भारत-अमेरिका रिश्तों की जटिल दास्तां: दोस्ती, नीतियां और भविष्य की राह

585

भारत-अमेरिका रिश्तों की जटिल दास्तां: दोस्ती, नीतियां और भविष्य की राह

– राजेश जयंत

भारत-अमेरिका के बीच रिश्ते दशकों से एक ‘खास’ साझेदारी के रूप में देखे जाते रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में इस रिश्ते को ‘बहुत खास’ बताया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना हमेशा का दोस्त करार दिया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दोनों देशों के रिश्तों में दरार नहीं है, हालांकि मोदी के कुछ कदम उन्हें पसंद नहीं आए। वहीं, ट्रंप के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने इन रिश्तों को अलग नजरिए से देखा है। बोल्टन ने दावा किया है कि ट्रंप और मोदी की गहरी दोस्ती खत्म हो चुकी है और उनकी नीतियों ने भारत-अमेरिका सहयोग को पिछली स्थितियों में पहुंचा दिया है। इन दो अलग-अलग नजरियों से एक जटिल परिदृश्य उभरता है, जिसमें दोस्ती और राजनीति के बीच संतुलन बायें-दायें हो रहा है।

IMG 20250906 WA0034

“दोस्ती और व्यक्तिगत समीकरण”  

ट्रंप ने मीडिया से कहा कि मोदी एक महान प्रधानमंत्री हैं और भारतीय-अमेरिकी रिश्ते “बहुत खास” हैं। उनका कहना है कि मोदी के कुछ फैसले उन्हें इस वक्त रास नहीं आ रहे, लेकिन इससे रिश्ते प्रभावित नहीं होते। इस बयान से लगता है कि ट्रंप पाकिस्तान की तुलना में भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते को बनाए रखना चाहते हैं। पर बोल्टन के मुताबिक, ट्रंप निजी दोस्ती के आधार पर देश के रिश्ते नहीं देखते, वे अक्सर नेताओं के व्यवहार को पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से अलग कर देते हैं। इस वजह से मोदी और ट्रंप की दोस्ती खत्म हो चुकी है और यह दोस्ती अब वास्तविक दशकों पुराने रणनीतिक झगड़े से कहीं दूर नहीं।

IMG 20250906 WA0036

“नीतिगत विभाजन और व्यापार”  

ट्रंप ने भारत समेत कई देशों के साथ अमेरिका के व्यापार समझौतों में “अच्छी प्रगति” बताई, लेकिन साथ ही भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर असंतोष भी जताया। ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भारत के खिलाफ व्यापारिक आलोचनाओं ने न केवल भारत को नाराज किया बल्कि उसे रूस व चीन के करीब ले गए हैं। बोल्टन ने भी कहा कि यह ट्रंप प्रशासन की बड़ी गलती थी, जिसने भारत को चीन और रूस की ओर मोड़ दिया। इस आर्थिक और रणनीतिक टकराव ने दोनों देशों के बीच भरोसे और समझदारी को प्रभावित किया। अब सवाल यह उठता है कि क्या दोनों देश इस गतिरोध से बाहर आ पाएंगे?

IMG 20250906 WA0037

“भविष्य की दिशा”  

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा कि भारत-अमेरिका के साझेदारी के आधार में लोकतांत्रिक मूल्य, साझा हित और लोगों के बीच मजबूत रिश्ते हैं। वहीं, ट्रंप ने अंतर्मन में सुनिश्चित किया कि वे भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करते रहेंगे। लेकिन बोल्टन के बयान से पता चलता है कि केवल दोस्ती के भरोसे चलने वाली कूटनीति लंबे समय तक टिकती नहीं। वैश्विक स्तर पर अमेरिका-भारत की रणनीतिक नीतियों, व्यापार, और सुरक्षा हितों में तालमेल जरूरी होगा।

ट्रंप के ‘खास रिश्ते’ और बोल्टन के ‘खत्म होती दोस्ती’ के बीच भारत-अमेरिका संबंधों का चित्र मिश्रित है। जहां व्यक्तिगत संबंध मजबूत बने रहने की उम्मीद है, वहीं नीतिगत असहमति और व्यापार विवाद ने रिश्तों में तनाव लाया है। दोनों देशों के सामने अब यह बड़ा चैलेंज है कि वे व्यक्तिगत मैत्री और नीतिगत वास्तविकताओं के बीच संतुलन बना कर सहयोग की राह तलाशें। तभी यह ‘खास संबंध’ भविष्य में भी फल-फूल सकेगा।