हॉकी के कांसे ने हर भारतीय के मन को प्रीत से भर दिया है…

India V/S Spain Hockey
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हॉकी के कांसे ने हर भारतीय के मन को प्रीत से भर दिया है…

अगस्त 8, 2024…दिन गुरुवार को भारत ने स्पेन को 2-1 से हराकर पेरिस ओलंपिक में हॉकी में कांस्य पदक पर कब्जा जमा लिया। इसके साथ ही भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 52 साल बाद लगातार दो बार ओलंपिक में पदक जीते और दोनों ही बार कांस्य पदक जीते। 1968 और 1972 ओलंपिक में भारत ने लगातार दो बार कांस्य पदक जीता था। तो 2020 और 2024 में भी हॉकी में लगातार दो बार कांस्य पदक जीतकर भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने इतिहास को दोहराकर हर भारतीय का मन जीत लिया। 1980 के बाद हॉकी में 41 साल की पदक शून्यता को भरते हुए टोक्यो 2020 में कांस्य पदक जीतने वाले भारत ने ग्रीष्मकालीन खेलों में अपना लगातार दूसरा कांस्य पदक और कुल मिलाकर 13वां पदक हासिल किया। भारत आठ स्वर्ण, एक रजत और चार कांस्य पदक के साथ ओलंपिक इतिहास की सबसे सफल हॉकी टीम है। 41 साल बाद इसलिए क्योंकि टोक्यो 2020 ओलंपिक का आयोजन 2021 में हुआ था। इस बार पुरुष टीम की कोशिश पदक का रंग बदलने पर थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। भारतीय टीम ने ग्रुप स्टेज से लेकर अब तक शानदार प्रदर्शन किया।

पर इस ओलंपिक में हॉकी प्रेमियों के दिल पर अगर किसी ने राज किया है, तो वह कप्तान हरमनप्रीत ही हैं। पेरिस ओलंपिक में हॉकी के सेमीफाइनल में कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने दिल जीता। कांस्य पदक वाले इस मैच में भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने 30वें और 33वें मिनट में गोल किया। वहीं स्पेन के लिए मार्क मिरालेस ने 18वें मिनट में गोल किया। एक बार हरमनप्रीत के इस ओलंपिक में दिल जीतने वाले पूरे सफर पर नजर डालते हैं। कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने पेरिस में भारत की अगुवाई की और 10 गोल किए, जबकि अपने करियर के आखिरी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में खेल रहे दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने प्रभावशाली प्रदर्शन किया। भारत पेरिस 2024 ओलंपिक पुरुष हॉकी टूर्नामेंट के पूल बी में न्यूजीलैंड, आयरलैंड, मौजूदा ओलंपिक चैंपियन बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना के साथ शामिल हुआ। पेरिस 2024 ओलंपिक में पुरुष हॉकी टूर्नामेंट में 12 टीमें शामिल थीं, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया था। ग्रुप चरण में टीमों ने एक बार एक-दूसरे का आमना-सामना किया और प्रत्येक पूल से शीर्ष चार ने क्वार्टरफाइनल में जगह बनाई।

भारत का पहला मैच 27 जुलाई को न्यूजीलैंड के साथ हुआ। भारतीय टीम के लिए मनदीप सिंह (24वें मिनट), विवेक प्रसाद सागर (34वें मिनट) और हरमनप्रीत सिंह (59वें मिनट) ने गोल किए। वहीं, न्यूजीलैंड के लिए सैम लेन (8वें मिनट) और चाइल्ड साइमन (53वें मिनट) ने गोल किया। भारत ने 3-2 से जीत हासिल की। इसमें हरमन का निर्णायक गोल शामिल था। 29 जुलाई को भारत का अर्जेंटीना से मैच हुआ। भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने 59वें मिनट में गोल किया तो वहीं अर्जेंटीना के लिए लुकास मार्टिनेज ने 22वें मिनट में गोल किया। हरमन के गोल के चलते यह मैच ड्रा हुआ। 30 जुलाई को भारत का मैच आयरलैंड से हुआ। भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने 11वें और 19वें मिनट में गोल किया। भारत ने 2-0 से जीत दर्ज की। दोनों ही गोल हरमनप्रीत ने किए थे। 1 अगस्त को भारत का मुकाबला बेल्जियम से हुआ। भारत के लिए अभिषेक ने 18वें मिनट में ने गोल किया तो वहीं बेल्जियम के लिए स्टॉकब्रीओक्स 34वें मिनट में और डोहमेन जॉन-जॉन ने 44वें मिनट में 1-1 गोल किया। हरमनप्रीत साथ नहीं दे पाए, तो यह मैच भी भारत के हाथ से निकल गया था। 2 अगस्त को भारत का सामना आस्ट्रेलिया से था। भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह (13, 32वें मिनट) और अभिषेक (12वें) ने गोल किए, जबकि थॉमस क्रेग (25वें) और ब्लेक ग्लोवर्स (55वें मिनट में) ने ऑस्ट्रेलिया के लिए गोल दागे। हरमन के दो गोल की मदद से भारत ने 3-2 से आस्ट्रेलिया को मात दी थी। पूल मैच में भारत दूसरे स्थान पर रहा। 4 अगस्त को क्वार्टर फाइनल में भारत का मुकाबला ग्रेट ब्रिटेन से हुआ। निर्धारित समय में भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह (22वें मनट में) ने गोल किया तो वहीं ग्रेट ब्रिटेन के लिए मोर्रटन ली (27वें मिनट में) ने गोल किया। शूटआउट में भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह, सुखजीत सिंह, ललित और राज पाल कुमार ने गोल किया तो वहीं ग्रेट ब्रिटन के लिए जेम्स अलबेरी व चैक वाललेस ने गोल किया। भारत शूटआउट में 4-2 से जीत गया। हरमन के दो गोल यहां भी निर्णायक भूमिका में थे। 6 अगस्त को सेमीफाइनल में भारत का जर्मनी से मुकाबला हुआ। भारत को इस मैच में जर्मनी से 2-3 से हार मिली थी। भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने 7वें मिनट और सुखजीत सिंह ने 36वें मिनट में गोल किया। जर्मनी के लिए गोज़ालो पेइलाट ने 18वें, क्रिस्टोफर रुहर ने 27वें और 54वें मिनट में मार्को मिल्टकाउ ने गोल किया। हरमन का एक गोल यहां काम नहीं आया, वरना भारतीय टीम पदक का रंग बदल चुकी होती। और अंतत: 8 अगस्त को कांस्य पदक के लिए भारत और स्पेन आमने-सामने थे। भारत के लिए हरमनप्रीत सिंह ने 30वें और 33वें मिनट में गोल किया। स्पेन के लिए मार्क मिरालेस ने 18वें मिनट में गोल किया। और हरमन के दो गोल ने भारत को कांसा दिला दिया। वहीं स्पेन को मायूसी मिली।

तो हॉकी ओलंपिक 2024 में भारत के इस इतिहास को दोहराने वाले सफर का श्रेय वैसे तो पूरी टीम को जाता है। बिना टीम वर्क के इतिहास नहीं बन सकता था। पर कप्तान हरमनप्रीत का प्रदर्शन काबिले तारीफ और दिल पर राज करने वाला रहा। बिना उनके गोल के मानो मैच ही खफा होकर हार में बदलने को आतुर रहा। इसीलिए हरमन के प्रदर्शन से भारत खुश है, तो ओलंपिक में हॉकी के कांसे और हरमनप्रीत के खेल ने हर भारतीय के मन को प्रीत से भर दिया है

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Author profile
khusal kishore chturvedi
कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।