मंत्री बंगले में एक घंटे नहीं होता बिजली का उपयोग…और नैसर्गिक वातावरण ‘विद्या वन’ में पढ़ेंगे विद्यार्थी…

270

मंत्री बंगले में एक घंटे नहीं होता बिजली का उपयोग…और नैसर्गिक वातावरण ‘विद्या वन’ में पढ़ेंगे विद्यार्थी…

क्या कोई सोच सकता है कि मंत्री बंगले में बैठे हैं और गर्मी के दिन में डेढ़ बजे जब तापमान आसमान छू रहा हो, तब अचानक ही पूरे बंगले की लाइट, एसी, पंखे और बिजली के उपयोग का हर काम बंद कर दिया जाता है। खुद मंत्री गर्मी और प्राकृतिक रोशनी में बैठकर एक घंटा बिजली बचाने को समर्पित हैं और उनके बंगले के परिसर का हर व्यक्ति मंत्री के संकल्प के प्रति पूरी निष्ठा संग प्रतिबद्ध है। यह संकल्प भी उस दौर में जब दूसरे मंत्री थोड़ी देर बिजली जाने पर भी इंवर्टर या जनरेटर जैसी वैकल्पिक व्यवस्था रखते हैं। तब संकल्प को समर्पित एक कैबिनेट मंत्री न तो गर्मी व पसीने की परवाह करता है और न ही पद व प्रतिष्ठा के रौब की। और इस एक घंटा बिजली उपयोग न करने का समय भी वह चुना, जब बिजली का अधिकतम उपयोग होता है। जी हां दोपहर डेढ़ बजे से ढाई बजे तक एक घंटा, जिसे बिना एसी, पंखा या कूलर के बिताना सामान्य सोच और पद-प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति के लिए नामुमकिन है। जी हां संकल्प के धनी और संकल्प के प्रति पूरी तरह से समर्पित यह मंत्री हैं मध्यप्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा एव तकनीकी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार। इनकी सहजता, सरलता, सादा रहन-सहन और उच्च विचार से ज्यादातर लोग परिचित हैं। शनिवार यानि 29 जून 2024 को जब मैं उनके बंगले परिसर स्थित कार्यालय में था और डेढ़ बजे अचानक एसी, पंखा, लाइट बंद हुई तो मुझे भी आश्चर्य हुआ। बाद में पता चला कि इस संकल्प की सूचना बकायदा बंगले के बाहर की दीवार पर चस्पा है। और बंगले पर पहुंचने वाले ज्यादातर लोगों की नजर इस पर पड़ती भी है। यह बात और है कि कोई भी आसानी से इतने कठिन संकल्प का व्रत लेने की हिम्मत नहीं जुटा सकता है और देखकर भी अनदेखा कर देता है। पर कार्यालय के अफसरों ने बताया कि मंत्री बंगला परिसर पिछले चार महीने से इस संकल्प पर सौ फीसदी खरा उतरा है और यह संभव हो पाया है खुद मंत्री इंदर सिंह परमार की दृढ़ इच्छा शक्ति के चलते। निश्चित तौर से मंत्री की इस नेक सोच को पूरे प्रदेश में लागू कर एक मिसाल पेश की जा सकती है। निजी क्षेत्र को छोड़ भी दें तो सरकारी कार्यालयों में ही इसका अमल कर सभी नागरिकों को प्रेरित किया जा सकता है। और इस संकल्प के प्रति सौ फीसदी प्रतिबद्धता की चमक डेढ़ से ढाई बजे तक बंगले पर मौजूद मंत्री इंदर सिंह परमार के चेहरे पर महसूस भी की जा सकती है। मंत्री इंदर सिंह परमार का मानना है कि कोई व्यक्ति प्रेरणा ले या न ले, पर उन्हें संकल्प की पूरे मन से अमल करने की संतुष्टि है। तो आइए हम सब भी इस तरह की सोच पर अपने कदम आगे बढाएं और सबका जीवन खुशहाल बनाने में अपना-अपना योगदान करें।

IMG 20240629 WA0955

वैसे मंत्री इंदर सिंह परमार ने अब तकनीकी शिक्षा के विद्यार्थियों को भी गुरुकुल परंपरा का अनुभव कराने की पूरी तैयारी कर ली है। बढ़ते तापमान के बीच मंत्री ने हर तकनीकी संस्थान में “विद्या वन” नामक विचार को पल्लवित और पोषित करने का मन बना लिया है। मॉडल के रूप में सरदार वल्लभभाई पटेल पॉलिटेक्निक कॉलेज से इसकी शुरुआत हो रही है। सरदार बल्लभ भाई पटेल पॉलिटेक्निक कॉलेज में विकसित ‘विद्या-वन’, ‘विद्या संवाद केंद्र’ और नैसर्गिक वातावरण में वाद-संवाद को मॉडल रूप में पेश कर प्रदेश के सभी तकनीकी, शासकीय और निजी महाविद्यालयों में ‘विद्या-वन’ विकसित किए जाएंगे। मंत्री इंदर सिंह परमार का मानना है कि प्रकृति के साथ मानवीय सभ्यता का अस्तित्व जुड़ा हुआ है। ऐसे में वर्तमान वैश्विक तापमान वृद्धि और वन संपदा की लगातार हो रही कमी को देखते हुए जरूरी है कि हमारी युवा पीढ़ी की चेतना को इस दिशा में जागृत किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी इस पर बल देती है। उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा विभाग के समस्त संस्थानों, शासकीय महाविद्यालयों, अनुदान प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों और निजी महाविद्यालयों में ‘विद्या वन’ तैयार किए जाएंगे। संस्थाओं के परिसर में उपलब्ध भूमि पर विद्यार्थियों के द्वारा वृक्षारोपण कर विद्या वन तैयार होंगे। इसे एक अभियान के रूप में वर्षाकाल से प्रारंभ किया जाएगा। नीम, पीपल, करंज, मौलश्री, गूलर, इमली, महुआ इत्यादि पौधों को प्राथमिकता दी जाएगी। दीवारों पर भारतीय तकनीकी ज्ञान संबंधी जानकारी लिखकर विद्यार्थियों को अवगत कराया जाएगा। भारत के प्राचीन वृक्ष जो लुप्त हो गए हैं एवं हरिद्वार में बाबा रामदेव ने संरक्षित किये हैं, उनको विद्या वन में लगाकर नई पीढ़ी को इनसे परिचित कराया जाएगा। विद्या वन को विद्या संवाद का केंद्र बनाया जाएगा। परिसर के पानी को संरक्षित कर उसका उपयोग करने की व्यवस्था होगी। वातावरण को नैसर्गिक बनाने के लिए विद्या वन में ऐसे पौधे लगाने की योजना है, जिन पर पक्षी अपने घौसले बनाना पसंद करते हैं। कमिश्नर तकनीकी शिक्षा मदन विभीषण नागरगोजे ने मंत्री इंदर सिंह परमार की मंशा के अनुरूप कार्य करने का भरोसा जताया है।

निश्चित तौर पर मंत्री इंदर सिंह परमार की सोच अच्छी है और उनके संकल्प भी श्रेष्ठ हैं। यदि बिजली बचाने का कठिन संकल्प पूरा करने का साहस सभी करें तो प्रदेश के किसान खुशहाल हो सकते हैं और गांव-गांव तक हर समय बिजली की उपलब्धता संभव है। इसी तरह विद्या वन जैसी सोच बढ़ते तापमान संकट से मुक्ति दिला सकते हैं और विद्यार्थियों को नैसर्गिक वातावरण से जुड़े रहने का पाठ पढ़ा कर उनके भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। सरकार ऐसे प्रयोगों का विस्तार कर राज्य को मॉडल प्रदेश बनाने में सफल हो सकती है।