बाबा साहब को रुला गए वह खरीद-फरोख्त के आरोप …

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ऐसी बहसें होती ही रहती हैं, लेकिन बाबा साहब को चोट पहले से ही लगी थी। अराजक तत्वों ने मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया था। और यही तो वजह थी कि जनप्रतिनिधि बाबा साहब के साथ हुए इस कृत्य के विरोध में धरने पर बैठे थे। मामला गंभीर था। क्षेत्र में तनाव था। जनप्रतिनिधि विरोध के साथ-साथ तनाव कम करने पहुंचे थे। पर यह क्या हुआ? तनाव तो जनप्रतिनिधियों ने क्षेत्र से ज्यादा खुद फैला दिया। इतनी जोर-जोर से चिल्लाए एक-दूसरे पर, कि बाबा साहब को तनाव हो गया। उससे ज्यादा धक्का उन्हें यह लगा कि आरोपों का मुद्दा बहुत गंभीर था। ठीक वैसे ही जैसे गंभीर मरीज को वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत पड़ जाती है। उसी तरह जनप्रतिनिधियों के बीच आरोपों का स्वभाव इतना गंभीर था कि मानो लोकतंत्र ही वेंटीलेटर पर पहुंचने की कगार पर हो।
बाबा साहब को लगा कि उनके कान कुछ गलत तो नहीं सुन रहे, क्योंकि जिस संविधान के वह निर्माता थे…उसमें तो ऐसी बातें होना उनकी कल्पना से परे लग रहा था। बात खत्म हो गई, तो देखा कि एक सजग व्यक्ति ने वीडियो बनाया था। बाबा ने भी सोचा कि एक बार फिर सुनूं। संयोग से उस व्यक्ति ने भी यही सोचा और वीडियो दूसरों को फार्वर्ड और वायरल करने से पहले उसने भी दो-तीन बार सुना। बाबा तक भी आवाज पहुंच रही थी। जितनी बार बाबा सुन रहे थे, उतनी ही बार उनकी आंखों से अश्रु धारा बह रही थी। कि क्या सोचा था और आजादी का अमृतकाल आते-आते लोकतंत्र का यह क्या हाल हो गया? मूर्ति क्षतिग्रस्त न होती, तो शायद जनप्रतिनिधियों के बीच हो रहा यह बिना किसी दुराव-छिपाव का संवाद उनके कानों तक ही न पहुंच पाता।
मामला डबरा के सहराई गांव का है। यहां बाबा साहब की प्रतिमा क्षतिग्रस्त होने के बाद तनाव का माहौल बना। लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी, विधायक सुरेश राजे, भीम आर्मी के नेता और कार्यकर्ता, बौद्ध धर्म के अनुयायी मौके पर धरने पर बैठे। इसी दौरान कांग्रेस पार्षदों की खरीद-फरोख्त को लेकर कांग्रेसी विधायक सुरेश राजे और लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष इमरती देवी के बीच तीखी, नोंक-झोंक भरी बहस हुई। बाद में इसका वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें दोनों एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते नजर आ रहे हैं। दोनों में इसी बात को लेकर कहासुनी हो गई और बहस लंबी बढ़ गई। प्रतिमा की सुरक्षा की मांग को लेकर चर्चा के समय एसडीओपी डबरा विवेक शर्मा, थाना प्रभारी विनायक शुक्ला और पुलिस बल मौके पर मौजूद था। वीडियो में पुलिस दोनों नेताओं को शांत करती और बीच-बचाव करती नजर आ रही है। सुरेश राजे कह रहे हैं कि कांग्रेस पार्षदों को किसने खरीदा, तो इमरती देवी कह रही हैं कि तुमने बेचा। तब सुरेश राजे अति उग्र होकर चुनौती दे रहे हैं कि मुझे खरीदने वाला कोई पैदा नहीं हुआ। मैं बिकने वालों में नहीं हूं। बिकाऊ लोग मुझ पर आरोप लगाएंगे। और सीधे-सीधे आरोप कि पचास करोड़ में बिकने वाले मुझ पर आरोप लगाएंगे, इतनी हिम्मत कैसे हो गई? उनका सीधा इशारा इमरती देवी की तरफ है।

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बाबा साहब को लगा कि कहीं सपना तो नहीं देख रहा। तो उन्होंने फिर आंखों पर पानी के छींटे मारकर बार-बार वीडियो को सुना और बारीकी से पड़ताल की। पर बार-बार वही सच सामने आया। जो बहुत ही कड़वा था। जो शहद मिलाने पर भी मिठास में नहीं बदल रहा था। जो लोकतंत्र और संविधान की आत्मा को रोने पर मजबूर कर रहा था। दुःख की बात यह कि संविधान निर्माता के सामने ही दूध का दूध और पानी का पानी किया जा रहा था।  बाबा साहब को रुला गया यह संवाद और जनप्रतिनिधियों का हकीकत बयां करने वाला वह विवाद। क्योंकि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त की बातें संविधान निर्माता को असहज करने को काफी थीं।
https://youtu.be/8fZUsszgHuw