युवाओं की निगाहें जयशंकर पर थीं… उन्होंने दिल जीत लिया…

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युवाओं की निगाहें जयशंकर पर थीं… उन्होंने दिल जीत लिया…

17वें प्रवासी भारतीय दिवस के पहले दिन इंदौर में युवाओं का दिवस था। और सबसे बड़ी बात यह कि वक्ता सभी बड़े थे, लेकिन युवाओं की निगाहें केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर ही थीं। और जयशंकर ने अपनी सहज-सरल अभिव्यक्ति में युवाओं से वह सब कह भी दिया, जिसकी अपेक्षा थी। उन्होंने युवाओं का दिल जीत लिया।

केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कहे गए वाक्य “हमारा तो खून का रिश्ता है – पासपोर्ट का नहीं”। इस विचार ने प्रवासी भारतीय सम्मेलन के विचार को बल दिया। हम हर दो साल में एक परिवार की तरह मिलते हैं। आजादी के अमृत काल में हो रहे इस सम्मेलन में हम स्वतंत्रता के 100 वर्ष अर्थात वर्ष 2047 तक के रोड मैप पर विचार करें। यानि कि युवाओं की दृष्टि से आगामी 25 साल का रोडमैप तैयार कर उस पर क्रियान्वयन होगा, तो अगली पीढ़ी खुद को संघर्ष के लिए अनुकूलतम स्थिति में पा सकेगी।

 विदेश मंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा युग है जहां हम अपनी संभावनाओं के बारे में अधिक आश्वस्त हैं और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से जुड़ना चाहते हैं।युवा भारत की ऊर्जा तेजी से दिखाई दे रही है। हमारे प्रवासी भारतीयों ने पिछले 8 साल यानि मोदी काल में उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं।

केन्द्रीय मंत्री डॉ. जयशंकर ने बताया कि विश्व में सर्वाधिक प्रवासी भारत के हैं। यानि कि प्रवासी ठान लें, तब प्रवासी भारतीय वसुधैव कुटुंबकम् के भाव के साथ उस देश का भला भी करें और मूल देश भारत के प्रति भी मुस्कराहट का भाव रखें…तब भी भारत के विकास में चार चांद लगा सकते हैं। जयशंकर ने याद दिलाया कि कोविड के कठिन काल में भारत ने वैक्सीन मैत्री और वंदे भारत मिशन से संपूर्ण विश्व में सद्भावना का विस्तार किया। संदेश साफ यही कि यह भी भारतीय संस्कृति का वसुधैव कुटुंबकम् का ही भाव तो है। तो जयशंकर ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बढ़ी डिजिटल डिलीवरी और अधो-संरचना गतिविधियों के विस्तार ने भारतीयों के आत्म-विश्वास में वृद्धि की है। देश में सकारात्मकता का वातावरण है। भारत रहने, कार्य करने और पर्यटन के लिए बेहतर देश के रूप में उभर रहा है। यानि कि प्रवासी भारतीयों के लिए भारत बेस्ट डेस्टिनेशन है।

डॉ. एस. जयशंकर ने विदेश मंत्रालय द्वारा प्रवासी भारतीयों को दी जा रही सुविधाओं और उनसे संबंधित कार्यों की प्रक्रियाओं के सरलीकरण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी। सरकार के प्रयासों के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने ऑनलाइन सिस्टम से शिकायतों के निवारण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास प्रवासी भारतीयों का अधिकतम समर्थन करना है। हमारा उद्देश्य है कि ऑनलाइन तंत्र के माध्यम से शिकायतों का निराकरण किया जाए। हमें विश्वास है कि देश और विदेश में भारतीय युवा इस देश के विकास को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएंगे। उद्देश्य यही था कि युवा प्रवासी भारतीय विश्वास कर सकें कि भारत में उद्यमिता के लिए उन्हें वह सब मिलेगा, जिसकी वह अपेक्षा करते हैं। फिर युवाओं से आह्वान किया कि हमें विश्वास है कि देश और विदेश में भारतीय युवा इस देश के विकास को अधिक ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।

विदेश मंत्री ने बदलाव की‌ तस्वीर पेश करते हुए कहा कि हमारे कई दूतावास अब योग, नृत्य और संगीत की क्लास की पेशकश कर रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हम सभी से अमृतकाल पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया है। भारत हमारी आंखों के सामने इस तरह से बदल रहा है, जो अभूतपूर्व है। जयशंकर ने कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा डायस्पोरा है और अधिकांश प्रतिभाशाली लोग हैं।

जयशंकर ने भारत को दुनिया से जोड़ने के लिए भारतीय युवाओं की प्रशंसा की। कहा कि युवा पीढ़ी पढ़ाई, काम और विदेश यात्रा के जरिए भारत को दुनिया से जोड़ने में सबसे आगे है। सरकार बेहतर कार्यस्थल, अधिक सुरक्षित यात्रा और गैर-भेदभावपूर्ण सिस्टम तैयार करने पर जोर दे रही है। विदेश मंत्री के बतौर सबसे बड़ी लकीर खींच चुके जयशंकर अब देश ही नहीं, दुनिया में युवाओं के आइकॉन बन चुके हैं। और यह कहा जाए कि देश नहीं दुनिया के युवाओं की निगाह जयशंकर के प्रति विशेष भाव रखती है। ऐसे में उन्होंने जो विश्वास युवाओं में भरने की कोशिश की है, उसका असर आगामी दिनों में जरूर देखने को मिलेगा। 17वें प्रवासी भारतीय दिवस पर उपस्थित होकर युवा जयशंकर प्रवासी युवाओं के दिलों में अपने देश भारत के प्रति भरोसा भरते रहेंगे।‌ इसके लिए मध्यप्रदेश की धरती और इंदौर भी जयशंकर को भुला नहीं पाएंगे।