जमीन हवाई अड्डे की, कब्जा महापौर का ?आखिर चल किस की रही है ?

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जमीन हवाई अड्डे की, कब्जा महापौर का ?आखिर चल किस की रही है ?

कीर्ति राणा

🔹जमीन हवाई अड्डे की, कब्जा महापौर का

सतना में प्रस्तावित हवाई अड्डे की जमीन का कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरु हुई तो पता चला कि यह जमीन तो महापौर योगेश ताम्रकर और अन्य 70 लोगों के नाम है। हवाई अड्डे की जिन जमीनों को विधि विपरीत निजी कर दिया गया था उन्हें वापस शासकीय करने नोटिस तामील करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। एसडीएम ने महापौर सहित इन सभी लोगों को नोटिस तामिल किये हैं। अब महापौर और बाकी लोगों से जमीन का कब्जा लेने की कार्रवाई चल रही है।

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🔹आखिर चल किस की रही है ?
जिले के जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की समन्वय बैठक में जनप्रतिनिधियों की नाराजी रही की शहर में चाहे मेट्रो के निर्माण कार्य हों, स्टेशन के स्थान तय करना हो, सड़कों की दुर्दशा हो शहर का सत्यानाश करने के लिये नगर निगम, प्रशासन और पुलिस सहित अन्य विभागों को दोषी ठहराया। बैठक में जब जनप्रतिनिधियों के तीखे तेवर थे तब वहां व्यवस्था में लगे कर्मचारी फुसफुसा रहे थे-जब काम की मंजूरी से लेकर निर्माण प्रक्रिया चल रही थी, तब जनप्रतिनिधि क्या कर रहे थे।यदि जनप्रतिनिधियों की इतनी भी नहीं सुनी जा रही है तो फिर इंदौर में चल किस की रही है। क्यों कि समन्वय समिति की बैठक में विभिन्न कार्यों की लागत में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव तैयार हुए हैं तो इन प्रस्तावों की मंजूरी भी खटाई में पड़ सकती है।

🔹प्रदेश में अंबानी का पहला चिड़ियाघर बनेगा सीएम के गृहनगर में

सीएम के गृहनगर में चिड़ियाघर-सह-सफारी केंद्र की स्थापना के लिए विस्तृत कार्य योजना (डीपीआर) रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की ‘ग्रीन्स जूलाजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर समिति’ बना रही है। तैयारियों को लेकर उनकी टीम ने योजना के लिए चिह्नित उज्जैन में मक्सी रोड स्थित 80 हेक्टेयर में फैली नौलखी बीड का निरीक्षण भी रिलायंस ग्रुप की टीम ने किया। डीएफओ अनुराग तिवारी को आश्वस्त किया कि वे शीघ्र ही डीपीआर बनाकर प्रस्तुत करेंगे।
यह महत्वाकांक्षी परियोजना लगभग 300 करोड़ रुपये से 80 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित होगी। इसके लिए 25 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि मंजूर भी जा चुकी है। प्रस्तावित योजना के अनुसार नौलखी बीड पर बनने वाले इस चिड़ियाघर-सफारी में बाघ, सफेद बाघ, तेंदुआ, चीता सहित बड़े जीवों के लिए 47 विशेष बाड़े होंगे। साथ ही छोटी प्रजातियां, पक्षी, प्राइमेट, सरीसृप, एक तितली गुंबद, मछली घर, बचाव केंद्र और पशु चिकित्सा अस्पताल की भी व्यवस्था रहेगी। यह परियोजना प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के प्रमुख वन्यजीव संरक्षण स्थलों में शुमार हो सकेगी।

🔹छात्रों का डर भगा रहे हैं कलेक्टर
उज्जैन को तंत्र-मंत्र का शहर भी माना जाता है ऐसे में उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह यदि छात्रों का डर भगाने का काम करे तो चर्चा होगी ही। कलेक्टर जादू-टोना नहीं जानते, वो तो अपने ज्ञान के प्रकाश से यह काम कर रहे हैं। 2015 बैच के आईएएस रोशन सिंह आईएएस का ख्वाब देखने वाले छात्रों की हर रविवार क्लास लेते हैं। इस एक घंटे की स्पेशल क्लास में वे यूपीएससी, पीएससी, एसएससी, बैंक और सेना में प्रवेश के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को सिखा रहे हैं कि अनुशासन के साथ लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जाता है। इससे पहले वे
विदिशा कलेक्टर थे, वहां भी समय मिलते ही हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के बच्चों को गणित, विज्ञान और कॉमर्स पढ़ाते थे।

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🔹जोगी के पदचिन्हों पर चल पड़े वर्मा
इंदौर में कलेक्टर रहे और मप्र के विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ के पहले सीएम बने अजित जोगी ने इंदौर जिले के गांवों में पहुंचने, ग्रामीणों की समस्या सुनने, रात्रि विश्राम गांव में ही करने की शुरुआत की थी।उनकी पद चिह्नों पर कलेक्टर शिवम वर्मा भी चल पड़े हैं। कलेक्टर वर्मा भी संबंधित अधिकारियों के साथ बाइग्राम पंचायत के गांव गाजिन्दा पहुंच गए। बाइग्राम पंचायत जिले की ऐसी अनूठी पंचायत है, जहां गांव सरकार में सरपंच से लेकर पंच तक की सारी जिम्मेदारी महिलाओं के हाथों में है। रात्रि चौपाल के दौरान लोगों के बीच बैठकर उनकी समस्याएं सुनी। लोगों ने उन्हें पानी, सड़क, शिक्षा, आवास, खेती-बाड़ी सहित अन्य क्षेत्रों की मैदानी समस्याएं बताईं। रात करीब 8 बजे तक चली चौपाल में कलेक्टर वर्मा ने ग्रामीणों की परेशानी सुनी। साथ ही उचित निराकरण की बात कहीं।

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🔹आखिर तोड़फोड़ का मुहूर्त निकल ही गया
मास्टर प्लान की 23 सड़कों के लिये जो पक्के निर्माण तोड़े जाने थे इसकी रूप रेखा तो बहुत पहले तय हो गई थी। कलेक्टर, कमिश्नर, निगमायुक्त, प्राधिकरण सीईओ बदलने के बाद ही मुहूर्त निकला। मास्टर प्लान वाली शहर की प्रमुख 23 सड़कें 24 मीटर, 30 मीटरर और 18 मीटर चौड़ाई के बनाई जानी हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इन निर्माण कार्यों की राशि भी जारी कर दी गई है। जिन क्षेत्रों में चौड़ीकरण का अभियान चल रहा है वहां के रहवासियों को बहुत पहले नोटिस दिए जा चुके हैं, जनप्रतिनिधि अभियान रुकवा तो नहीं सकते प्रभावितों को अन्यत्र आवास दिलाने का आश्वासन ही दे सकते हैं। नगर निगम प्रशासन को यह भी आशंका थी कि अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को रोकने के लिए पीड़ित पक्ष की तरफ से हाई कोर्ट में अपील की जा सकती है इसलिए निगम द्वारा पहले से ही हाई कोर्ट में कैविएट दायर की गई है ।

🔹निगमायुक्त की तेज गति में
बैठकों के स्पीड ब्रेकर !
नगर निगम आयुक्त दिलीप यादव नगर निगम के ऐसे पहले आयुक्त हैं जो चाहे जब निगम के कार्यों, सड़कों के गड्डे भरने आदि का काम देखने मौके पर पहुंच जाते हैं। सक्रियता की ये अपेक्षा तो जनप्रतिनिधियों से की जाती है, निगमायुक्त की इस शैली को पहले महापौर ने अपनाया फिर मंत्री विजयवर्गीय भी आधी रात में पहुंच गए सड़क निर्माण देखने।
निगमायुक्त और महापौर के बीच चल रहे कोल्डवॉर पर नजर रखने वालों को यह बदलाव भी समझ आने लगा है कि अब महापौर ने नगर निगम के कार्यों को लेकर विधानसभावार पार्षदों के साथ बैठक शुरु कर दी है। इस बैठक में पार्षदों के साथ उनके प्रतिनिधि और परिवार के सदस्य भी शामिल हो रहे हैं। जाहिर है ऐसी बैठकों में निगमायुक्त से लेकर उनकी टीम के बाकी अधिकारियों पर ही गुस्सा निकलता है।एक तरह से ये बैठकें निगमायुक्त की गाड़ी की तेज गति को रोकने में स्पीड ब्रेकर का काम भी कर रही हैं।

🔹केंद्र चाहे तो किसानों से सीधे खरीदे गेहूं-धान
किसानों के प्रति समर्पित रहने वाली प्रदेश सरकार ने गेहूं और धान की खरीदी करने से साफ इंकार कर दिया है। केंद्र सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय मंत्री प्रहलाद जोशी को लिखे इस पत्र में केंद्र से गेहूं और धान की सीधी खरीदी करने का आग्रह किया है। सीएम द्वारा लिखे गए पत्र में प्रदेश के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के 72177 करोड़ रुपए के कर्ज का हवाला भी दिया गया है। अब केंद्र सरकार को इस पर निर्णय लेना है। मप्र में गेहूं और धान की खरीदी की वर्तमान व्यवस्था चलती रहेगी या इसमें बदलाव होगा, अब यह केंद्र तय करेगा। अभी तक प्रदेश का नागरिक आपूर्ति निगम किसानों से फसल खरीद कर केंद्र सरकार के भारतीय खाद्य निगम को भेजता था। एमपी सरकार इस विकेंद्रीकृत व्यवस्था को बदलना चाहती है। इस व्यवस्था से राज्य सरकार इससे अलग होना चाहती है यानी किसानों से गेहूं, धान खरीदने में प्रदेश के नागरिक आपूर्ति निगम की कोई भूमिका नहीं रहेगी

🔹महिला पटवारी ने चांटा मारा
सीहोर जिले के बुदनी के भैरूंदा गांव में महिला पटवारी ने युवती को थप्पड़ जड़ दिया।हुआ यूं कि
पांचोर की रहने वाली युवती साक्षी अपने मामा सुरेश के साथ हल्का पटवारी अंकिता धुर्वे के पास पहुंची थी। जब साक्षी ने समस्या बताई तो पटवारी अंकिता धुर्वे आनाकानी करने लगीं और काम को टालने लगीं। आवेदक ने जब कारण पूछा तो संतोषप्रद जवाब ना देते हुए उसे थप्पड़ मार दिया। अब बात सीएम तक पहुंच गई है।

🔹भाई आयपीएस तो अब बहन आयएएस
भोपाल की पल्लवी मिश्रा बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी परीक्षा में 73वीं रैंक लाकर आईएएस अधिकारी बन गई हैं। सीनियर एडवोकेट अजय मिश्रा की बेटी पल्लवी की डॉ. रेणु मिश्रा एक सीनियर साइंटिस्ट हैं। उनके आईपीएस भाई आदित्य मिश्रा फिलहाल बालाघाट जिले के एसपी हैं। पल्लवी अपने शुरुआती प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास नहीं कर पाईं लेकिन अपने दूसरे प्रयास में बिना किसी कोचिंग की मदद के 73वीं रैंक हांसिल की। अभी वे नॉर्थ गोवा में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर पोस्टेड हैं।

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🔹बिछड़ों को मिला रहे हैं बड़वानी के अजित जैन
बड़वानी के अजित जैन को खोया-पाया सेंटर संचालक भी कहा जाए तो गलत नहीं होगा।अपने इस सेवा कार्य से अब तक वे सवा दो सौ से अधिक गुमशुदा लोगों को उनके परिजनों तक पहुंचा चुके हैं। बड़वानी के ग्राम पिछोड़ी में एक घूम रहे एक मानसिक रोगी के घूमने की सूचना मिली तो अजित जैन और रोटरी क्लब सचिव ललित जैन ने उसकी जानकारी जुटाई तो पता चला कि सोनू सुरेश यादव निवासी लंगर टोली पटना बिहार का है। अजित जैन ने उसकी जानकारी सोशल मीडिया पर जारी करने के साथ ही बिहार चुनाव में प्रचार के लिए गए क्षेत्रीय सांसद गजेंद्रसिंह पटेल और ग्राम तलवाड़ा डेब के रवि प्रजापत को भी दी। सोनू यादव के भाई बिहार से बड़वानी पहुंचे और उसे लेकर गए।

🔹सवा लाख पेड़ कटना तय
रेलवे की महू-खंडवा आमान परिवर्तन परियोजना के महू-सनावद खंड के निर्माण के लिए इंदौर और खरगोन जिलों में फैले घने जंगलों में कुल 1.41 लाख पेड़ कटना तय है। वन मंडलाधिकारी प्रदीप मिश्रा की मानें तो इनमें से 1.24 लाख पेड़ तो कटने ही हैं, लेकिन हम अन्य पेड़ों को बचाने की पूरी कोशिश करेंगे। पहाड़ी क्षेत्र में रेल लाइन के लिए सुरंगें बनने के कारण भी कई पेड़ बच जाएंगे। पेड़ काटने के लिए केंद्र सरकार की सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है और तय औपचारिकताओं के बाद इसकी अंतिम स्वीकृति जारी की जाएगी।