सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भूमि आवंटन रद्द किया, कहा – यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

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सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को भूमि आवंटन रद्द किया, कहा – यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

रुचि बागड़देव की रिपोर्ट 

हैदराबाद: सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम की सीमा के भीतर सांसदों, विधायकों, नौकरशाहों, न्यायाधीशों और पत्रकारों को रियायती दर पर भूमि आवंटन की सुविधा दी गई थी।

    मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि यह कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन है।

भूमि के वितरण को “मनमाना” और “तर्कहीन” उदारता करार देते हुए, पीठ ने सरकारी आदेशों के तहत निष्पादित पट्टा विलेखों को रद्द करने और भुगतान की गई राशि को सहकारी समितियों और उनके सदस्यों को ब्याज सहित वापस करने का निर्देश दिए।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार की यह नीति सत्ता का दुरुपयोग है, जिसका उद्देश्य केवल समाज के संपन्न वर्गों को लाभ पहुंचाना है, तथा आम नागरिकों और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित लोगों के समान अधिकारों को नकारना है।

अदालत ने सरकार की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा, ”जब सरकार कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को रियायती दरों पर भूमि आवंटित करती है, तो इससे असमानता की व्यवस्था पैदा होती है।”

इस निर्णय ने तत्कालीन आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा जारी 2005 के सरकारी आदेशों को रद्द कर दिया, साथ ही 2008 के उन आदेशों को भी रद्द कर दिया, जिनमें इन समूहों को रियायती दरों पर भूमि आवंटित की गई थी।