सेहत‌ के लिए लाभदायक करेले की तरह कड़वी है दूसरी सूची…

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सेहत‌ के लिए लाभदायक करेले की तरह कड़वी है दूसरी सूची…

मध्यप्रदेश भाजपा की दूसरी सूची ने सबका सच से सामना करवा दिया है। दिन में कार्यकर्ता महाकुंभ में जितनी केंद्रीय हस्तियां मोदी के साथ मंच साझा कर रही थीं, देर शाम तक सब मैदान में दिखाई दीं। जो बच गए हैं, वह भी अगली सूची आने की बात मन में आते ही डरे-डरे से तो होंगे ही। मोदी ने शायद इसीलिए कार्यकर्ता महाकुंभ में बिना किसी का नाम लिए मंच पर विराजमान सभी भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेतागण और मेरे साथी संबोधन से ही बात शुरू की थी। ताकि शाम को सभी वरिष्ठ नेतागण शाम को सूची जारी होने पर अपनी जिम्मेदारी और वरिष्ठता का अहसास कर लेंगे, मोदी ने यही सोचा होगा। मंच पर मौजूद केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और सांसद राकेश सिंह पंडित दीनदयाल की जयंती की शाम सूची जारी होने के बाद मैदान में आ गए। तीन अन्य सांसद गणेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक को भी विधानसभा के मैदान में विजय पताका फहराने का दायित्व सौंपा गया।
अब जनसामान्य में चर्चा हो रही है कि जो टिकट बांटने वाले थे, उन्हें ही टिकट थमा दिया गया। दूसरी चर्चा चारों तरफ है कि सारे सीएम फेस मैदान में नजर आ रहे हैं। जब-जब बदलाव की बात चली तो सबसे पहला नाम नरेंद्र सिंह तोमर, दूसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय और तीसरा नाम प्रहलाद पटेल और बाकी दूसरे नामों की भी चर्चा चलती रही। अब सीएम का टिकट जारी होना बाकी है और सीएम फेस वाले सभी चेहरे मैदान में हैं। यह फरमान मोदी-शाह ने पार्टी की रीति-नीति से ही सुनाया है, जहां हर नेता कार्यकर्ता बस है। और जब सीएम के बदलाव की खबर कोहरे में दबी, तो‌ प्रदेश अध्यक्ष के लिए कभी कैलाश विजयवर्गीय और कभी प्रहलाद पटेल का नाम हवा में तैरता रहा। प्रहलाद पटेल को तो‌ एक बार उनके चहेतों की बधाईयों से सोशल मीडिया ही अघा गया था। खैर न तो संगठन में बदलाव हुआ और न ही सत्ता में। अब विधानसभा चुनाव के वक्त सांसद और केंद्रीय मंत्रियों की सोच में बदलाव का वक्त जरूर आ गया। बदलाव को सोच‌ तक सीमित नहीं छोड़ा बल्कि यह कहें कि पार्टी हित में समझौता करने को राजी कर लिया या फिर मजबूर कर दिया। अब राजी होने के अलावा कोई चारा भी नहीं है। सभी वरिष्ठ नेताओं को अब उनके पुत्र-भाई-भतीजा मोह से बाहर निकलने का फरमान भी 39 नामों की यह दूसरी सूची सुना रही है। सरकार वापस आई तो इन दिग्गजों को केंद्रीय मंत्री की जगह राज्य में सीएम फेस वाले कैबिनेट मंत्री का रुतबा मिलने की अपेक्षा तो मोदी-शाह से की ही जा सकती है। पर इसमें भी कोई टर्म्स एंड कंडीशन की गुंजाइश कतई नहीं है। जो दायित्व मिलेगा, उसे ईमानदारी से निर्वहन करने की जिम्मेदारी कैडर बेस पार्टी के छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं की है। अब एक तरफ पिता मोर्चा संभाल रहे हैं तो हो सकता है कि दूसरी तरफ कुछ पिताओं को आराम देकर पुत्रों को मैदान मारने का मौका मिल जाए, क्योंकि कैडर बेस पार्टी में सब संभव है।
पर यह बात तो सौ फीसदी सही है कि भाजपा की दूसरी सूची ने यह साबित कर दिया है कि टिकट वितरण के इस फार्मूले ने हाजमा तो बिगाड़ा है। किसका बिगाड़ा और किसका नहीं बिगड़ा, यह अलग बात है। पर विपक्षी दल कांग्रेस में भी चिंतन मनन की प्रक्रिया तो बढ़ ‌ही गई होगी, भाजपा की दूसरी सूची देखकर। हालांकि भाजपा के लिए यह दूसरी सूची सेहत सुधारने वाले उस करेले की तरह ही है जो कड़वाहट लिए मिठास भी घोल रही है…।