नागर से रूठ गए गुरु…रावत पर बरसी कृपा…

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नागर से रूठ गए गुरु…रावत पर बरसी कृपा…

गुरु पूर्णिमा के दिन अगर किसी के हिस्से में अपूर्णता आई, तो वह मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री नागर सिंह चौहान के हिस्से में। भारी भरकम विभागों के मंत्री नागर सिंह चौहान का कद विभागों के लिहाज से आसमान से गिरकर जमीन पर आ गया। आखिरकार जब कांग्रेस से भाजपा में आए वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत को मंत्री बनाया गया, तब ही यह तय था कि बिना भारी भरकम विभाग दिए उनका सम्मान कायम नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में मंथन चलता रहा और चलते-चलते नागर सिंह चौहान के विभागों पर आकर अटक गया। फिर क्या था, नागर सिंह चौहान के कद पर कैची चल गई। विभागों का बंटवारा कर दिया गया। वन एवं पर्यावरण रामनिवास रावत के हिस्से में आ गया, तो अनुसूचित जाति कल्याण विभाग बचा आदिवासी विधायक नागर सिंह के हिस्से में।

नागर सिंह चौहान भारतीय जनता युवा मोर्चा की कार्य समिति के सदस्य और नगरपालिका अलीराजपुर के अध्यक्ष रहे हैं। वे वर्ष 2003 में पहली बार, वर्ष 2008 में दूसरी बार, 2013 में तीसरी बार तथा वर्ष 2023 में चौथी बार विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। चौहान ने 25 दिसम्बर 2023 को कैबिनेट मंत्री की शपथ ग्रहण की। भाजपा के आदिवासी नेता अलीराजपुर विधायक नागर सिंह चौहान का राजनीति में प्रवेश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जरिये हुआ था।अलीराजपुर विधायक नागरसिंह चौहान को प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया था। नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान को लोकसभा का टिकट मिलने पर नागर का कद आसमान पर पहुंच गया था। परिवारवाद की विरोधी भाजपा में एक ही परिवार के दो सदस्यों को तवज्जो मिलने के ऐसे गिने-चुने उदाहरण हैं। और अनीता लोकसभा चुनाव में सांसद के तौर पर चुनी गई हैं। वह झाबुआ रतलाम लोकसभा सीट से सांसद बनी हैं। पर इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि नागर के पर कतरे जाते। एक आदिवासी नेता का कद कम होने से इस वर्ग में असंतोष होना स्वाभाविक है। दो दिन पहले ही जयस के संस्थापक सदस्य महेंद्र कन्नौज को भाजपा में शामिल किया गया था, तब नागर सिंह चौहान भी भाजपा कार्यालय में मौजूद थे। पर उन्होंने तब यह नहीं सोचा होगा कि गाज उनके विभागों पर गिरने वाली है। पर यह माना जा रहा है कि पत्नी के सांसद बनने के बाद मंत्री नागर का कद कम होना नियति बन गई थी। और यही कारण है कि नागर सिंह चौहान के विभाग में कटौती करके उन्हें अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली विभाग दिया गया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि भाजपा में एक व्यक्ति एक पद के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। इसी कारण नागर सिंह चौहान को अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली विभाग दिया गया है। पर विभाग की कटौती के बाद खुद नागर सिंह का ह्रदय विषाद से भर गया। प्रशंसकों ने फोन लगाकर परिवर्तन की पुष्टि करने और जिज्ञासा शांत करने की कोशिश की तो मोबाइल बंद पाया।

दूसरी तरफ गुरु पूर्णिमा पर पिछले तेरह दिन से बिना विभाग के कैबिनेट मंत्री रामनिवास रावत गुरु कृपा से पूर्णता को प्राप्त हो गए। कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने के 13 दिन बाद आखिरकार रामनिवास रावत को विभाग मिल ही गया। उन्हें वन एवं पर्यावरण जैसे भारी भरकम विभाग का मंत्री बनाया गया है। रामनिवास रावत ने 8 जुलाई 2024 को राजभवन में आयोजित शपथ कार्यक्रम में पहले राज्य मंत्री और 15 मिनट बाद ही कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। उसी के तत्काल बाद उन्हें मंत्रालय में कार्यालय के लिए कमरा आवंटित हो गया था। पर अब तक वह बिना विभाग के मंत्री थे। रविवार को गुरु पूर्णिमा के दिन 21 जुलाई 2024 को उन्हें विभाग भी मिल गया। विजयपुर विधानसभा सीट से 2023 की विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से जीते रामनिवास रावत छह बार के विधायक हैं। रावत ने 1986 में भारतीय युवा कांग्रेस के माध्यम से राजनीति में प्रवेश किया। वे पहली बार 1990 में और फिर 1993 में विजयपुर से विधायक चुने गए। रावत को 1993 में दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया। इसके बाद, उन्होंने 2003, 2008 और 2013 में विजयपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीता। 2018 के विधानसभा चुनाव में, वे विजयपुर निर्वाचन क्षेत्र से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी से 2890 मतों से हार गए।2019 के लोकसभा चुनाव में, उन्होंने नरेंद्र सिंह तोमर के खिलाफ चुनाव लड़ा और मुरैना लोकसभा से 1,13,341 मतों से हार गए थे। 30 अप्रैल 2024 को एमपी के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में रावत भाजपा में शामिल हुए थे। प्रदेश की मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेने और कांग्रेस विधायक से इस्तीफे के बाद फिलहाल विजयपुर विधानसभा रिक्त है, पर रावत मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में पूर्णता से भर गए हैं।

फिर वही बात कि गुरु पूर्णिमा के दिन विभागों के लिहाज से अपूर्णता से भरे नागर सिंह चौहान फिलहाल यही गीत गुनगुना रहे होंगे कि ‘हमसे क्या भूल हुई, जो ये सजा हमको मिली…’, तो राम निवास रावत यही भज रहे होंगे कि गुरु ऐसी ही कृपा बरसाते रहना…।