“काजल की कोठरी में बेदाग शिवराज विलक्षण” भी हैं और “जननायक” भी हैं …

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शिवराज “जननायक” भी हैं और “विलक्षण” भी हैं। ‘जननायक’ न होते तो शायद मध्यप्रदेश का चौथी बार मुख्यमंत्री बन पाना नामुमकिन था। और ‘विलक्षण’ न होते तब भी एक गैर राजनैतिक पृष्ठभूमि वाले सामान्य परिवार में जन्म लेकर मुख्यमंत्री बनने से पहले भी एक बार विधायक और पांच बार सांसद बन पाना मुमकिन नहीं था।
अब इसमें बहस की कोई गुंजाइश ही नहीं रही कि शिवराज सिंह चौहान वाकई “विलक्षण जननायक” हैं, जो बिना विश्राम दिन-रात प्रदेश की साठे आठ करोड़ जनता के काज में लगे रहते हैं। जनकाज में लगे रहना अलग बात है लेकिन जिस तरह मध्यप्रदेश में समाज के उत्थान के लिए शिवराज ने समाजोन्मुखी, जनकल्याणकारी, विकासोन्मुखी योजनाओं का क्रियान्वयन किया है, उन योजनाओं ने करोड़ों गरीब-अमीर सभी प्रदेशवासियों को लाभांवित किया है।
जिस तरह योजनाओं की सराहना की जा सकती है, उसी तरह आलोचनाओं के लिए भी असीम संभावनाएं बन जाती हैं। लेकिन उपलब्धियों-आलोचनाओं के मंथन के बाद भी यह तय है कि शिवराज के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने प्रगति, विकास और जनहित की दिशा में चार कदम आगे ही बढ़ाए हैं…यह ही मंथन का सार साबित होगा।
बात प्रदेश में आधारभूत संरचना के विकास की हो, तो 2003 से पहले और 2003 के बाद के उन करीब 16 साल 9 माह की भाजपा सरकार की उपलब्धियों की तुलना नहीं की जा सकती। और शिवराज की विलक्षणता इसी में है, कि इन 16 साल 9 माह की भाजपा सरकार में करीब 14 साल 10 माह वही मुख्यमंत्री रहे हैं।
और 2008 और 2013 में भाजपा सरकार की वापसी का श्रेय शिवराज के नेतृत्व को ही जाता है, जिसके चलते उन्हें मध्यप्रदेश में “जननायक” का सम्मान हासिल हुआ है। और शिवराज की विलक्षणता यह भी है कि 2018 में भले ही बहुत कम अंतर से भाजपा सरकार के जाने के बावजूद जब दोबारा 15 महीने की सरकार बनी, तो पार्टी में चरमोत्कर्ष पर आंतरिक मतभिन्नता के बावजूद राष्ट्रीय नेतृत्व ने चौथी बार शिवराज को ही नेतृत्व का अवसर दिया। अब चौथी पारी के करीब दो साल पूरे हो चुके हैं।
इन दो सालों में पहली परीक्षा सरकार को स्थायित्व देने के लिए 28 उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को पर्याप्त संख्या में जिताकर विधानसभा में पहुंचाना था। इस परीक्षा में शिवराज के नेतृत्व में भाजपा विशेष योग्यता के साथ उत्तीर्ण हुई। उपचुनावों की दूसरी परीक्षा में भी शिवराज के नेतृत्व में भाजपा ने 3-1 से उत्तीर्ण कर अपना परचम फहराया। इसके बावजूद समय-समय पर यह अटकलें चलती रहती हैं कि चेहरा बदलने वाला है।
कभी विपक्ष की तरफ से चुटकी ली जाती है तो कभी-कभी पार्टी के भीतर से इस तरह के संकेत हवा में उड़ते नजर जाते हैं। लेकिन शिवराज के चेहरे पर कभी निराशा का भाव उत्पन्न नहीं होता, मुस्कराते हुए वह जनकाज में लगे रहते हैं…यह भी शिवराज की विलक्षणता ही है।
रही बात विपक्ष के आरोपों की, तो पंद्रह साल के बाद पंद्रह महीने का अवसर एक बार फिर कांग्रेस को मिला था। अगर कांग्रेस की सरकार गिरी, तो इसके लिए भले ही बिकाऊ-टिकाऊ, खरीद-फरोख्त और लोकतंत्र की हत्या जैसे नारे उछाले गए और 28 उपचुनावों में इनकी गूंज सर्वाधिक थी। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शिवराज का कहीं न कहीं असर तो था ही, जिसकी वजह से 19 सीटें भाजपा को जिताकर जनता ने सभी आरोपों को नकारा था।
तो पहले भी लगातार 13 साल से ज्यादा समय मुख्यमंत्री रह चुके शिवराज के कामों पर 15 माह के कांग्रेस सरकार के कार्यों से तुलना कर ही तो फिर से मुहर लगाकर जनता ने 2018 की चूक को दुरुस्त किया था। एक कहावत है कि “काजल की कोठरी में कइसो ही सयानो जाये, एक लीक काजल की लागिहें पै लागिहें”, यह बात भारतीय राजनीति पर शत-प्रतिशत लागू होती है।
यह एक लीक काजल की शिवराज के चेहरे पर लगाने की कोशिश भी विपक्ष द्वारा बार-बार की गई, लेकिन हर बार शिवराज ने खुद को बेदाग साबित कर फिर नई ऊर्जा के साथ अपनी पारी को जारी रखा। और एक समय तो ऐसा था कि विपक्ष का लक्ष्य ही यही था कि शिवराज के चेहरे को दागदार बनाकर मुख्यमंत्री पद से गिराया जाए, तब ही कांग्रेस की वापसी संभव है। हालांकि यह संभव नहीं हो सका, लेकिन कांग्रेस की सरकार जरूर शिवराज के रहते ही बनी। पर पंद्रह महीने की अपनी सरकार में भी कांग्रेस शिवराज के चेहरे पर काजल की लीक नहीं लगा पाई।
यहां भी शिवराज “विलक्षण जननायक” के रूप में ही सामने आए हैं। और यह भी शिवराज की विलक्षणता ही है कि अब नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ विधानसभा में शिवराज सरकार की आलोचना तो करते हैं लेकिन मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच का ऐसा समन्वय शायद पिछले 21 साल में पहली बार ही देखने को मिला है। ऐसे में जब भी मध्यप्रदेश की राजनीति की चर्चा होगी, तब भी मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज की उपलब्धियों को नकारा नहीं जा सकेगा और एक “विलक्षण जननायक” के रूप में वह इतिहास के पन्नों में हमेशा मौजूद रहेंगे।