भ्रष्टाचार से काली कमाई करने वाले 3 अफसरों की सम्पत्ति होगी राजसात

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भ्रष्टाचार से काली कमाई करने वाले 3 अफसरों की सम्पत्ति होगी राजसात

भोपाल: मध्यप्रदेश में भ्रष्ट साधनों के जरिए आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने वाले तीन अफसरों के खिलाफ मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी। इनके मामलों की सुनवाई के बाद इनकी आय से अधिक  कमाई गई सम्पत्ति राजसात करने की कार्यवाही की जाएगी।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक उपायुक्त आबकारी इंदौर के पद पर रहते हुए भ्रष्ट साधनों से अनुपात हीन सम्पत्ति अर्जित करने वाले नवल सिंह जामोद, लोक निर्माण विभाग इंदौर में टाईम कीपर के पद पर पदस्थ रहे  गुरुकृपाल सिंह सुजलाना और संयुक्त आयुक्त उपायुक्त राहत के पद पर रहते हुए डॉ रविकांत द्विवेदी ने भ्रष्ट साधनों का सहारा लेकर अपनी आय के स्रोतो से अधिक अनुपातहीन सम्पत्तियां अर्जित की है।  इन के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। इनके पास मिले दस्तावेजों की जांच करने पर इस बात की पुष्टि हुई है कि इन तीनों ने भ्रष्ट साधनों का सहारा लेकर अपनी आय के स्रोतो से अधिक अनुपातहीन सम्पत्तियां अर्जित की है।  इन पर मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम के तहत विचार किया जाएगा और विचारण के बाद इनकी सम्पत्ति राजसात करने की कार्यवाही की जाएगी। इनकी राजसात की गई सम्पत्ति का उपयोग आंगनबाड़ी, अस्पताल शुरु करने, स्कूल और अन्य सामाजिक कार्यो से जुड़ी गतिविधियों में किया जाएगा।

*राजपत्रित अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व संयुक्त आयुक्त राजस्व द्विवेदी के यहां मिली थी 60 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति*
लोकायुक्त पुलिस ने 1987 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर और राजस्व विभाग के तत्कालीन संयुक्त आयुक्त और राजपत्रित अधिकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ रविकांत द्विवेदी के गुलमोहर कॉलोनी भोपाल स्थित घर और अन्य स्थानों  पर तीस जनवरी 2014 को छापा मारा था। तब उनके घर और कार्यालयों से पचास करोड़ रुपए से अधिक की सम्पत्ति, 360 डॉलर, 22 स्थानों पर चल-अचल सम्पत्ति, जमीन, भूखंड, जेवरात, नगदी और उनके दस्तावेज प्राप्त हुए थे।  न्यू मार्केट के पास गैमन प्रोजेक्ट में भी द्विवेदी ने 56 लाख रुपए मेंं एक दुकान का सौदा किया था इसमें 35 लाख रुपए वे जमा कर चुके थे। उनके घर से दस बैंक खातों के अलावा बैंक लॉकर और बीमा कंपनियों में निवेश के दस्तावेज मिले थे। पाठयपुस्तक निगम में पदस्थी के दौरान उन्होंने अपने बेटे को गोविंदपुरा में एक प्रिंटिंग प्रेस खुलवाकर यहां का काफी काम दिया था। एमपी नगर में गुड स्टे होटल में भी उनका निवेश मिला था। मंडीदीप में फ्लाई एश ब्रिक्स नामक फैक्ट्री में भी उनके निवेश संबंधी दस्तावेज मिले थे। द्विवेदी गैस राहत विभाग में भी पदस्थ रहे है। इसके अलावा दतिया जिला पंचायत में सीईओ, विदिशा और मंदसौर में बड़े पदों पर रह चुके है।

*पूर्व आबकारी आयुक्त जामोद के पास मिली भी पांच करोड़ से अधिक की बेनामी सम्पत्ति-*
वर्ष 2014 में इंदौर में पदस्थ रहे पूर्व आबकारी उपायुक्त नवल सिंह जामोद के बिस्तरों के नीचे तीन लाख रुपए नगद मिले थे। उनके पास आय से 22 फीसदी ज्यादा सम्पत्ति पाई गई थी। लगभग सात करोड़ की चल-अचल सम्पत्ति उनके यहां मिली थी। उसके पास स्कीम 71 में दो हजार वर्गफीट पर तीन मंजिला मकान, सिल्वर हिल्स कॉलोनी धार में दो प्लाट, दो मंजिला मकान, नानपुर झाबुआ में भाई के नाम पेट्रोल पंप, कुक्षी में 25 एकड़ कृषि भूमि, गायत्री कॉलोनी कुक्षी में चार प्लाट , मारुति कार, 25 लाख का घरेलु सामान, 32 लाख 31 हजार नगद, 12 लाख 75 हजार के गहने, बैंक में जमा 20 लाख, छह लाख की कार और बाईक, ICCI और एसबीआई में बीस खाते, लाखों की एफडी और पॉलिसी  मिली थी।

*सुजलाना के यहां मिली थी बारह करोड़ की अनुपातहीन सम्पत्ति-*
पीडब्ल्यूडी के पूर्व टाईमकीपर सुजलाना के यहां मिली थी बारह करोड़ की सम्पत्ति-इंदौर में लोक निर्माण विभाग के टाईमकीपर के पद पर पदस्थ गुरुकृपाल सिंह सुजलाना उर्फ पप्पू सरदार के तिलक नगर स्थित मकान पर लोकायुक्त पुलिस ने सात मार्च 2014 में छापा मारा थ्ज्ञा। उसके पास से चौदह मकान, कई फ्लैट, कई स्थानों पर जमीन, लाखों की ज्वेलरी, नगदी सहित बारह करोड़ की अनुपातहीन सम्पत्ति मिली थी। छापे के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। उनके सरकारी बंगले से उस समय ढाई सौ सैट टॉप बॉक्स मिले थे। वे तिलक नगर के निजी आवास में रहते थे और ओल्ड पलासिया में टाइप टू श्रेणी का सरकारी आवास अलाट कर उससे केबल व्यवसायक का संचालन भी कर रहे थे।