धर्म का सार है-अपरिग्रही, अहिसंक और अनेकांतवादी होना- प्रवर्तकश्री

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रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

Ratlam: परमात्मा कभी एकान्तवादी धर्म का प्रतिपादन नहीं करते।उन्होंने सदैव अनेकांतवाद पर ही जोर दिया है।अपरिग्रही,अहिसंक और अनेकांतवादी होना ही धर्म का सार है।

यह बात मालव केसरी प्रसिद्ध वक्ता पूज्य गुरुदेव सौभाग्यमल जी मसा के सुशिष्य श्रमण संघीय प्रवर्तक पंडित रत्न पूज्य श्री प्रकाश मुनिजी मसा निर्भय ने कही।नोलाईपुंरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि परमात्मा ने जीवन जीने के लिए अपरिग्रही होने, रहने के लिए अहिंसक बनने और विचारधारा अनेकांतवादी रखने का संदेश दिया है।

परिग्रह, अहिंसक और अनेकांतवाद का स्वरूप जिसके जीवन में होता है, वह अनंत पुण्य का केंद्र होता है।

प्रवर्तकश्री ने कहा कि शंकालु होने के बजाए जिज्ञासु होने का आव्हान करते हुए कहा कि जिज्ञासा का समाधान मिलता है, लेकिन शंका का कोई अंत नहीं है। मिथ्यात्म सारे पापों की जड़ होता है, इससे आत्म कल्याण का मार्ग नहीं मिलता इसलिए जिज्ञासु बने और चिंतन करे। मिथ्यात्म टूटेगा, तभी व्यक्ति जयवंत बनेगा।

व्याख्यान के आरंभ में सेवाभावी पूज्य श्री दर्शन मुनिजी मसा ने विचार रखे। पूज्या महासती श्री महिमाजी, श्री चेतना जी, श्री लाभोदया जी, श्री चंदनबालाजी श्री रमणीक कुँवर जी, श्री कल्पना जी, श्री चंदना जी ने स्तवन प्रस्तुत किया। दीक्षार्थी शांतिलाल गांधी व ज्योति चैहान सहित कई श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

संचालन सुनील गांधी ने किया। अंत में श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव समिति द्वारा प्रभावना वितरित की गई। समिति ने बाहर से आए अतिथियों के आतिथ्य सत्कार का लाभ भी लिया।

प्रवर्तकश्री की निश्रा में मनेगी मालव केसरी की मासिक तिथि

मालव केसरी प्रसिद्ध वक्ता पूज्य गुरुदेव सौभाग्यमल जी मसा की मासिक पुण्यतिथि 26 मार्च को सागोद रोड स्थित श्री सौभाग्य जनसाधना एवं कल्याण परिसर में जप-तप के साथ मनाई जाएगी। इस मौके पर श्रमण संघीय प्रवर्तक पंडित रत्न पूज्य श्री प्रकाश मुनिजी मसा निर्भय की निश्रा में सुबह 8 से 9 बजे तक जाप होंगे। 9 से 10 बजे तक प्रवचन रखे गए है। इस दौरान रतलाम सहित आसपास के कई स्थानों से गुरूभक्त उपस्थित रहेंगे।