That’s why CM came with Gaati : CM ने बताया कि वे अपने साथ गैंती लेकर क्यों आए!

इस बार 'हलमा' में बांसवाड़ा और महिसागर और दाहोद जिले से भी आदिवासी आए!

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That’s why CM came with Gaati : CM ने बताया कि वे अपने साथ गैंती लेकर क्यों आए!

अलीराजपुर से अनिल तंवर की रिपोर्ट

Jhabua : झाबुआ की हाथी पावा पहाड़ियों पर हुआ 9वां ‘हलमा’ अपने आपमें अनोखा रहा। खासकर मुख्यमंत्री के आने का अंदाज। वे हेलीकॉप्टर से उतरे तो उनके कंधे पर गैती देखकर हजारों की संख्या में उपस्थित श्रमदानी चौंक गए। यहां 40 हजार से अधिक श्रमदानी परोपकार की भावना ‘हलमा’ में सहभागिता के लिए उपस्थित थे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘हलमा’ में श्रमदान के लिए आने वाले को स्वयं का साधन लाना होता है! इसलिए वे भोपाल से ही गैती लेकर आए हैं।

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इसके एक दिन पहले राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने इसकी सांकेतिक शुरुआत की और अगले दिन श्रमदान भी किया। ये आदिवासियों का बिना सरकारी सहयोग के जल बचाने का काम है। शिवगंगा संस्था ‘हलमा’ नाम से आयोजन करती है। 2009 से इसकी शुरुआत हुई थी। इस बार 9वां ‘हलमा’ हुआ। शिवगंगा संस्था के राजाराम कटारा ने बताया कि इस बार के ‘हलमा’ में झाबुआ-अलीराजपुर के अलावा राजस्थान के बांसवाड़ा और गुजरात के महीसागर और दाहोद जिले से भी आदिवासी आए थे।

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शनिवार रात तक 1100 गांवों से 40 हजार के करीब आदिवासियों के पहुंचने का दावा संस्था का है। आगे यह कार्यक्रम प्रत्येक विकासखंड में करने का लक्ष्य है। आदिवासियों के अलावा आईआईटी, आईआईएम व सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित 1200 लोग भी आए हैं। इनमें 800 विद्यार्थी हैं। संस्था के महेश शर्मा का कहना है, हलमा का मुख्य उद्देश्य लोगों को परमार्थ के लिए प्रेरित करना है। ये ग्रामीण ग्लोबल वार्मिंग से अपनी तरह से लड़ रहे हैं।

आदिवासियों ने बनाए 100 तालाब

राजाराम कटारा ने बताया ‘हलमा’ से प्रेरणा लेकर झाबुआ-आलीराजपुर में आदिवासियों ने 100 बड़े तालाब खुद की मेहनत से बना दिए। 50 दिन तक घर का खाना खाकर काम किया। इसके अलावा 150 गांवों के माता वनों में डेढ़ लाख पौधों की मेढ़ बना दी।

राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने आयोजन में दो दिन बिताए। शनिवार को वे ‘गेती यात्रा’ में शामिल हुए और रविवार सुबह श्रमदान किया। रविवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल हुए। उन्होंने पहाड़ी पर पीपल का पौधा भी लगाया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि ‘हलमा’ झाबुआ में ही क्यों हो, इस तरह का प्रयास पूरे प्रदेश में किया जाना चाहिए। आयोजन में राष्ट्रीय अजजा आयोग अध्यक्ष हर्ष चौहान, सदस्य अनंत नायक, आदिवासी संत कानूजी महाराज शामिल हुए।

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