
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड सनातन के अंतर्गत है सनातन धर्म का पहला काम यज्ञ है: स्वामी प्रणवानंदजी
विश्व कल्याण की भावना से 72वें महारूद्र यज्ञ का हुआ शुभारम्भ!
Ratlam : महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर), स्वामी किशोर चेतन्यजी महाराज (ओंकारेश्वर), स्वामी श्री देवस्वरूपानंदजी, स्वामी आत्मानंदजी सरस्वती, यज्ञ यजमान श्रीमती गायत्री, संजय सोनी (अप्पू) ने त्रिवेणी तट पर सनातन धर्म की ध्वजा का पूजन कर ध्वजा फहराई।
गुरुवार को प्रात: त्रिवेणी के पावन तट पर सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में यज्ञाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा व 21 भूदेवों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ में मुख्य यजमान संजय सोनी दम्पत्ति स्वामी महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर), स्वामी श्री देवस्वरूपानंदजी, स्वामी आत्मानंदजीसरस्वती के सानिध्य में ध्वजवंदन तथा हवन कुंड में अग्नि प्रवेश कराया।

इस दौरान धर्म क्षैत्र परिसर में हर हर महादेव और सनातन धर्म की जय हो, अग्नि नारायण की जय हो के जयकारों से गुंज उठा। ध्वज वंदन और अग्नि प्रवेश के पश्चात संतों का आशीवार्द धर्मालुजनों ने लिया।

श्री सनातन धर्म सभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति ने संतों का स्वागत सम्मान किया। धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए महामण्डेलश्वर स्वामी प्रवणानंदजी (श्री मार्कण्डेय आश्रम ओंकारेश्वर) ने कहा कि यज्ञ की बड़ी महिमा होती है। वैदिक मंत्रो और पंरम्पराओं से किया गया यज्ञ परमात्मा की प्राप्ति का साधन है। यज्ञ के माध्यम से जीवन के उत्थान का मार्ग प्रशस्त होता हैं। यज्ञ से आपको ऐसी शक्ति प्राप्त हो ताकि आप अपने उद्देश्य को प्राप्त कर सकें।
संत ने कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड सनातन के अन्तर्गत है सनातन धर्म मेें पहला काम यज्ञ है। यज्ञ सम्पूर्ण ब्रह्मांड को ऊर्जा देने वाली नाभी है। सनातन वहीं है जो कभी खत्म नहीं होता है । महाप्रलय में भी सनातन रहता है। वेद एवं धर्म की हमेशा स्वयं रक्षा करनी होती है तभी वेद और धर्म हमारी रक्षा करते है। जहां कहीं भी धर्म पर कोई आघात होता है वहां हमारे धर्माचार्य धर्म की रक्षा करने के लिए आगे आते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण भी पांडव के साथ इसलिए आए क्योंकि वहां धर्म था। हम अपने आप और अपने परिवार को सुधारें, संस्कारवान बनाए तो समाज में अपने आप सुधार हो जाएगा। धर्म सभा को स्वामी किशोरचेतन्यजी महाराज (ओंकारेश्वर), स्वामी श्रीदेवस्वरूपानंदजी ने भी सम्बोधित किया।
शहर के प्रथम नागरिक महापौर प्रहलाद पटेल ने कहा कि पुराणों में जो लिखा है वह प्रमाणित है। हमको उसका ध्यान रखना चाहिए कि हम सनातनी है। उन्होंने त्रिवेणी क्षैत्र में निर्माणाधीन संत निवास के बारे में जानकारी दी। इस अभूतपूर्व पर्व की शुरूआत पूवर्जों ने की और उसी पंरपरा को हम निरंतर निर्वहन करते जा रहे हैं।
इससे समाज को सनातन धर्म से जोड़ने का प्रयास करते है। महारूद्र यज्ञ में रतलाम के सभी सनातन समाज का सहयोग रहता है। हमें सदैव संतो का आशीर्वाद मिलता रहता है। श्री सनातन धर्म सभा एवं महारूद्र यज्ञ समिति अध्यक्ष अनिल झालानी ने सम्बोधित करते हुए महारूद्र यज्ञ के बारे में विस्तृत जानकारी दी। संचालन ब्रजेन्द्रनंदन मेहता एवं आभार पुष्पेन्द्र जोशी ने माना!
देखिए वीडियो: क्या कह रहे हैं, अनिल झालानी-





