प्रदेश का एकमात्र मंदिर जहाँ आज पुजाएंगे भक्त और और भगवान
पुष्प शृंगार दर्शन के साथ रात्रि को मनेगा जन्मोत्सव
अजेंद्र त्रिवेदी की विशेष रिपोर्ट
पूरे देश में कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है कहीं श्रीकृष्ण मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। तो कहीं यात्राएं निकालने के साथ ही युवा वर्ग मटकी फोड़ के आयोजनों में व्यस्त है लेकिन जन्माष्टमी के इस पर्व पर आज हम अपने पाठकों को एक ऐसे दिव्य व चमत्कारी मंदिर की महिमा से अवगत करवा रहे है जहाँ पर भक्ति की एक अनूठी मिसाल है, जिसके अंतर्गत भगवान व भक्त इस मंदिर में एक साथ विराजमान है और श्रद्धालु इनके दर्शन लाभ लेकर प्रतिदिन पुण्य लाभ अर्जित करते है।
पंवासा महंत जेडी त्यागी मार्ग (मक्सी रोड़)उज्जैन पर श्री मीरा-माधव का अत्यंत चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर की स्थापना स्व. माता लक्ष्मीदेवी व्यास द्वारा ५० वर्षों पूर्व की गई थी। यह मंदिर अपने-आप में अनूठा है। भारत मात्र दो ऐसे मंदिर है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनकी परम भक्त मीरा की प्रतिमा भी विराजमान है। मंदिर में वैसे तो समस्त पर्वो की धूम रहती है लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व यहाँ धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर से जुड़े पं. अविनाश बटवाल, पं. सुनील बटवाल व पं संजय बटवाल संभालते है। महा जन्माष्टमी पर भगवान के विशेष पूजन-अर्चन के पश्चात श्रीकृष्ण का तिलक श्रृंगार किया जाता है साथ ही सुबह महा भोग आरती की जाती है।
शाम ७ बजे से भगवान के पुष्प शृंगार दर्शन होंता है। जिसके पश्चात गायक कलाकारों द्वारा आकर्षक भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। मंदिर में रात्रि १२ बजते ही घंटी घड़ियाल की ध्वनि के साथ भगवान श्रीकृष्ण की महाआरती कर नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की के उदघोष से श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। तत्पश्चात सभी भक्तजनों को प्रसदीय वितरण की जाती है। इन आयोजनों के साथ ही मंदिर में नंद महोत्सव व मटकी फोड़ के आयोजन भी होंते है।
मंदिर के पीछे एक सुंदर उद्यान बना हुआ है जहां पर प्राचीन महत्व के पेड़ पौधे लगे हुए हैं।
मंदिर के आयोजन में शहर भर के हजारों श्रद्धालु आकर दर्शन लाभ लेते हैं।