सड़कों की गुणवत्ता की होगी अब खुफिया जांच,रेंडम सेम्पल, कोडिंग कर भेजेंगे लैब

न ठेकेदार का होगा पता, न मानीटरिंग करने वाले अफसर की होगी पहचान, डिकोड कर पता चलेगा परिणाम,खराब गुणवत्ता की सड़क पर ठेकेदार पर होगी कार्यवाही, ब्लैकलिस्टेड तक हो सकेंगे

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सड़कों की गुणवत्ता की होगी अब खुफिया जांच,रेंडम सेम्पल, कोडिंग कर भेजेंगे लैब

भोपाल: प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की सड़कों की गुणवत्ता की अब खुफिया जांच की जाएगी। रेंडम सैम्पल लिए जाएंगे। सेम्पल को कोडिंग कर लैब में जांच करने के लिए भेजा जाएगा। लैब में जांच के परिणाम को डिकोड कर देखा जा सकेगा। इस पूरी प्रक्रिया में सेम्पल लेने से लेकर लैब की जांच पूरी होंने तक न तो किसी को सड़क बनाने वाले ठेकेदार का नाम पता चलेगा न मानीटरिंग करने वाले अफसर का नाम पता होगा। सीधे परिणाम आने पर खुलासा होगा और सड़क का घटिया निर्माण निकला तो संबंधित ठेकेदार से लेकर जिम्मेदार अफसर तक पर कार्यवाही होगी। लगातार घटिया निर्माण कर रहे ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड भी किया जा सकेगा। लोक निर्माण विभाग ने अब इस नये सिस्टम पर काम शुरु कर दिया है।

प्रदेश की सड़कों की गुणवत्ता परखने के लिए अब रेंडम सेम्पलिंग की जाएगी। इस सेम्पल गोपनीय कोडिंग कर इसे प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाएगा। न ठेकेदार को पता चलेगा न लोक निर्माण विभाग के अफसर को और न प्रयोगशाला के अमले को पता होगा कि वे किस स्थान की, किस ठेकेदार की सड़क की जांच कर रहे है। जो रिपोर्ट आएगी उसके आधार पर गुणवत्ताविहीन सड़क बना रहे ठेकेदारों पर कार्यवाही की जाएगी। उन्हें ब्लैकलिस्टेड किया जाएगा और उनकी सुरक्षा निधि राजसात करने की कार्यवाही भी की जाएगी।

लोक निर्माण विभाग में अफसरों, ठेकेदार और लैब अमले की साठगांठ से घटिया निर्माण के सेम्पल अक्सर अच्छे निकलने और सभी को बचाने के आरोप लगते रहते है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस तक भी यह शिकायतें पहुंची थी। इसके बाद उन्होंने प्रदेश की सड़कों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए रेंडम सेम्पलिंग और एनोनिमस टेस्टिंग व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए लोक निर्माण विभाग ने प्रचलित डब्ल्यू एमएस आईटी सिस्टम में ही अलग से सॉफ्टवेयर इंटरफेस तैयार किया है।

नया सॉफ्टवेयर इस तरह करेगा काम-मौजूदा डब्ल्यू एम एस एप्लीकेशन में मौजूद रेंडम सेम्पलिंग लिंक का उपयोग कर अधीक्षण यंत्री अथवा मुख्य अभियंता अपने क्षेत्र की किसी भी सड़क पर सेम्पल एकत्रित करने के लिए रेंडम चेनेज लोकेशन जनरेट करेंगे।

रेंडम चेनेज जनरेशन की यह प्रणाली पूर्णत: स्वचालित है। इसके एल्गोरिथम में किसी प्रकार का मैन्युपुलेशन संभव नहीं है। सेम्पल की एनानिमिटी स्थापित करने के लिए सॉफ्टवेयर द्वारा रेंडम चैनेज के साथ एक गोपनीय कोड बारकोड के रुप में जनरेट किया जाएगा जिसे सेम्पल की एक मात्र पहचान के रुप में प्रयोगशाला भेजा जाता है। परीक्षण के बाद प्रयोगशाला इसी गोपनीय कोड के साथ परिणाम सीधे डब्ल्यूएमएस पोर्टल पर अपलोड करेगा जहां सॉफ्टवेयर पुन: इसे डीकोड कर परिणाम प्रकाशित करता है। इस प्रकार प्रयोगशाला के स्तर पर एनोनिमिटी मेंटेन की जाती है।

इस तरह होगी रेंडम सेम्पलिंग-
पहले चरण में रेंडम स्थानों से कोर काट कर केवल बिटुमिन्स लेयर की मोटाई, बिटुमिन कंटेंट एवं डेंसिटी का परीक्षण प्रस्तावित किया जाएगा। इसे सफलतापूर्वक लागू करने के बाद शेष परीक्षणों को सम्मिलित किया जा सकेगा। सर्कल स्तरीय अधीक्षण यंत्री डबल्यू एमएस में उपलब्ध कराई गई रेंडम चेनेज सिलेक्शन सुविधा का उपयोग कर संबंधित सड़क के रेंडम चेनेज प्रपत्र जनरेट करेंगे। प्रत्येक रेंडम चेनेज के लिए एक पृष्ठीय प्रपत्र जनरेट होगा, जिसके दो भाग होंगे। एक भाग अधीक्षण यंत्री द्वारा गोपनीय रुप से अपने पास रखा जाएगा और दूसरा भाग बिटुमिन कोर नमूने के साथ पेकेट में रखा जाएगा। पहले भाग में नमूने लेने से संबंधित जानकारी होगी और दूसरे भाग में केवल नमूने का गोपनीय कोड होगा। सर्कल स्तरीय अधीक्षण यंत्री अपनी टीम के साथ स्वयं संबंधित सड़क पर जाकर कोर काटने की कार्यवाही कराएंगे। प्रपत्र के पहले भाग में उल्लेखत चेनेज से कोर काटने के उपरांत इसे प्रपत्र के दूसरे भाग के साथ एक सीलबंद पेकेट में रखा जाएगा। सीलबंद पैकेट पर ऐसी कोई भी जानकारी अंकित नही होगी जिससे सेम्पल की पहचान उजागर हो सके। सेम्पल अधीक्षण यंत्री प्रयोगशाला में जमा कराएंगे। वहां परीक्षण के बाद परिणामों से संबंधित गोपनीय कोड के साथ सीधे डब्ल्यूएमएस पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। पोर्टल गोपनीय कोड को डीकोड कर परिणाम प्रकाशित करेगा। इन परिणामों के आधार पर कार्यवाही होगी। इस पूरी प्रक्रिया की सतत मानीटरिंग भी होगी।