इसके लिए मुख्यमंत्री की तारीफ तो बनती है….

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जब पूरे देश में हिजाब को लेकर विवाद छिड़ा है, तब मध्यप्रदेश में पूरी तरह शांति है। इसकी वजह है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दूरदर्शिता और अक्लमंदी वाला निर्णय। कर्नाटक में विवाद के बाद प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के एक बयान से यहां भी विवाद के हालात बने थे, लेकिन मुख्यमंत्री चौहान ने इसे बढ़ने से पहले ही रोक दिया। इसके लिए उन्हें अपने ही मंत्री पर नकेल कसना पड़ी।

मंत्री ने कहा था कि प्रदेश के स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध के साथ ड्रेस कोड लागू होगा। इसका कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कड़ा विरोध किया। अचानक सरकार हरकत में आई। पहले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। इसके बाद मुख्यमंत्री ने केबिनेट की अनौपचारिक बैठक में हिदायत दी कि मंत्रीगण संवेदनशील मुद्दों पर सोच समझ कर बोलें। फिर इंदर सामने आए और कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। नतीजा सामने है, देश के कई हिस्सों में बवाल के हालात हैं और मप्र शांत। इसके लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मुख्यमंत्री की तारीफ होना चाहिए। आखिर, उन्होंने प्रदेश का मुखिया होने का फर्ज निभाया है।

मन बहलाने के लिए गालिब ख्याल अच्छा है….

– कांग्रेस की स्थिति यह हो गई है कि अब वह जुबान फिसलने पर अपनी संभावनाएं तलाशने लगी है। पांच राज्यों के लिए हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान दो बार ऐसा हो गया। पहली बार प्रदेश के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत की जुबान फिसली। वे बोल बैठे कि पांचों राज्यों में कांग्रेस जीत रही है।

हालांकि इससे पहले वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की तारीफ कर रहे थे लेकिन ‘मन बहलाने के लिए गालिब खयाल अच्छा है’ कि तर्ज पर कांग्रेस को मौका मिल गया। वह प्रचार में जुट गई कि अब तो भाजपा सरकार के मंत्री ही कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे हैं। लिहाजा, इस वीडिया को जमकर वायरल किया गया। कांग्रेस को दूसरा अवसर मुख्यमंत्री के कारण मिला।

मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में बोल दिया कि उप्र में भाजपा की सरकार पक्की है लेकिन उत्तराखंड में मुश्किल है। यह वीडियो भी जमकर वायरल किया गया। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड में भी भाजपा की जीत का दावा किया। कहा कि वे खुद भाजपा के मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में हिस्सा लेने जाएंगे और मीडिया को चाय पर भी बुलाएंगे। कांग्रेस को इस तरह अपनी संभावनाएं तलाशने की बजाय मैदान में मेहनत करना चाहिए।

तय तारीख आने से पहले बदले उमा के सुर….
– शराबबंदी के मसले पर पूर्व मुख्यमंत्री साध्वी उमा भारती लगातार अपनी किरकिरी करा रही हैं। वे तय नहीं कर पाईं कि उन्हें करना क्या है? वे शराबबंदी चाहती हैं, शराबबंदी की आड़ में भाजपा नेतृत्व पर दबाव बनाना चाहती हैं या सिर्फ चर्चा में बने रहना चाहती हैं। दुविधा से उनकी साख पर बट्टा लग रहा है।

उन्होंने शराबबंदी के लिए अभियान चलाने के लिए 14 फरवरी की नई तारीख तय की थी। यह तारीख आने से पहले ही उनके बदले सुर सुनाई पड़ने लगे हैं। पहले उन्होंने कहा कि शराबबंदी सभी चाहते हैं इसलिए सभी को आंदोलन करना चाहिए। मैं कोई तीस मार खां नहीं हूं कि अकेले आंदोलन कर शराबबंदी करा लूंगी। फिर जैत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक बयान को आधार बनाकर उन्होंने कह दिया कि उन्होंने शराबबंदी की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

सच यह है कि सरकार ने शराब सस्ती करने तथा शराब बिक्री के विस्तार का निर्णय लिया है। इससे पहले वे शिवराज, वीडी शर्मा को संत बता चुकी हैं। पहले वे कहती थीं कि वे शराबबंदी करा कर ही दम लेंगी। साफ है कि वे भ्रमित हैं। शराबबंदी पर बोलती भी हैं, सरकार की तारीफ भी करती रहती हैं। लगता है, भाजपा नेतृत्व नाराज न हो जाए, उन्हें इसका डर भी है।

क्या अपने विधायक से सबक सीखेगी कांग्रेस….

– इंदौर से कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला ने भाजपा के साथ मतदाताओं को भी दुविधा में डाल दिया है। शुक्ला ने अपने विधानसभा क्षेत्र में एक अभियान शुरू कर रखा है। वे हर माह अपने क्षेत्र के एक वार्ड से 600 लोगों को अयोध्या की यात्रा अपने खर्च से कराते हैं। यात्रा चार दिवसीय होती है। शुक्ला खुद श्रद्धालुओं के साथ जाते हैं और राम मंदिर दिखाकर राम लला के दर्शन व पूजा-अर्चना कराते हैं।

इस शनिवार को उनके क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 5 के 6 सौ लोग अयोध्या के लिए रवाना हुए हैं। इनका आना-जाना, घूमना-फिरना, खाना-पीना तथा दर्शन आदि सब फ्री होगा। शुक्ला के अभियान से कई सवाल खड़े होते हैं। पहला यह कि ऐसे में मतदाता भगवान राम के नाम पर वोट शुक्ला को दें या भाजपा को। दूसरा, भाजपा नेताओं के सामने असमंजस यह है कि वे शुक्ला के इस अभियान का विरोध करें तो कैसे?

तीसरा और सबसे प्रमुख क्या कांग्रेस के अन्य नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों को शुक्ला के इस अभियान से सबक नहीं लेना चाहिए? धर्म के नाम पर भाजपा को कोसने की बजाय क्या कांग्रेस को भी इस तरह के अभियान नहीं चलाना चाहिए। बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तीर्थ दर्शन के नाम पर अपना बड़ा वोट बैंक पहले ही तैयार कर चुके हैं।

परंपरागत वोट साधने में अटका कांग्रेस का कांटा….

– प्रदेश भाजपा जहां अपना वोट प्रतिशत 51 करने के लिए ताकत झोंक रही है, वहां कांग्रेस का कांटा अपना परंपरागत वोट बैंक साधने पर ही अटका है। वजह इस वोट बैंक का दूसरे दलों की ओर खिसकना है। अब कांग्रेस अनुसूचित जाति वर्ग को साधने की तैयारी में है। इसके लिए संत रविदास की जयंती के अवसर पर 16 फरवरी को सागर के कजलीवन मैदान में बड़ा दलित सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया है।

बुंदेलखंड के संभागीय मुख्यालय सागर का यह सबसे बड़ा मैदान है। कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश प्रमुख सुरेंद्र चौधरी सागर से ही हैं। चौधरी तथा कांग्रेसजनों के सामने मैदान को भरने की चुनौती होगी। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बुंदेलखंड में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन तीन विधायक गोविंद सिंह राजपूत, प्रद्युम्न सिंह लोधी एवं राहुल लोधी पार्टी छोड़ चुके हैं। बुंदेलखंड में अजा वर्ग की तादाद अच्छी खासी है।

इसे ध्यान में रखकर भी यहां सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया है। दूसरा, उत्तप्रदेश में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं, बुंदेलखंड का आधा हिस्सा इस प्रदेश में है। सम्मेलन के जरिए उप्र के अजा वर्ग को भी मैसेज देने की कोशिश की जा सकती है। आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश कांग्रेस पहले से कर रही है।