हर बूथ पर 51 फीसदी का लक्ष्य बड़ा है…

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हर बूथ पर 51 फीसदी का लक्ष्य बड़ा है…

यद्यपि हर बूथ पर 51 फीसदी मत से कमल खिलाने का लक्ष्य बड़ा है, पर असंभव कुछ भी नहीं है। जिस तरह भाजपा संगठन ने लक्ष्य हासिल करने के लिए कमर कस ली है, वैसे में यह मिशन संभव भी हो सकता है।‌ शर्त बस एक ही है कि यदि भावी मुख्यमंत्री का सपना धूमिल हुआ, तो 51 फीसदी मतों संग हर बूथ पर कमल खिलकर मुंह चिढ़ाता नजर आएगा। भाजपा सरकार और संगठन की मेहनत और मतदाता का मूड ही वह प्रभावी घटक हैं, जो हर बूथ पर 51 फीसदी मत और भाजपा के दोहरे शतक पर या तो असर डालेंगे या फिर उपलब्धियों के सारे रिकॉर्ड तोड़कर कमल खिलाएंगे। फिलहाल तो भाजपा में मेहनत का दौर जारी है और कांग्रेस भी प्रदेश में मतदाताओं पर नजर गड़ाए हुए है।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद विष्णुदत्त शर्मा ने नगरीय निकाय जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण वर्ग को संबोधित करते हुए बहुत सटीक बातें कही हैं कि जनता ने अपने जिन प्रतिनिधियों को चुनकर भेजा है, लोकतंत्र में वे जनप्रतिनिधि समाज की बड़ी ताकत हैं। उनसे जनता और समाज की अपेक्षाएं ज्यादा होती हैं। देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से आगे बढ़ रहा है तथा देश और प्रदेश में विकास के मायने बदल रहे हैं। ऐसे में जनता ने जो महत्वपूर्ण जिम्मेदारी आपको सौंपी है, उसे पूरा करने के लिए आवश्यक है कि सभी जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में विकास के मुद्दों को पहचानें। उस विचार को जानें, जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ है। पार्टी की विचारधारा को जानें। हम सभी को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि हम उस भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं, जिसे डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं ने खड़ा किया है। स्वतंत्रता के बाद जब देश में पहली बार सरकार बनी, तो डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी उस सरकार के उद्योग मंत्री थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में जब कश्मीर में धारा 370 लगाई गई, तो डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने इसका विरोध किया। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर भी इससे सहमत नहीं थे। लेकिन नेहरू सरकार अपने एजेंडे पर बढ़ती रही। तब डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर जम्मू कश्मीर गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय उनके मन में एक ऐसे राजनीतिक दल का विचार आया,  जिसके लिए राष्ट्र तथा उसकी एकता और अखंडता ही सर्वोपरि हो। इसके बाद जनसंघ की स्थापना हुई। आगे चलकर डॉ. मुखर्जी ने धारा 370 के विरोध में जेल में ही अपना बलिदान दे दिया। लेकिन उनका विचार पल्लवित होता रहा। 1980 में स्व. अटलबिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। आप सभी उसी बलिदानी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता हैं।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि जनता ने अपने जिन प्रतिनिधियों को चुनकर भेजा है, लोकतंत्र में वे जनप्रतिनिधि समाज की बड़ी ताकत हैं। पर क्या यह ताकतें पिछले चार साल में क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी हैं। और मतदाता यहां भी बहुत उदार है कि जो उनकी उम्मीदों और भाजपा की विचारधारा पर खरा नहीं उतर पा रहा है, उसका चेहरा ही बदल दिया जाए और मतदाता का आक्रोश शांत हो जाएगा और वह अपने मन में कमल खिलाता रहेगा। विष्णु दत्त शर्मा ने आगे कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने हमें एकात्म मानववाद का विचार दिया। उन्होंने बताया कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण यानी अंत्योदय ही हमारा लक्ष्य है। इसी विचार पर चलकर भारतीय जनता पार्टी आज दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गई है। हमारी केंद्र और राज्य सरकारों की सभी योजनाएं इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले दिन ही यह तय कर लिया था कि अब कोई गरीब झोपड़ी में नहीं रहेगा। इस विचार को लागू करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना बनाई गई है। हर गरीब को पक्का मकान उपलब्ध कराने के इस अभियान में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सरकार भी मुख्यमंत्री आवासीय भूमि योजना के माध्यम से सहयोग कर रही है। केंद्र की मोदी सरकार और प्रदेश की शिवराज सरकार की अंत्योदय के विचार पर तैयार की गई योजनाएं देश और प्रदेश में गरीबों का जीवन बदलने का अभियान बन गई हैं। जनप्रतिनिधि भी जीवन बदलने के इस अभियान में सहभागी बनें। सवाल फिर यही है कि जनप्रतिनिधियों की सहभागिता जहां राह भटकी है, दिक्कत भी वहीं है और वह सब देखकर ही कहीं न कहीं विपक्षी दल के मन को सत्ता पाने की खुशियों से सराबोर कर रहे हैं।
हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने टिप्स दिए हैं कि जनप्रतिनिधि अपने वार्डों में आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए जुट जाएं। नर सेवा ही नारायण सेवा का मंत्र लेकर  प्रधानमंत्री आवास योजना और जनहित की अन्य योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने में जुट जाएं। हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं कि हम 2014 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की नाकामियों से जीते जब हमें 17 करोड़ वोट मिले। 2019 लोकसभा चुनाव में 23 करोड़ वोट लेकर प्रचंड बहुमत से जीते। 6 करोड़ वोटों वृद्धि गरीब कल्याण की योजनाओं के कारण ही हुई है। प्रधानमंत्री कहते हैं कि 2024 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के संगठन की ताकत और विचार के बल पर जीता जाएगा। इसलिए सभी जनप्रतिनिधि संगठन को सुदृढ़ बनाने में जुट जाएं।
तो प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की लक्ष्य पर नजर है और वह भाजपा की विचारधारा से ओतप्रोत हैं। संगठन के काम को लेकर आगामी अभियानों की समीक्षा के साथ 2023 का आगाज कर सतत आगे बढ़ रहे हैं। और बूथ सशक्तिकरण के काम से लेकर प्रत्येक बूथ पर 51% वोट शेयर को लेकर भी त्रिदेव सहित अन्य तैयारियां उनके नेतृत्व में संगठन कर चुका है। बूथ कार्यविस्तार, सुघोष अभियान और अन्य योजनाओं को अमलीजामा पहनाया जा रहा है। अब फिर गेंद उन फैसलों के पाले में है, जो कहीं न कहीं चुनाव जीतने के गुजरात मॉडल को मध्यप्रदेश की धरती पर साकार होते देखना चाहते हैं। तब भले ही 51 फीसदी का लक्ष्य बड़ा है…पर पाना संभव है। कार्यकर्ता तो बूथ को शक्ति केंद्र बनाए बैठा है, पर जनप्रतिनिधियों को पार्टी की विचारधारा के आइने में खुद को खरा साबित करने की नसीहत की घुट्टी पीना जरूरी है।