विष्णु की शुभंकर छवि में लगातार हो रहा इजाफा…

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V D SHARMA
भाजपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में 109 सीटें मिलीं थीं और वह सरकार नहीं बना पाई थी। कांग्रेस ने 114 सीटें जीतकर और बसपा के 2, सपा के एक और चार निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल कर सरकार बना ली थी। कांग्रेस की जिताऊ तिकड़ी के तीन महत्वपूर्ण चेहरों में कांग्रेस की सरकार के मुखिया कमलनाथ बने थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी कमलनाथ के पास था। सिंधिया चाहते थे कि सरकार के मुखिया कमलनाथ हैं तो उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी से नवाजा जाए।
पर कांग्रेस में श्रीमंत और राजा का आंकड़ा छत्तीस का रहा, सो कोई उत्साहजनक परिणाम नहीं मिल पाया। इसी बीच फरवरी 2020 में भाजपा ने संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी विष्णुदत्त शर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सौंपी थी। और इसके बाद ही प्रदेश की राजनीति में जो उथल-पुथल हुआ, वह सबके सामने रहा। अंततः कांग्रेस सरकार और संगठन के तीन पायों में से सबसे मजबूत ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों का इस्तीफा दिलवाकर भाजपा में आ गए। बाद में यह आंकड़ा बढ़ गया था।
और तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विष्णु को शुभंकर कहा था, जब उनके भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के सवा महीने में ही पार्टी की शिवराज के नेतृत्व में सरकार बन गई थी। किसी को भी यह पता नहीं था कि शुभंकर विष्णु की लंबी पारी में दूसरे दलों के विधायकों का भाजपा में आने का सिलसिला लगातार चलता रहेगा। पर यही हुआ और 28 उपचुनावों में से 19 सीटें जीतने पर शिवराज के नेतृृत्व में सरकार को स्थायित्व मिल गया। इसके बाद राहुल सिंह लोधी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। और अब बसपा से संजीव सिंह कुशवाह, सपा से राजेश शुक्ला और निर्दलीय विधायक विक्रम राणा ने मंगलवार को भाजपा का दामन थाम लिया है।
यानि कि विष्णुदत्त शर्मा ने साबित कर दिया है कि वह पार्टी के लिए शुभंकर थे, हैं और  रहेंगे…। वह अब प्रदेश अध्यक्षों में उस सबसे अहम स्थान पर पहुंच चुके हैं, जिसके अभी तक लगभग सवा दो साल के कार्यकाल में दूसरे दलों के सर्वाधिक विधायक भगवामय होकर गर्व के साथ उपचुनावी मैदान में उतरे हैं। यानि प्रदेश में पार्टी की सरकार बनाने से लेकर अब तक विष्णुदत्त शर्मा ने पार्टी की विचारधारा में दूसरे दलों के विधायकों को रंगने का काम किया है। अध्यक्षीय कार्यकाल में यह उनकी विशेष उपलब्धि है, जिसे दलीय व्यवस्था में भले ही अलग-अलग नजरिए से देखा जाए लेकिन भाजपा के कांग्रेस मुक्त भारत मिशन में महत्वपूर्ण मानी जाएगी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने पर उनके साथ तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभुराम चौधरी, महेंद्र सिंह सिसौदिया,प्रद्युम्न सिंह तोमर, बिसाहू लाल सिंह,नारायण पटेल, हरदीप सिंह डंग, राजवर्धन सिंह दत्‍तीगांव, सुरेश धाकड़, ओपीएस भदौरिया, बृजेंद्र सिंह यादव, मुन्नालाल गोयल,जसपाल सिंह,रघुराज सिंह कंषाना, कमलेश जाटव, रणवीर जाटव, मनोज चौधरी, जसमंत जाटव, प्रदुम्न सिंह लोधी, एंदल सिंह कंसाना,इमरती देवी, गिर्राज दंडोतिया जैसे नेता भाजपा के केसरिया रंग गए थे। तो उसके बाद यह सिलसिला जारी है।राहुल सिंह लोधी ने भी भाजपा का दामन थामा, तो अब संजीव सिंह कुशवाहा,राजेश शुक्ला और विक्रम सिंह राणा भी पार्टी का हिस्सा बन चुके हैं। पूरे प्रदेश में कई पूर्व विधायक और कांग्रेस कार्यकर्ता भी लगातार भाजपा में आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुलासा कर सभी को चौंका दिया कि यह विधायक 2018 में सरकार बनाने के लिए उनका साथ देने भोपाल रवाना हो चुके थे, पर बाद में मन बदला और शिवराज ने विपक्ष में बैठने के फैसले पर अमल किया। तब आधे रास्ते से विधायकों को वापस किया गया था। आने वाले समय में भाजपा विचारधारा को ओढे और कितने विधायक दूसरे दलों में बैठे हैं, यह साफ होगा…जैसा कि सचिन बिरला का मामला भी है। शिवराज ने भाजपा की विचारधारा में शामिल हुए इन नेताओं से अपील की है कि प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा के नेतृत्व में वह संगठन को मजबूत करेंगे तो सरकार के बतौर वह उनके क्षेत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। तो दूसरे दलों के विधायकों का भाजपा का दामन थामने के साथ विष्णु दत्त शर्मा की शुभंकर छवि में लगातार इजाफा हो रहा है। जबकि अभी भी विधानसभा चुनाव में सवा साल बाकी है।