद में प्रोफेसर बनकर भी देव आनंद नजर आए तो प्रोफेसर में शम्मी कपूर की हालत भी कुछ ऐसी ही थी। विजय आनंद कोरा कागज में संजीदा थे तो राजेश खन्ना ने मास्टर जी और रोटी में शिक्षक की भूमिका को हलके में निपटा दिया था। जितेन्द्र ने परिचय में शिक्षक बनकर अपनी जंपिंग जैक की इमेज को तोड़ा था।

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चाकलेटी हृतिक रोशन ने सुपर-30 में लीक से हटकर भूमिका की थी और पाठशाला में शाहिद कपूर शिक्षक बने है। नायक ही नहीं नायिकओं ने भी कुछ फिल्मों में शिक्षिका की भूमिका निभाई है। नर्गिस फिल्म श्री 420 में और साधना असली-नकली की गरीब शिक्षिका थी। दिव्या दत्ता ने स्टेनली का डिब्बा में भी उदार शिक्षिका की भूमिका निभाई थी। मैं हूं ना में सुष्मिता सेन ने ग्लैमर टीचर बनी थी। शिक्षक की दमदार भूमिका की बात हो तो सारांश के अनुपम खेर को कोई भी नहीं भूल सकता जो अपने बेटे की अस्थि लेने के लिए लम्बा चौडा संघर्ष करता है।

खेल से जुड़ी फिल्मों में शिक्षक का एक नया रूप देखने को मिला। यह एक तरह से कोच की भूमिका थी जिनमें नायकों ने कमाल कर दिखाया था। ‘चक दे इंडिया’ में कोच शाहरुख खान एक कमजोर भारतीय महिला हॉकी टीम को विजेता बनाता है। आमिर खान अभिनीत ‘दंगल’ में पिता ही अपनी बेटी का कोच बनकर उसे खेल जगत की नामचीन हस्ती बनाने का प्रयास करता है। राज किरण अभिनीत हिप हिप हुर्रे शिक्षक-छात्र के रिश्ते दिखाने वाली बेहतरीन फिल्मों में शुमार है। राज किरण अपनी फुटबाल टीम के छात्रों को जीतने के लिए प्रेरित करते नजर आते हैं। तो इकबाल में नसीरुद्दीन शाह ने नशेड़ी प्रशिक्षक की भूमिका निभाई थी। सर में नसीर ने शिक्षक की प्रभावशाली भूमिका थी।

‘कुछ कुछ होता है’ और ‘शोला और शबनम’ जैसी कई फिल्मों में टीचरों का मजाक उड़ाया गया है। इनमें अनुपम खेर और अर्चना पूरणसिंह जैसे प्रोफेसर रहते हैं जो बेवकूफाना रोमांस करते रहते हैं। कॉलेज कैम्पस की पृष्ठभूमि पर बनी ज्यादातर फिल्मों में टीचर को एक कॉमेडियन के रूप में ही पेश किया जाता है। प्राण ने जंगल में मंगल में ऐसे ही शिक्षक की भूमिका निभाई थी। कादर खान कई फिल्मों में मजाकिया टीचर बन चुके है। गोविंदा की फिल्म शोला और शबनम में अनुपम खेर और अर्चना पुरण सिंह ने शिक्षक के नाम और काम पर पलीता लगाने का काम किया था।