दिग्गी राजा के बाद बागली आने से बचते रहे हैं प्रदेश के मुखिया, जानिए आख़िर क्यों

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कुं राजेंद्रपालसिंह सेंगर की विशेष रिपोर्ट

Bagli (Dewas):मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले दिनों बागली विधानसभा क्षेत्र के सतवास में रोड शो और सभा को संबोधित करके गए है। नर्मदा सिंचाई आंदोलन पहले ही समाप्त हो चुका है। बागली जिला बनाओ आंदोलन का शिष्टमंडल की महानवमी पर मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद संस्कृति और पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर सोमवार को आंदोलनकारियों को संबोंधित कर बागली सेक्टर में अब चुनाव अभियान शुरू करने का मार्ग प्रशस्त कर चुकी है।

ऐसे में अब आमजनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में मुख्यमंत्री के बागली आगमन की चर्चाएं है। लेकिन देखें तो बागली आने से बचते है मुख्यमंत्री क्यूंकि बागली नगर में बतौर मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह ने अंतिम बार गांधी चौक पर चुनावी सभा को संबोधित किया था। जबकि मुख्यमंत्री चौहान बतौर मुख्यमंत्री पहली बार निजी प्रवास पर वर्ष 2013 में राजपरिवार के निवास गढी में आ चुके है।

चुनावी सभा के सम्बोधन की बात करें तो किसी मुख्यमंत्री को बागली आए लगभग 23 वर्ष हो चुके है। जबकि खुद सीएम चौहान को 8 वर्ष बीत चुके है। साथ ही लोग बागली के श्रीखेडापति हनुमानजी महाराज के सीएम कनेक्शन की भी चर्चा करते है। कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री बागली-चापडा मुख्य मार्ग से बागली आता है वह सीएम की कुर्सी पर दुबारा नहीं बैठता है।

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श्रीछत्रपति हनुमानजी।

छत्रपति हनुमानजी का खास है सीएम कनेक्शन
वैसे तो श्रीछत्रपति हनुमानजी महाराज के दर्शन देश की बडी हस्तियां कर चूकी है। लेकिन जब बारी प्रदेश के मुख्यमंत्री की आती है तो लोग स्वतः ही कुछ नाम गिनवा देते है। हालांकि हनुमानजी सरकार के दरबार में दस्तक देने वालों में सुप्रसिद्ध गायक स्वर्गीय मुकेश व अभिनेता शम्मी कपूर, पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह व कैलाश जोशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह सहित लगभग सभी क्षेत्रीय नेता शामिल है।

लोग नाम न छापने की शर्त पर यह भी कहते हैं कि मुख्य बाजार में छत्रपति हनुमानजी विराजित हैं, इसलिए जो भी मुख्यमंत्री यहां पर बागली-चापड़ा मुख्य मार्ग से होकर आता है। उसे फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं मिलती है। क्योंकि भगवान यहां पर छत्रपति के नाम से विराजित है।पिछले 20 वर्षों में दिग्गी राजा इसके सबसे बडे उदाहरण है।

उदाहरण के दौर पर सबसे पहले पं. द्वारका प्रसाद मिश्र का नाम लिया जाता है। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने बागली में एक सभा संबोधित की थी उसके बाद उनकी सरकार गिर गई और संविद सरकार बनी। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह, दिग्विजयसिंह व कैलाश जोशी का भी उदाहरण दिया जाता है।

अंतिम बार बतौर सीएम दिग्गी राजा ने की थी सभा संबोधित
वर्ष 1998 में दिग्विजयसिंह मुख्यमंत्री थे। वर्ष 1998 का चुनाव समाप्त हो चुका था और वर्ष 1962 के बाद बागली विधानसभा से पहली बार कांग्रेस विधायक चुनाव जीतने में सफल रहे थे। दिग्गी राजा ने लोकसभा चुनाव के दोरान कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थन में गांधी चौक पर एक चुनावी सभा को संबोधित किया था।

साथ ही छत्रपति हनुमानजी मंदिर में दर्शन भी किए थे। बाद में वर्ष 2003 के बाद कांग्रेस सरकार चली गई और भाजपा सरकार बनी। साथ ही तब से ही दिग्गी राजा किसी संवैधानिक पद पर नहीं है।

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बागली में राजपरिवार के निवास गढी में पगडी कार्यक्रम में शामिल हुए शिवराज सिंह चौहान।(फाईल चित्र)

मुख्यमंत्री चौहान जटाशंकर मार्ग से आए थे
वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बागली की रानी स्व भगवतकुमारीसिंह के पगडी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे। यह निजी प्रवास कार्यक्रम था। इस कारण प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां हुई थी और स्थानीय भाजपा पदाधिकारी सहयोग कर रहे थे।

शुरुआत में उनके हैलीकॉप्टर के लिए बागली-चापडा मुख्य मार्ग पर उत्कृष्ट विद्यालय के सामने की रिक्त भूमि पर हैलीपेड बनाया जाना था। लेकिन एकदम से कार्यक्रम बदला और फिर हैलीपेड जटाशंकर मार्ग पर एक खेत में बनाया गया। उस दौरान जटाशंकर मार्ग निर्माणाधीन था और ठेकेदार काम अधूरा छोडकर चुका था। लेकिन मुख्यमंत्री के प्रस्तावित आगमन के कारण लोनिवि ने मोहडाघाट मार्ग बनाने वाले ठेकेदार से रातों-रात जटाशंकर मार्ग का आधा निर्माण पूर्ण करवाया था।