सोच के सेतु का सवाल है…
बेटियों को लाड़ली बना जन्म के साथ ही लखपति बनाने की सोच हो या फिर राम को काल्पनिक बताने वालों को कटघरे में खड़ा करने वाली फिल्म ‘रामसेतु’ की पटकथा हो, मामला बस सोच के सेतु का ही है। सोच का एक और नायाब नमूना पन्ना जिले में औद्योगीकरण की शुरुआत के बतौर दिखाई दिया। बुधवार यानि 2 नवंबर 2022 के इन तीन दृश्य के पीछे तीन चेहरे भी नजर आते रहे। वह हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के।
मध्यप्रदेश में लाड़ली लक्ष्मी उत्सव मनाया गया और 43 लाख लाड़ली लक्ष्मियों की ताकत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चेहरे पर चमक बिखेरती रही। लाड़ली लक्ष्मी वाटिका का लोकार्पण हुआ, भारत माता चौराहे से पॉलीटेक्निक चौराहे तक की सड़क का ‘लाड़ली लक्ष्मी पथ’ नामकरण किया गया और लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 में लाड़ली लक्ष्मियों को उच्च शिक्षा के लिए पहली बार प्रोत्साहन राशि का वितरण किया गया। शिवराज ने साफ किया कि सोच के मूल में बेटों को बेटियों के बराबर लाना है। इसके लिए जो प्रयास किया गया, वह यह कि जन्म के समय ही बेटी लखपति हो। तब माता-पिता की सोच बदलेगी और बेटी जन्म से ही खुशियों का तौहफा लेकर पैदा होगी। सोच सार्थक साबित हुई और मध्यप्रदेश में अब लाड़ली लक्ष्मियों का वृहद परिवार है।
दूसरा वाकया भी सोच का। गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया के साथियों संग ‘रामसेतु’ फिल्म देखी। अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म में यही दिखाया गया है कि एक सरकार उस विचारधारा की थी, जो राम को काल्पनिक बताकर रामसेतु को तोड़ने पर आमादा थी। पर राम को आस्था, श्रद्धा का केंद्रबिंदु मानते हुए एक पुरातत्वविद् ने यह साबित कर दिया कि रामसेतु मानवनिर्मित है और इसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए। बाल्मीकि से तुलसीदास तक जो लिखा गया है, उसकी सत्यता पर प्रश्नचिन्ह नहीं लगाया जा सकता। सात हजार वर्ष पूर्व राम का जन्म, सीता का हरण और रावण की लंका, संजीवनी बूटी का लंका लेकर जाना, रामसेतु और रावण मरण जैसी सभी घटनाएं सत्य हैं। सवाल यही पैदा किया गया कि राम को काल्पनिक मानने वाले और रामसेतु को तोड़ने की साजिश रचने वालों की सोच को किस तरह देखा जाना चाहिए?
तीसरा महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि पन्ना जिले में सीमेंट उद्योग का लोकार्पण हुआ। सामान्य तौर पर पन्ना हीरों और पत्थरों के साथ देवालयों के लिए जाना जाता है। हीरे सबकी किस्मत में नहीं होते। तो पहाड़ियों से घिरा यह जिला उद्योग न होने से रोजगार सृजन करने में पूरी तरह से असक्षम था। पर उद्योग का लगना अब पन्ना जिले की नई इबारत लिखने में टर्निंग प्वाइंट साबित होगा, यह उम्मीद की जा सकती है। सरकार के साथ इस बदलाव का श्रेय खजुराहो-पन्ना सांसद विष्णु दत्त शर्मा को जाता है। सांसद बनने के बाद खजुराहो, पन्ना और कटनी की तस्वीर और तकदीर बदलने का उनका प्रयास लगातार जारी है।
तो बात यही कि सोच का सेतु सकारात्मकता से हरा भरा रहे और अपनी संस्कृति को सहेजते हुए उपलब्धियों का नया संसार गढ़ता रहे। मामला चाहे लाड़ली लक्ष्मी का हो, रामसेतु का हो या फिर पन्ना जिले में लगे उद्योग का हो। सवाल सोच के सेतु का ही है।