महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया है कि हजारों वर्षों से भारतीय कालगणना का केंद्र बिन्दु रहा उज्जैन आज एक बार फिर भारत की भव्यता के एक नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है।मोदी के ट्वीट पर सैकड़ों कमेंट आए हैं। जैसे देवाधिदेव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, परम पावन महाकालेश्वर मंदिर के विस्तार, ‘श्री महाकाल लोक’ को प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को समर्पित किया है।यह कॉरिडोर आस्था को सम्मान, अस्मिता को संरक्षण और राष्ट्रीय गौरव बोध का नया स्वर्णिम अध्याय है।
मोदी के ट्वीट पर अलग-अलग तरह के कमेंट्स आए हैं। इनका आनंद ले सकते हैं। एक कमेंट है कि हम विश्व में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं परंतु जनसंख्या की दृष्टि से हम दूसरे नंबर पर हैं। हमारी अर्थव्यवस्था जनसंख्या की दृष्टि से बहुत छोटी है। इनकम टैक्स खत्म कीजिए। प्रत्यक्ष कर सामान्य लेनदेन में बहुत परेशानियां पैदा करते है। महाकाल के बहाने ही सही, सर्वजनहिताय मन की बात तो सामने आई। तो एक कमेंट है कि आपकी जुबान अब लड़खड़ाती सी प्रतीत हो रही है। आपने चीन के अतिक्रमण, गिरते रूपए, बढ़ती बेरोजगारी और मंहगाई पर कोई जवाब नहीं दिया। बस यह पब्लिक के बहुमूल्य टैक्स को वीडियो बनवाने में व्यर्थ कर दिया। भक्त प्रसन्न हो गए हिन्दू धर्म प्रगति कर रहा है। बगल में क्षिप्रा मैया स्वच्छ हो गयीं। तो एक कमेंट है कि हमें संस्कृति, सनातन को सबसे ज्यादा जो उत्थान मिला है वो आपके आने के बाद मिला यहाँ तक पिछली सरकारें जो केन्द्र में थीं, उन्होंने तो साफ सनातन धर्म को मानने से ही मना कर दिया था और सोमनाथ मंदिर के लिए पूर्व राष्ट्रपति को जाने के लिए मना कर दिया था लेकिन बाबू जी नहीं माने गए जरूर। और भी कमेंट हैं खाद, बीज सहित पक्ष-विपक्ष की भावनाओं को प्रकट करते।
पर बात यदि महाकाल लोक की हो, तो निश्चित तौर पर महाकाल का विस्तार अब उज्जैन पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कुछ और ठहरने को मजबूर करेगा। रात्रि में रोशनी में महाकाल लोक का भ्रमण करने को आकर्षित करेगा। तो शिव संसार की धार्मिक जानकारी अर्जित करने के साथ उसमें रमने का भी पूरा अवसर देगा। वैसे हो सकता है कि सरकार ने सोचा होगा और दूसरे चरण में महाकाल ट्रस्ट की तरफ से श्रद्धालुओं के ठहरने का कोई विश्वसनीय, उचित मूल्य का इंतजाम भी सरकार करेगी, ताकि श्रद्धा, आस्था और भरोसे का संगम क्षिप्रा तट पर महाकाल की नगरी में भक्तों को आनंद की परम अनुभूति से भरकर विदा करता रहे। क्योंकि यह तय है कि मनमोहक और ज्ञानवर्धक विस्तार के साथ श्रद्धालुओं का मन उज्जैन में रमाएगा महाकाल का संसार…