‘ मोदी’ के मन की फास…भ्रष्टाचार ने तोड़ा व्यवस्था के प्रति विश्‍वास…

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‘ मोदी’ के मन की फास…भ्रष्टाचार ने तोड़ा व्यवस्था के प्रति विश्‍वास…

जिस विकसित देश के सपने हम देख रहे हैं, उस तक पहुंचने के लिए हमें अभी बहुत कुछ करना है। आंतरिक और बाह्य सुधारों की एक लंबी फेहरिस्त है। हमें प्रतिबद्धता पैदा करनी है कि मेरी हर सांस और मेरा कण-कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है। पहले देश, फिर समाज और सबसे अंत में हमारा स्थान है। एक समय था जब लोग देश के लिए मरने के लिए प्रतिबद्ध थे और आजादी मिली। आज फिर ये समय है देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता का। अगर देश के लिए मरने की प्रतिबद्धता आजादी दिला सकती है तो देश के लिए जीने की प्रतिबद्धता समृद्ध भारत भी बना सकती है।

यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन के मूल भाव हैं, 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह पर लाल किले की प्राचीर से। इस ‘प्रतिबद्धता’ शब्द के मायने बहुत ही विस्तार लिए हैं, बहुत ही गहनता से भरे हैं और बहुत ही समर्पणता से सराबोर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दस साल की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि ‘यही बातें हैं जो आज 140 करोड़ देशवासियों का मन गर्व से भरा हुआ है, आत्मविश्वास से भरा हुआ है।’ तो उन्होंने विकसित भारत 2047 को लेकर भी देशवासियों की अपेक्षाओं की बात कही। तो आश्वस्त किया कि ‘हमें जिम्मेदारी दी गई और हमने बड़े रिफार्म्स जमीन पर उतारे। वह भी राष्ट्रहित सुप्रीम के भाव से, न कि किसी मजबूरी में। ये मेरा भारत महान बने इसी संकल्प को लेकर के हम कदम उठाते हैं।’ फिर नौजवानों के जरिए मोदी ने बताया कि ‘यह हमारा स्‍वर्णिम कालखंड है।’ इसी मौके को पकड़ करके अपने सपने और संकल्‍पों को ले करके चल पड़ेंगे तो हम देश की स्‍वर्णिम भारत की जो अपेक्षा और विकसित भारत 2047 का लक्ष्‍य हम पूरा करके रहेंगे।

वैसे मोदी के इस 11वें स्वतंत्रता दिवस ध्वजारोहण पर भाषण में सबसे महत्वपूर्ण बात यदि कुछ है, जिसको लेकर 21 वीं सदी में प्रतिबद्धता की खास परीक्षा है…तो वह है भ्रष्टाचार की मानसिकता को बदलने की। समाज की इस मनोरचना में बदलाव आज भी वास्तव में बहुत बड़ी चुनौती है। मोदी ने कहा कि हमारा हर देशवासी भ्रष्‍टाचार की दीमक से परेशान रहा है। हर स्‍तर के भ्रष्‍टाचार ने सामान्‍य मानव का व्‍यवस्‍थाओं के प्रति विश्‍वास तोड़ दिया है। उसको अपनी योग्‍यता, क्षमता के प्रति अन्‍याय का जो गुस्‍सा होता है, वो राष्‍ट्र की प्रगति में नुकसान करता है। और इसलिए मैंने व्‍यापक रूप से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। मैं जानता हूं, इसकी कीमत मुझे चुकानी पड़ती है, मेरी प्रतिष्‍ठा को चुकानी पड़ती है, लेकिन राष्‍ट्र से बड़ी मेरी प्रतिष्‍ठा नहीं हो सकती है, राष्‍ट्र के सपनों से बड़ा मेरा सपना नहीं हो सकता है। और इसलिए ईमानदारी के साथ भ्रष्‍टाचार के खिलाफ मेरी लड़ाई जारी रहेगी, तीव्र गति से जारी रहेगी और भ्रष्‍टाचारियों पर कार्रवाई जरूर होगी। मैं भ्रष्‍टाचारियों के लिए भय का वातावरण पैदा करना चाहता हूं ताकि देश के सामान्‍य नागरिक को लूटने की जो परम्‍परा रही है, उस परम्‍परा को मुझे रोकना है। लेकिन सबसे बड़ी नई चुनौती आई है, भ्रष्‍टाचारियों से निपटना तो है ही, लेकिन समाज जीवन में उच्‍च स्‍तर पर एक जो परिवर्तन आया है वो सबसे बड़ी चुनौती भी है और एक समाज के लिए सबसे बड़ी चिंता भी है। क्‍या कोई कल्‍पना कर सकता है कि मेरे ही देश में, इतना महान संविधान हमारे पास होने के बावजूद भी कुछ ऐसे लोग निकल रहे हैं जो भ्रष्‍टाचार का महिमामंडन कर रहे हैं। खुलेआम भ्रष्‍टाचार का जय-जयकार कर रहे हैं। समाज में इस प्रकार के बीज बोने का जो प्रयास हो रहा है, भ्रष्‍टाचार का जो महिमामंडन हो रहा है,भ्रष्‍टाचारियों की स्‍वीकार्यता बढ़ाने का जो निरंतर प्रयास चल रहा है, वो स्‍वस्‍थ समाज के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है, बहुत बड़ी चिंता का विषय बन गया है, भ्रष्‍टाचारियों के प्रति, समाज में दूरी बनाये रखने से ही किसी भी भ्रष्‍टाचारी को उस रास्‍ते पर जाने से डर लगेगा। अगर उसका महिमामंडन होगा, तो जो आज भ्रष्‍टाचार नहीं करता है, उसको भी लगता है कि ये तो समाज में प्रतिष्‍ठा का रंग बन जाता है, उस रास्‍ते पर जाने में बुरा नहीं है।

इसमें पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी ईमानदारी से यह स्वीकार कर रहे हैं कि भ्रष्टाचार खत्म करने की उनकी कोशिश कामयाब नहीं हो पाई है। पर बात जब प्रतिबद्धता की करें तो देश के हर नागरिक के मन में वही भाव होना चाहिए कि हमारा कण-कण मां भारती के लिए है। तब ही संभव है कि भ्रष्टाचार जैसा राक्षस न तो लोगों के दिलों में जिंदा रह पाएगा और न ही देश में यह जिंदा रहेगा। और दस साल के मोदी के शासन के बाद यह साफ हो गया है कि भ्रष्टाचार को केवल सरकारी प्रयासों से खत्म कर पाना बहुत दूर की कौड़ी है। अगर मोदी भी इसे खत्म करने में ईमानदारी बरतते हैं, तो उन्हें पहली कार्यवाही अयोध्या में कार्य करने वालों पर करनी होगी…जहां पहली ब॒रसात में ही राम के गर्भ गृह में पानी भर गया। और जहां पहली बारिश में ही सड़कों ने दम तोड़ दिया। डर पैदा करने में ऐसा उदाहरण सदियों तक याद किया जाएगा। पर भय पैदा करने पर भी भारी है संकल्प की शक्ति। अगर 140 करोड़ भारतवासी संकल्प कर लें कि मां भारती की सेवा में हर सांस ईमानदारी से लेनी है, तब हर काम अव्वल होगा और ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ का मंत्र चरितार्थ होगा।

और तब हम अपने मन में आश्वस्त हो सकेंगे कि अगर हमारे 40 करोड़ पूर्वज गुलामी की बेडि़यों को तोड़ सकते हैं,आजादी के सपने को पूर्ण कर सकते हैं, आजादी ले करके रह सकते हैं। तो 140 करोड़ देश के नागरिक, 140 करोड़ परिवारजन अगर संकल्‍प ले करके चल पड़ते हैं, एक दिशा निर्धारित करके चल पड़ते हैं, कदम से कदम मिलाकर, कंधे से कंधा मिलाकर अगर चल पड़ते हैं, तो चुनौतियां कितनी भी क्‍यों न हों, अभाव की मात्रा कितनी ही तीव्र क्‍यों न हो, संसाधनों के लिए जूझने की नौबत हो तो भी, हर चुनौती को पार करते हुए हम समृद्ध भारत बना सकते हैं।तो यह साफ है कि मोदी भी भ्रष्टाचार से मात खा रहे हैं। ‘मोदी’ के मन की फास यही है कि भ्रष्टाचार ने व्यवस्था के प्रति विश्‍वास तोड़ा है …अब हम सब देशवासी प्रतिबद्धता संग संकल्प लें तभी मां भारती की सच्ची सेवा और भ्रष्टाचार जैसे राक्षस का खात्मा संभव है ..

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