बच्चों का ख्याल रखने के लिए Thanks Mama Shivraj , हमें मालूम है कि मास्क, दूरी और सेनेटाइजेशन ही है बचाव का राज

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बच्चों का ख्याल रखने के लिए Thanks Mama Shivraj

यह लिखना जरूरी है, इसीलिए लगातार दूसरे दिन भी लिख रहा हूं। कोरोना के नए वेरिएंट से बचाव के लिए सरकार ने जिस त्वरित गति से फैसला किया है, वह निश्चित तौर पर काबिले-तारीफ है। खास तौर से जो ख्याल बच्चों का रखा गया, वह साबित करता है कि मामा को बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान है।
इसी सरकार ने पिछले ही दिनों आदेश जारी किया था कि अब ऑनलाइन क्लास बंद कर स्कूलों को सौ फीसदी क्षमता के साथ खोला जाएगा। लेकिन नए वेरिएंट की यूरोप-अफ्रीका में धमक के बाद सरकार ने जिस तरह आनन-फानन में कठोर फैसला किया है, वह जरूरी था।
खास तौर से 18 साल तक के बच्चों की चिंता जिन्हें अभी तक वैक्सीन नहीं लगा है और नए वेरिएंट बोत्सवाना या ओमिक्रॉन ने अगर निष्ठुरता दिखाई तो यह अपूरणीय खामियाजा कोई भी बर्दाश्त नहीं कर पाएगा।
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अभी कई माता-पिता ने अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू नहीं किया था, लेकिन जब यह फरमान आया कि अब पेरेंट्स की सहमति की जरूरत नहीं है और स्कूल सौ फीसदी क्षमता से खोले जाएंगे, तब ज्यादातर माता-पिता इसलिए मायूस थे कि अब बच्चों की सुरक्षा के लिए वह क्या करें? उनके हाथ में कुछ भी नहीं रहा? पर सरकार का रविवार का स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं फिर अनिवार्य करने और स्कूलों को पचास फीसदी क्षमता से चलाने के साथ ही बच्चों को स्कूल बुलाने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य करने के फैसले ने माता-पिता की झोली को खुशियों से भर दिया है।
शिवराज ने चिंता जताई है कि कोविड-19 के नए वेरिएंट की भारत में उपस्थिति की कोई सूचना नहीं है, लेकिन सावधानियां अत्यंत आवश्यक हैं। हमने निर्देश दिया है कि दूसरे देशों से मध्यप्रदेश आने वाले लोगों की भारत सरकार के निर्देशानुसार कड़ाई से जांच की जाए।
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एक महीने में अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से जितने भी लोग यहां आए हैं, उनकी जांच करने और अगर कोई संदिग्ध पाया जाता है तो उसे आइसोलेशन में रखने के निर्देश दिए हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग के सैंपलों की संख्या भी हम बढ़ाएंगे, ताकि अगर कहीं इस तरह की स्थिति बने तो जानकारी का अभाव न रहे।
तो सबसे बड़ा फैसला यह कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को लेकर तय किया गया है कि स्कूल खुलेंगे, लेकिन बच्चों की संख्या 50% होगी। 50% बच्चे एक दिन और बाकी 50% बच्चे अगले दिन स्कूल आएंगे। ऑनलाइन क्लास का विकल्प रहेगा और पैरेंट्स की इच्छा होगी तो ही बच्चे स्कूल जाएंगे, उनकी अनुमति आवश्यक होगी।
शायद अब इस फैसले के बाद वह माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे जिन्होंने मजबूरी या स्वेच्छा से भी सहमति देकर अपने बच्चों को स्कूल भेजना शुरू कर दिया था। कुछ पेरेंट्स बच्चों को स्कूल बस में न भेजकर खुद ही स्कूल छोड़ रहे थे और स्कूल से वापस घर ला रहे थे।
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और बच्चे भी स्कूल में दिनभर मास्क लगाकर पढ़ने को मजबूर थे। अब “जान है तो जहान है” को आदर्श वाक्य मानकर बच्चों को ऑनलाइन क्लास पढ़ाकर शायद माता-पिता सावधानी में ही बच्चों की सुरक्षा का कदम उठाकर सुकून से रह सकेंगे।
यदि सरकार यह चिंता कर रही है कि जरूरी दवाएं, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, वेंटीलेटर जैसी आवश्यक चिकित्सा सामग्री की पर्याप्त व्यवस्था किसी संकट से पहले कर ली जाए, तो इसे सरकार का जिम्मेदाराना व्यवहार माना जा सकता है। क्योंकि इस देश ने और अपने मध्यप्रदेश ने पिछली कोरोना की दूसरी लहर की त्रासदी देखी है, जब प्रियजनों के लिए अस्पतालों में बेड नहीं मिले, बेड मिले तो ऑक्सीजन की कमी से जूझना पड़ा और वेंटिलेटर की कमी ने तो महासंकट में डाला था।
रेमडेसीविर इंजेक्शन का गोरखधंधा और कमी शायद ही कोई भूल पाएगा। और एक समय तो ऐसा कि दवाइयां बाजार में भी ब्लैक में बिकीं या फिर मिली ही नहीं। कितने घरों ने अपने चिरागों को जिंदगी की भीख मांगते-मांगते बुझते देखा है और किस तरह अभी भी घुटन भरी जिंदगी जी रहे हैं, यह अब भी देखकर कलेजा फट जाता है।
हालांकि आपातकालीन व्यवस्थाएं हुईं, लेकिन इस बीच जो दर्द समाज में पसरा वह दर्द अपने प्रियजनों को खो चुके लोगों को तिल-तिल तड़पने को मजबूर कर रहा है। इसमें लापरवाही हम सबकी थी। और जिस तरह सरकार आह्वान कर रही है कि बिना जनसहयोग के कोई भी जंग नहीं जीती जा सकती और पिछली जंग भी सभी के सहयोग से ही जीती गई है।
तो आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि मास्क लगाएंगे, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करेंगे और हैंड सेनेटाइज करना नहीं भूलेंगेबच्चों का ख्याल रखने के लिए thanks mama shivraj। सबकी सावधानी में ही सबकी सुरक्षा है। इसलिए शादियों, खुशी के अवसरों पर भी भीड़ में जाने से बचने के स्वअनुशासन को सख्ती से लागू करें।
सिनेमा जाना, बाजार में जमावड़ा लगाना, मॉल में खरीदी के लिए जमघट लगाना वगैरह वगैरह से जितना हो सके बचें, क्योंकि अब कम से कम 21 वीं सदी में सिर्फ इस भरोसे मौत के कुएं में नहीं कूदा जा सकता है कि “जाको राखे साईयां, मार सके न कोय”।
खुद के बैरी यानि शत्रु बनने से बचें और जहां तक हो समय पर वैक्सीन लगवाकर कोरोना की तीसरी लहर को देश-प्रदेश और गांव-शहर में दस्तक देने का कोई मौका न दें।
चिंता करने के लिए मामा को शुक्रिया कहेंबच्चों का ख्याल रखने के लिए (thanks mama shivraj )लेकिन अपनी सुरक्षा के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार नागरिक होने का सबूत देना भी न भूलें। सरकार को यह बता दें कि बच्चों की चिंता करने के लिए शुक्रिया मामा शिवराज, लेकिन हम भी मास्क लगाकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर और सेनेटाइजर का उपयोग कर न केवल कोरोना से बचेंगे बल्कि समाज में, प्रदेश में और देश में सभी को बचाएंगे।