छतरपुर: पंचायती राज के साथ ही महिला संशक्तिकरण के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने महिला जनप्रतिनिधियों के पतियों, रिश्तेदारों द्वारा सरकारी काम में दखल खत्म करने का निर्णय मध्य प्रदेश शासन के पंचायतीराज ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर महिला सरपंचों के शासकीय काम में पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया है।
अगर कोई पति व रिश्तेदार दखल देते पाया गया तो मेला सरपंच को पद से हटा दिया जायेगा। इस नये आदेश की जहां महिलाये सराहना कर रही हैं। वहीं सरपंच पतियों की परेशानी बढ़ गयी है।
साथ ही सरकार ने पंचायत सचिवों को निर्देश दिये हैं कि पंचायत से जुड़े किसी भी काम में पति या रिश्तेदार शामिल न हो अगर महिला सरपंच, पंचो की जगह शामिल होते हैं तो उसकी पत्नी को पद से हटा दिया जायेगा।
सरकार का कहना है कि महिला जनप्रतिनिधियों की ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका को मजबूत करने के लिये यह बेहद जरूरी है।
●पत्नियों की जगह पतियो ने ली थी शपथ..
हाल ही में संपन्न पंचायत चुनावों में महिला सरपंचों की जीत के बाद दमोह और सागर में महिला सरपंच की जगह उनके पति शपथ ले रहे थे। यह मामला सामने आने के बाद दोनों जगहों के सचिव को निलंबित कर दिया गया।
महिलाओं को बढ़ावा देने वाले निखिल शर्मा बताते हैं कि कई पति अपनी पत्नियों को सरपंच बनवाकर पंचायत पर राज करने लगते है। मध्य प्रदेश सरकार का यह आदेश निश्चित रूप से महिलाओं को मजबूत करेगा।
●इतनी बड़ी संख्या में पहली बार महिलाये जीती है..
प्रदेश की 22924 पंचायतों में से 12600 सरपंच महिला जीती यही नहीं 712 मे निर्विरोध सरपंच चुनी गई है जिसमें 444 महिलाये हैं। निर्विरोध महिलाएं इतनी बड़ी संख्या में कभी नहीं जीती। अब यही महिलाएं विकासखंड स्तर पर विकास का खाका खींचेगी। इसी तरह 52 जिला पंचायतों में से 29 जिला पंचायतों में महिला अध्यक्ष हैं। जिन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है।
●विशेष वर्ग परेशान..
दिलचस्प बात तो यह है कि बिना कोई नौकरी मिले, कोई चुनाव लड़े सरपंच महिला का पति एस पी यानी सरपंच पति नये आदेश से परेशान हो गये हैं। और कोई न कोई जुगाड़ लगाकर हस्तक्षेप करने में दिमाग लगा रहे है। उनका कहना है कि इंडिया में कानून बनाने से पहले कानून तोड़ने का तरीका ईजाद कर लिया जाता है।
वहीं पंचायत जेब में रखकर चलने वाले दबंगों को जोर का झटका धीरे से लगा है। जो सरपंची के दम पर गांव में दबदबा बनाये रहते थे। कुल मिलाकर इस नये आदेश की महिलाओं के साथ बुद्धिजीवियों ने सराहना की है उम्मीद है। कि इस कानून को सख्ती के साथ अमल में लाया जायेगा।