पूरे मध्यप्रदेश का गौरव दिवस बन गया ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया का यह दिन…

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पूरे मध्यप्रदेश का गौरव दिवस बन गया ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया का यह दिन…

ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया विक्रम संवत 2080 का दिन पूरे मध्यप्रदेश के लिए गौरव दिवस बन गया। आज यह भी प्रतीत हुआ कि देश अब हिन्दू राष्ट्र जैसा अनुभव करने लगा है। आज देश के दो शूरवीरों मेवाड़ राज्य के महाराणा प्रताप और बुंदेलखंड के महाराज छत्रसाल की जयंती जिस तरह से मध्यप्रदेश में मनाई गई, उसने हर देशवासी, मध्यप्रदेश निवासी और बुंदेलखंड के जन-जन को गौरव से भर दिया। यहां रुके तो बात अधूरी रहेगी। इन दो शूरवीरों की जयंती के साथ शौर्य का पर्याय चित्तौड़ की रानी पद्मावती की प्रतिमा का अनावरण भी ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को राजधानी भोपाल में हुआ, इससे हर मन ने मानो गगन को छू लिया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मध्यप्रदेश की सरकार की यह सोच अनुकरणीय है। जिस तरह लाड़ली लक्ष्मी या कन्या विवाह जैसी योजनाओं को देश के दूसरे राज्यों ने स्वीकारा है, उस तरह वीरता और शौर्य के पर्याय इन महानायकों और महानायिकाओं का स्मरण और सम्मान हर राज्य में इसी तरह से होना चाहिए। महान वीरों और वीरांगनाओं का यह स्मरण हमारी पीढ़ियों को देश की गौरवपूर्ण संस्कृति और अतीत से ओतप्रोत करता रहेगा। इन तीनों महान शख्सियतों की समानता है कि इन्होंने आक्रांता दिल्ली सल्तनत और मुगल शासकों को आइना भी दिखाया और अपने पराक्रम का लोहा मनवाया। उस दौर में जब अकबर की तूती बोल रही थी, तब महाराणा प्रताप ने उसे नाकों चने चबवाकर मेवाड़ राज्य को स्वतंत्र रखा। तो रानी पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी के बंदीगृह से पति रतन सिंह को आजाद कराकर जहां शौर्य का परचम फहराया, तो जौहर कर उसके चेहरे पर कालिख पोतकर दुनिया को बता दिया कि भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत एक हिंदू स्त्री दुश्मनों के हर दुस्साहस को खाक करने में सक्षम है। वहीं बुंदेलखंड के महाराज छत्रसाल ने औरंगजेब की सेना को बार-बार धूल चटाकर न केवल बुंदेलखंड में स्वतंत्र साम्राज्य स्थापित किया, बल्कि हिंदू राष्ट्र का परचम भी फहराया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल की मनुआभान टेकरी पर महारानी पद्मावती की प्रतिमा का अनावरण किया।  शिवराज ने कहा कि भारतीय शौर्य एवं पराक्रम की प्रतीक महारानी पद्मावती की प्रतिमा स्थापना से एक संकल्प पूरा हुआ है। महारानी पद्मावती ने अपने स्वाभिमान और देश के गौरव की रक्षा के लिए स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। उनकी मूर्ति स्थापित करने के साथ ही इस स्थल को विकसित किया जा रहा है, जिससे युवा पीढ़ी महारानी के संघर्ष से प्रेरणा ले सकें और अपनी धर्म, संस्कृति और जीवन मूल्यों को न भूलें।

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भोपाल में ही महाराणा प्रताप की जयंती के मौके पर उनके वंशज लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ द्वारा हल्दी घाटी की मिट्टी भेंट करने से अभिभूत शिवराज ने कहा कि यह मेरे जीवन की अमूल्य निधि है। हल्दी घाटी की मिट्टी से पवित्र कुछ भी नहीं है, यह भारत के शौर्य और वीरता की प्रतीक है। इस माटी का मान-सम्मान और शान कभी जाने नहीं दूँगा। यह माटी सदैव महाराणा प्रताप के शौर्य की याद दिलाएगी और सही दिशा में कार्य के लिए निरंतर प्रेरित करती रहेगी। तो दिल को छू लेने वाली रही महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार डॉ. लक्ष्यराज सिंह के मन की बात। शिवराज की सोच और शख्सियत को उन्होंने अपने शब्दों में जिस तरह पिरोया, वह अद्वितीय है। लक्ष्यराज ने कहा कि किसी अच्छे व्यक्ति को हम हीरा कहते हैं। और हीरा बनने की चाहत सभी की होती है। पर यदि हीरा से पूछा जाता कि तुम किसके जैसा बनना चाहते हो और यदि वह बोल पाता तो यही कहता कि शिवराज सिंह चौहान जैसा। डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने सराहा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहे हैं। वे महाराणा प्रताप जी के आदर्शों पर चलकर प्रदेश का विकास कर रहे हैं। उन्होंने महाराणा प्रताप जी की जयंती पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश घोषित कर यह संदेश दिया है कि हम सब उन्हें याद करें और उनके शौर्य, बलिदान, देश प्रेम और जीवन मूल्यों से प्रेरणा प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य करें। निश्चित तौर से शिवराज की सोच की सराहना जितनी की जाए, वह कम है। लक्ष्यराज ने यह एक सफल प्रयास किया है। मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि महाराणा प्रताप देश के शौर्य के प्रतीक हैं। भोपाल में वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप लोक का निर्माण किया जाएगा। यह उनके त्याग, तपस्या, संघर्ष और बलिदान को श्रद्धांजलि होगी।

तो 22 मई 2023 ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया का तीसरा गौरवान्वित करने वाला महत्वपूर्ण आयोजन था महाराज छत्रसाल की जयंती पर आयोजित पन्ना गौरव दिवस का। मध्यकालीन राजपूत योद्धा महाराजा छत्रसाल बुन्देला भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे। उन्होंने मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना स्वतंत्र हिंदू राज्य स्थापित किया और ‘महाराजा’ की पदवी प्राप्त की। महाराजा छत्रसाल का जन्म राजपूत परिवार में हुआ था और वे ओरछा के रुद्र प्रताप सिंह के वंशज थे। वे अपने समय के महान वीर, संगठक, कुशल और प्रतापी राजा थे। उनका जीवन मुगलों की सत्ता के खिलाफ संघर्ष और बुन्देलखण्ड की स्वतन्त्रता स्थापित करने के लिए जूझते हुए निकला। वे जीवन के अन्तिम समय तक अपनी मातृभूमि के लिए संघर्ष करते रहे।

तो ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया के यह आयोजन मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज हो गए हैं। भोपाल के आयोजनों में शिवराज के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ साथ थे। तो पन्ना गौरव दिवस में शिवराज, तोमर के साथ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा, मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल और पन्ना का प्रतिनिधित्व कर रहे खनिज मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह उपस्थित रहे। पर अच्छी अनुभूति यही कि राजनीति से अलग यह दिन गौरव से भरा ऐतिहासिक था। यह दिन हमेशा गर्व करने का अवसर देता रहेगा।