NGO पर कसेगा शिकंजा, अनुदान राशि दूसरे कामों पर खर्च की तो ब्याज के साथ अनुदान वापस लेगी सरकार

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आदिवासियों को साधने के लिए सरकार

भोपाल: सरकारी अनुदान के लिए खुल रहे स्वयंसेवी संगठनों पर सरकार शिकंजा कसने जा रही है। अब सरकार से जिस काम के लिए NGO अनुदान लेंगे उस राशि को उसी काम पर खर्च नहीं किया तो सात प्रतिशत ब्याज के साथ अनुदान वापस ले लेगी। एक ही काम के लिए दो अलग-अलग विभागों, एजेंसियो से अनुदान प्राप्त करने के लिए आवेदन करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को काली सूची मे डाला जाएगा और भविष्य में उन्हें अनुदान प्रदान करने पर रोक लगा  दी जाएगी।

खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने विभागीय गतिविधियों के लिए उपभोक्ताओं को जागरुक करने के नाम पर अनुदान और सहायता प्राप्त करने वाले स्वसहायता समूहों के लिए अनुदान नियमों को और अधिक  कड़ा कर दिया है। विभाग हर साल प्रदेश में  नापतौल उपकरणों में गड़बड़ी कर आमजन को कम सामग्री तोल कर देने, मिलावटी खाद्य सामग्री बेच कर लोगों को ठगने वाले व्यापारियों, मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने वाले स्वसहायता समूहों को उपभोक्ताओं को ठगे जाने से बचने के लिए जागरुक करने वाली गतिविधियों के आयोजन के लिए हर साल अनुदान देती है।

 *इन कामों के लिए मिलता है अनुदान-* 

प्रदेश के स्कूलों, कॉलेजों में उपभोक्ता जागरुकता के लिए काम करने स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों को उपभोक्ता क्लबों का संचालन करने, व्यापरियों मिलावटखोरो द्वारा ठगे जाने वाले उपभोक्ताओं को ठगी से बचाने के लिए उपभोक्ता समस्या के निराकरण के लिए उपभोक्ता मित्र के माध्यम से सलाह देने, मार्गदर्शन देने और कानूनी सहायता प्रदान करने हेतु खाद्य कार्यालयों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, एलईडी, इंटरनेट सुविधा, स्मार्अ टीवी उपकरणों की खरीदी के लिए अनुदान दिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण की योजनाएं चलाने वाले संगठनों को उपभोक्ता जागरुकता के लिए और उपभोक्ता  संरक्षण के लिए अध्ययन, अनुसंधान और मूल्यांकन करने, सेमिनार, प्रशिक्षण जैसे आयोजनों के लिए , हेल्पलाईन संचालन के लिए स्वयंसेवी संगठनों को  तीन साल में एक बार एक संस्था को अधिकतम तीस लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है। आमतौर पर सरकारी अनुदान लेने वाले स्वसहायता समूहों की यह शिकायत आती है कि वे सरकार से जिस काम के लिए अनुदान लेते है उसे पूरा नहीं करते। राशि जिस काम के लिए मिली है उस पर खर्च न कर दूसरे कामों पर खर्च कर देते है। इसलिए खाद्य विभाग ने अनुदान नियमों में NGO पर और अधिक कड़ाई कर दी है।

 *दर्पण पोर्टल पर पंजीयन कराना होगा-* 

अब इन स्वयंसेवी संगठनों को पहले एनजीओ दर्पण पोर्टल में पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर महिला, अनुसूचित जाति, जनजातिके क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं को वरीयता दी जाएगी। एनजीओ को तीन साल का अंकेक्षित प्रतिवेदन देना होगा।पदाधिकायों के विरुद्ध आपराधिक प्रकरणों की जानकारी देना होगा।तीन साल पुराना पंजीयन जरुरी होगा। तीन साल के उपभोक्ता संरक्षण के क्षेत्र में किए गए कामों का सत्यापन कराया जाएगा। पूर्व में दिए गए अनुदान की जानकारी ली जाएगी।

*राजनीतिक प्रचार में उपयोग नहीं कर पाएंगे संगठन-* 

संगठन सहायता राशि का राजनीतिक दल के प्रचार हेतु उपयोग नहीं कर पाएंगे। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर उपयोगिता प्रमाणपत्र देना होगा। अनुदान की शर्तो का पालन नहीं करने या उल्लंघन करने पर सात प्रतिशत ब्याज के साथ अनुदान राशि सरकार वापस ले सकेगी। यदि विभाग के अनुमोदन के बिना अनुदान राशि के लाभार्थियों को बदलने की अनुमति नहीं होगी। एक से अधिक स्रोतो से एक ही काम के लिए अनुदान प्राप्त करने पर और मुख्य पदाधिकारियों के आपराधिक प्रकरणों, सार्वजनिक निधि के दुरुपयोग की गतिविधियों में शामिल होंने, जाली खाते, दस्तावेजों का उपयोग कर अनुदान लेने पर ऐसे स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन को काली सूची में डाला जाएगा।