राष्ट्र का महामंत्र वन्दे मातरम

241

राष्ट्र का महामंत्र वन्दे मातरम

डॉ तेज प्रकाश व्यास

“वंदे मातरम्” हमारे देश के राष्ट्रगीत के रूप में सुप्रसिद्ध है। “वंदे मातरम्” शब्द के उच्चारण ने स्वतंत्रता सेनानियों और आम जनता को अपने सिर पर लाठियाँ औऱ खुले बदन पर कोड़ों की मार सहने की शक्ति प्रदान की.इन्हीं शब्दों ने
अंग्रेज़ों के दिलों को क्रोध से भर दिया था। कर्जन के चेले, यानी कांगाल के गवर्नर ने “वंदे मातरम्” के उच्चारण पर कठोर प्रतिबंध लगा दिया था।
इस प्रतिबंध के परिणामस्वरूप “वंदे मातरम्” को देशव्यापी महत्त्व मिला। यह एक राष्ट्रीय महामंत्र बन गया। बंकिम चंद्र चटर्जी (1838–1894), जिन्हें बंकिम चंद्र चट्टोंपाध्याय के नाम से भी जाना जाता था. भारत के महान उपन्यासकार और कवियों में से एक थे।
भारत के राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” के रचयिता के रूप में बंकिम चंद्र अमर हैं। बंकिमचंद्र जी ने 7 नवंबर, 1875 को “वंदे मातरम्” गीत लिखा था। यह दिन कार्तिक शुक्ल नवमी का था.
यह गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण से रचा गया था।

WhatsApp Image 2025 11 07 at 21.44.01
यह गीत बंकिमचंद्र की प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक में वर्ष 1772 में मुसलमानों औऱ अंग्रेजों द्वारा किये गए अन्याय के विरुद्ध सन्यासियों के उग्र विरोध की जानकारी है.
1905 में, कांग्रेस के 21वें अधिवेशन वाराणसी (काशी) में हुआ था। उस अधिवेशन के दौरान प्रसिद्ध बंगाली कवियित्री औऱ गायिका सरला देवी ने वन्दे मातरम गीत गाया था.
“वंदे मातरम्” का यह प्रथम सार्वजनिक गायन भारत के राष्ट्रीय गौरवगीत की घोषणा बन गया। आजकल हम “वंदे मातरम्” का केवल पहला पद गाते हैं। नई पीढ़ी के कई लोगों को यह भी नहीं पता कि यह गीत कितना बड़ा है। आजकल हम वन्दे मातरम का सिर्फ पहला पद गाते हैँ. नई पीढ़ी को पूरे वन्दे मातरम गीत की जानकारी भी नहीं है.

वन्दे मातरम

सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!

शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

कोटि कोटि कण्ठ कल कल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम्॥
वंदे मातरम्!

तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम्॥
वंदे मातरम्!

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम्॥
वंदे मातरम्!