मोहन राज में गौवंश के लिए विशेष काज की आस…
भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में गाय हमेशा प्राथमिकता पर रही है। मध्यप्रदेश में 15 माह छोड़कर पिछले बीस साल से भाजपा की सरकार ही रही है। 2018 में जब कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी थी, तब कांग्रेस सरकार ने भी गौवंश के प्रति असीम प्रेम दिखाया था। यहां तक कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बनी कांग्रेस सरकारों ने भी गाय और गौवंश के लिए मानो खुद को पूरी तरह से समर्पित कर दिया था। अब 2023 में इन तीनों राज्यों में भाजपा सरकार बन गई है। हम मध्यप्रदेश की बात करें तो गौवंश के प्रति भाजपा सरकार के बीस साल के प्रयास और समर्पण के बाद भी प्रदेश की सभी सड़कों पर गौवंश आवारा पशुओं की तरह दिन-रात देखने को मिलता है।
कमलनाथ सरकार ने एक हजार गौशाला बनाने की मुहिम शुरू की थी, तब प्रदेश में बनी भाजपा सरकार ने एक बार फिर गौवंश की सुध अपनी तरह से ली। पर न तो कभी गौशाला संचालक ही संतुष्ट नजर आए और न ही गौवंश ही संरक्षित और सुरक्षित प्रतीत हुआ। पर अब यदुवंशी डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं, तब गौवंश के संरक्षण, संवर्धन और सुरक्षा के प्रति प्रदेश की उम्मीदें कुछ ज्यादा बढ़ गईं हैं। और खास बात यह भी है कि कृषक परिवार से आए लखन पटेल को पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी मिली है। तो यदुवंशी डॉ. मोहन यादव और किसान पुत्र लखन पटेल मिलकर गौवंश को आवारा पशुओं की श्रेणी से मुक्त कर मध्यप्रदेश को इस क्षेत्र में आदर्श राज्य का दर्जा दिलाएंगे, यह उम्मीद प्रदेश को है और गौवंश भी आवारापन से मुक्त होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। यह सभी को पता है कि प्रयासों की पराकाष्ठा हुई तो इस उद्देश्य की पूर्ति सौ फीसदी संभव है।
मध्यप्रदेश में गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन पर आयोजित हितधारकों की कार्यशाला के समापन सत्र में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी शायद प्रदेश को यही आश्वस्त करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जिसके घर में गाय हैं वो गोपाल, जिसके घर में गाय नहीं है, वो भू-पाल (पृथ्वी पर वजन) है। भारत के अंदर गौशाला बनाना और गौशाला चलाना पवित्र काम है। लेकिन पहला प्रयास होना चाहिए कि लोग गौशाला के बजाय घर-घर में गाय पालें। गौ संवर्धन बोर्ड बनाने से काम नहीं चलेगा। अलग-अलग विभागों को एक साथ जोड़कर मंत्रिमंडलीय समिति बनाएंगे, जिसे अगली कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। बैठक में राजस्व मंत्री, धर्मस्व मंत्री, संस्कृति मंत्री, पर्यटन मंत्री, पशुपालन मंत्री, नगरीय निकाय और ग्राम पंचायत के मंत्री रहेंगे। ये सभी विभाग मिलकर समग्र विचार करेंगे। डॉ. मोहन यादव ने चिंता जताई कि बड़े-बड़े मंदिर हैं लेकिन वहां गौशाला नहीं है। किसान सिर्फ कृषि आय पर निर्भर नहीं रहे, रोजमर्रा के लिए पशुपालन का व्यवसाय उसके पास होना चाहिए। दूध का उत्पादन बढ़ाया जाए और उसके उपयोग को लेकर सरकार क्या प्रोत्साहन दे सकती है ? इस पर भी काम कर रहे हैं। गौशाला की आय के साथ, गौशाला अपने पैरों पर खड़ी होनी चाहिए।
गौ माता और नंदी सड़कों पर बैठते हैं, उन्हें सूखी जगह में बैठने की आदत होती है। सड़कों पर इसलिए बैठती हैं क्योंकि वो सूखी जगह होती है और जब गाड़ियां चलती हैं तो वो पंखे का काम करती हैं। ये संवेदना समझने की जरूरत है। हमने तय किया है कि अगली बरसात तक किसी भी हालत में सड़कों पर गौवंश को नहीं रहने देंगे, उसके लिए जो करना होगा वो करेंगे। किसी भी हालत में जितनी गौशालाएं अधूरी हैं, उन गौशालाओं को पूरी कराएंगे। ये सरकार का पहला निर्णय है। गो संवर्धन बोर्ड के माध्यम से अभी गौशालाओं को 20 रुपये मिलते हैं, उन्हें डबल करके 40 रुपये दिए जाएंगे। इसे समय पर दिलवाएंगे इसमें लंबा गैप नहीं होगा। पंचायत को प्रेरित करेंगे, भूसा काटने की मशीन और अन्य संसाधनों के लिए अनुदान देंगे। जहां-जहां चरनोई है, वहां से अतिक्रमण हटाएंगे। प्रति 50 किलोमीटर टोल एजेंसी के अनुबंध के अनुसार हाइड्रोलिक कैटल लिफ्टिंग वाहन की व्यवस्था की जाएगी ताकि घायल पशुओं की लिफ्टिंग की जा सके। चैत्र पड़वा से नया वर्ष – गौ वंश रक्षा वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
गौवंश के प्रति अपने भावों से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह जता दिया है कि वह गोपाल हैं। उन्होंने यह भी जता दिया है कि गौवंश को सड़कों पर बैठने से मुक्ति दिलाएंगे। इसके लिए सरकार को चाहे कुछ भी करना पड़े। गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए भी सरकार हर कदम उठाएगी। पशुपालन मंत्री लखन पटेल ने भी आश्वस्त किया कि शासन का लक्ष्य है कि कोई भी गौ-वंश निराश्रित न हो, दुर्घटना का शिकार न हो। गौ-वंश के संरक्षण के साथ बेहतर पोषण की व्यवस्था बने। गौशालाओं की वित्तीय आत्मनिर्भरता हेतु प्रशासनिक, वित्तीय, सामाजिक और विधिक विषयों और प्रावधानों पर मंथन कर अमृत निकाला जाएगा। निराश्रित गौ-वंश के संरक्षण, गौशाला संचालन, उत्पादों के विपणन और शासकीय सहयोग के विभिन्न विषयों पर सरकार बहुत कुछ बेहतर करेगी।
तो गोपाल मोहन राज में मध्यप्रदेश में गौवंश के संरक्षण और संवर्धन के लिए हर किसी को विशेष काज की आस है। गौवंश भूख से तड़पकर मरने को मजबूर नहीं होगा। सड़क पर बैठने और दुर्घटना का शिकार होने को अभिशप्त नहीं रहेगा। और जिस तरह गौवंश के प्रति मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव में संवेदना है, वैसी मध्यप्रदेश के हर नागरिक के मन में हो। और सबसे बड़ी बात यह कि हर घर गोपाल बन जाए और हर नागरिक गोपाल बनकर गौवंश के प्रति प्रेम से भर जाए और संवेदनशील बन जाए…तब फिर गौवंश भारत को दूध की नदियों वाला देश बना देगा…।