सिद्धा को नहीं नौंचेगे खनन गिद्धा ..

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पिछले दो दिनों से चल रहे सिद्धा जैसी सिद्ध पहाड़ी पर खनन के मामले पर विराम लग गया है। विपक्ष के कोहराम मचाने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सतना प्रशासन को निर्देश देकर सिद्धा पहाड़ी पर खनन न करने का फरमान जारी कर दिया है। इससे विंध्य के कांग्रेस नेता अजय सिंह राहुल भैया को निराशा हाथ लगी होगी। तो भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी भी मायूस होंगे। आखिर आंदोलन का एक मुद्दा हाथ से छिटक गया है। फिर किसी मुद्दे की तलाश करनी पड़ेगी। वैसे चार सितंबर को जब मध्यप्रदेश सरकार भोपाल में शिक्षकों पर बड़ा कार्यक्रम आयोजित करेगी,तब कांग्रेस दिल्ली में महंगाई के खिलाफ बड़ी रैली में गरज-बरस रही होगी। पर बात बड़ी है कि राम की वनस्थली चित्रकूट में धार्मिक महत्व की पहाड़ी सिद्धा को फिलहाल खनन गिद्धा नहीं नौंच पाएंगे। पर कब तक…यह बड़ा सवाल है।
मध्यप्रदेश में सियासी पारा दिन-ब-दिन चढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का पथकर विक्रेताओं से मेलजोल का फार्मूला हिट हो रहा है। भोपाल से शुरू हुए इस शो में इंदौर में वैल्यू एडीशन होकर और बेहतर नजर आया। यहां मुख्यमंत्री की गोद में छोटे बच्चे की तस्वीर पथकर विक्रेताओं संग भावनात्मक रिश्तों को प्रगाढ़ करती नजर आई। पथकर विक्रेताओं के बच्चों के सांस्कृतिक परफोर्मेंस का नजारा भी नजर लगने वाला नजर आया। तो यहां एक अन्य कार्यक्रम में शिवराज का स्कूली बच्चों को आजादी की लड़ाई के संघर्ष का पाठ पढ़ाना भी रोचक और आकर्षण का केंद्र बन गया।
उधर विंध्य में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा के स्वागत की तस्वीरें छायी रहीं। कहीं छात्राओं ने तिरंगा हाथ में थाम राष्ट्रभक्ति सा माहौल बना दिया। तो कहीं प्रदेश अध्यक्ष के प्रति प्रेम में यह नारा गूंजा कि “सारा एमपी डोल रहा है, वीडी-वीडी बोल रहा है…।” तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने भरोसा जताया कि विंध्य की सभी सीटें इस बार पार्टी के खाते में आएंगीं। सीधी में बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा बोले कि मैं गर्व से कहता हूं कि विंध्य हमारी ताकत है और यह ताकत और बढ़ेगी। जहाँ कोई सीटें छूट गई है उनको भी जीतेंगे। इसी योजना और रचना के आधार पर संगठन की मजबूती और गरीब कल्याण की योजनाओं के आधार पर शत प्रतिशत विन्ध्य जीतेंगे।
उधर मप्र शासन के पूर्व मंत्री, विधायक और मप्र आदिवासी कांग्रेस विभाग के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष ओमकार सिंह मरकाम ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचकर पदभार ग्रहण कर लिया। मरकाम का नाम उन नेताओं में शामिल हैं, जो राहुल गांधी की सीधी पसंद माने जाते हैं। मरकाम ने दावा किया कि वह पार्टी के भरोसे पर खरा उतरेंगे। प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सरकार आदिवासी वर्ग के सहयोग से बनेगी। तो दु:ख जताया कि आज वह भाजपा नहीं रही, जो अटल जी और आडवाणी के समय थी। भाजपा अब केवल दो लोगों मोदी और शाह की रह गई है जो देश की संपत्ति को उद्योगपतियों को बेचने का काम कर रही है और देश की अर्थव्यवस्था को खोखला कर देश की जनता को गर्त में धकेल रही है। तो मरकाम आदिवासी सीटों को कांग्रेस की झोली में बचाए रखने में कितना दम भर पाते हैं, यह आगामी चुनाव ही साफ करेगा। पर नेता दमदार हैं और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे हैं।
और अब राज्य निर्वाचन आयोग ने बचे हुए 46 नगरीय निकायों में इसी माह चुनावों की तारीख घोषित कर दी है। इसके लिए सीमित क्षेत्रों में ही आचार संहिता लागू रहेगी। पर भाजपा-कांग्रेस को एक बार फिर आमने-सामने आने का पूरा मौका मिलेगा। बयानबाजी भी होगी और परिणामों पर विश्लेषण भी होता रहेगा। और तब आगामी विधानसभा चुनाव में बारह महीने ही शेष रहेंगे। और दावे दोनों ही दलों के यही कि सरकार हमारी बनेगी…। पर फिलहाल एक बात साफ है कि सिद्धा को 2023 तक तो गिद्धा नहीं नौच पाएंगे…और शायद उसके बाद भी।