
उपराष्ट्रपति, राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री ने इंदौर में 4 विद्वानों को ‘अटल अलंकरण’ से किया सम्मानित,पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जयंती पर ‘शून्य से शतक’ कार्यक्रम सम्पन्न
इंदौर: इंदौर में आयोजित भारत रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि स्व. श्री अटलजी केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार और मिशन थे। उनके कर्म, आदर्श और सुशासन की दृष्टि आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक प्रकाश हैं। समारोह में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि स्व. श्री अटल जी का जीवन ऐसे ग्रंथ की भाँति था, जिसका प्रत्येक पृष्ठ नैतिकता, उत्कृष्टता और राष्ट्रधर्म की राह दिखाता है। स्व. श्री अटल जी केवल राजनेता नहीं थे, बल्कि वे कवि, चिंतक, अद्भुत नेतृत्व गुणों से संपन्न, विनम्र, संवेदनशील और स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने संबोधन में कहा कि स्व. श्री अटलजी का जीवन विचारों की दृढ़ता, राष्ट्रधर्म और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अटूट समर्पण का अनुपम उदाहरण है। उनका व्यक्तित्व ऐसा था जिसने हर काल और हर युग में भारतीय राजनीति को दिशा दी। उनकी राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र की प्रेरक गाथा है।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जन्म जयंती वर्ष के अवसर पर इंदौर में ‘शून्य से शतक’ कार्यक्रम का गरिमामय रूप से आयोजन किया गया। इस गरिमामय समारोह में देश के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन, मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल तथा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चार प्रतिष्ठित विद्वानों को ‘अटल अलंकरण’ से अलंकृत किया।
कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन, सांसद श्री शंकर लालवानी, महापौर श्री पुष्यमित्र भार्गव एवं अटल फाउंडेशन की अध्यक्ष श्रीमती माला वाजपेयी तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहीं।
उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने समारोह में कहा कि मां अहिल्या की पावन धरती पर आकर उन्हें विशेष प्रसन्नता है। उन्होंने अटल फाउंडेशन के मंच से स्व. श्री अटल जी के जीवन, व्यक्तित्व और राष्ट्र निर्माण में योगदान को स्मरण किया। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अटल जी संवाद, समावेशी विकास और मानवीय सुशासन में विश्वास रखते थे। सांसद, कवि और प्रधानमंत्री—हर भूमिका में उन्होंने सार्वजनिक विमर्श को गरिमा दी और सिद्ध किया कि राजनीति सिद्धांतनिष्ठ और करुणामय हो सकती है। उन्होंने अटल सरकार की प्रमुख उपलब्धियों प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना, दिल्ली मेट्रो, नए राज्यों का गठन (झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड) तथा पोखरण परमाणु परीक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि इन पहलों ने आधुनिक भारत की नींव मजबूत की। उपराष्ट्रपति श्री राधाकृष्णन ने कहा कि स्व. श्री अटल जी की विरासत को आज प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आगे बढ़ा रहे हैं और देश को विकसित भारत–2047 के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से अग्रसर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अटल जी भले हमारे बीच शारीरिक रूप से न हों, लेकिन उनके आदर्श सदैव हमारे हृदयों में जीवित रहेंगे और राष्ट्र को दिशा देते रहेंगे।
*राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल का प्रेरक संबोधन*
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने अटल जन्म शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत रत्न स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म शताब्दी के पावन अवसर पर विचार अभिव्यक्त करने का अवसर मिलना उनके लिए गर्व और हर्ष का विषय है। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अटल जी की जन्म शताब्दी केवल पुण्य स्मरण का प्रसंग नहीं, बल्कि उनके विराट व्यक्तित्व, उच्च आदर्शों और दूरदर्शी नेतृत्व से प्रेरणा प्राप्त करने का पावन क्षण है। उन्होंने स्वयं को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि उन्हें स्व. श्री अटल जी के सानिध्य में कार्य करने का अवसर मिला, जहाँ उनके महान आभामंडल में रहकर उन्हें करीब से देखने, समझने और उनसे प्रेरित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि स्व. श्री अटल जी के व्यक्तित्व और कृतित्व को कुछ शब्दों में समेटना संभव नहीं है, वे एक विराट व्यक्तित्व और एक चलता-फिरता महाकाव्य थे। उनकी वाणी में ओज था, जो जनमानस में ऊर्जा और राष्ट्रभाव का संचार करती थी। वे असंख्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रकाश-पुंज थे। उनका जीवन ऐसे ग्रंथ की भाँति था, जिसका प्रत्येक पृष्ठ नैतिकता, उत्कृष्टता और राष्ट्रधर्म की राह दिखाता है। स्व. श्री अटल जी केवल राजनेता नहीं थे, बल्कि वे कवि, चिंतक, अद्भुत नेतृत्व गुणों से संपन्न, विनम्र, संवेदनशील और स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त थे। प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने गठबंधन राजनीति के दौर में भी संवाद, समन्वय और समानता के उच्च आदर्श प्रस्तुत किए, जो भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में मील का पत्थर हैं। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि यदि हम स्व. श्री अटल जी के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में देश और समाज के लिए योगदान कर सकें, तो वही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

*मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का भावपूर्ण उद्बोधन*
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्र नीति के शिखर पुरुष, राजनीति के अजातशत्रु और भारतीय लोकतंत्र की मर्यादा के प्रतीक थे। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अटल जी का जीवन विचारों की दृढ़ता, राष्ट्रधर्म और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अटूट समर्पण का अनुपम उदाहरण है। स्व. श्री अटल जी का व्यक्तित्व ऐसा था जिसने हर काल और हर युग में भारतीय राजनीति को दिशा दी। उनकी राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र की प्रेरक गाथा है। लोकसभा में उनके ओजस्वी भाषणों से सत्ता और विपक्ष—दोनों ही अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होते थे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्व. श्री अटल जी की भूमिका को याद करते हुए कहा कि उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के रूप में भी लोकतंत्र की गरिमा को ऊँचाई दी। बांग्लादेश युद्ध से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों तक भारत का मान बढ़ाया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया उनका भाषण देश की सांस्कृतिक अस्मिता का ऐतिहासिक क्षण रहा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्व. श्री अटल जी की सरकार चलाने की शैली पवित्रता और नैतिक साहस की मिसाल थी, चाहे गठबंधन सरकार हो या एक वोट से बहुमत का प्रश्न। परमाणु परीक्षणों के माध्यम से उन्होंने भारत को आत्मसम्मान और सामर्थ्य का संदेश दिया। कारगिल संघर्ष के समय उनके नेतृत्व ने देश की सीमाओं और स्वाभिमान की रक्षा का संकल्प दृढ़ किया। उन्होंने स्व. श्री अटल जी की कविताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका साहित्य जीवन, समाज और लोकतंत्र को समभाव से आगे बढ़ने की सीख देता है। यह हम सबके लिए मार्गदर्शक है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि 25 दिसंबर को जन्म शताब्दी वर्ष के समापन अवसर पर ग्वालियर से 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के औद्योगिक निवेशों/विकास कार्यों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण स्व. श्री अटल जी को समर्पित किया जाएगा, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि स्व. श्री अटल जी मध्यप्रदेश की धरती से निकले ऐसे महापुरुष हैं, जिनका योगदान विश्व लोकतंत्र को गौरव प्रदान करता है।
समारोह के लिए राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु द्वारा प्रेषित शुभकामना संदेश का वाचन भी कार्यक्रम में किया गया।
स्व. श्री अटल जी की जन्म शताब्दी के उपलक्ष्य में पूरे देश में वर्षभर विविध कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में वर्ष के समापन से पूर्व इंदौर में ‘शून्य से शतक’ कार्यक्रम का आयोजन कर उनके विचारों, योगदान और व्यक्तित्व का स्मरण किया गया।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया ने स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व की जानकारी देते हुए कविता पाठ के माध्यम से स्व अटलजी का स्मरण किया।
*इन विभूतियों को मिला ‘अटल अलंकरण’*
इस अवसर पर श्री सत्यनारायण सत्तन (प्रसिद्ध कवि), श्री सत्यनारायण जटिया (पूर्व केंद्रीय मंत्री), श्री संजय जगदाले (भारतीय क्रिकेट टीम चयन समिति के पूर्व चयनकर्ता) तथा श्री पारंग शुक्ला (सागर) को ‘अटल अलंकरण’ से सम्मानित किया गया। समारोह में स्व. श्री अटल जी के जीवन पर आधारित एक भावपूर्ण लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। साथ ही, अटल जी से जुड़े संस्मरणों पर आधारित पुस्तक सदा अटल महाग्रंथ के तृतीय संस्करण के कवर पेज तथा केलेण्डर का विमोचन भी किया गया। अटल फाउंडेशन की श्रीमती माला तिवारी वाजपेई ने स्वागत भाषण दिया।





