राष्ट्रीय एकता को समर्पित है यह दीप पर्व…
यह संयोग ही है कि दीपावली का पर्व इस वर्ष 31 अक्टूबर को है और इस दिन ही हर साल राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। दीप पर्व से भगवान राम की कथा भी जुड़ी है कि राम चौदह साल बाद वापस अयोध्या लौटे, तब साफ सफाई और रंगाई पुताई के बाद अयोध्या को दीपों की रोशनी से जगमग किया गया था। और कहा जाए तो लक्ष्मी स्वरूपा माँ सीता के आगमन से अयोध्या धन वैभव से समृद्ध हुई थी। तो गणेश जी संग लक्ष्मी की पूजा की शुरुआत हो गई थी। तो राष्ट्रीय एकता दिवस हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इसे ‘राष्ट्र की एकता, अखंडता, और सुरक्षा’ के प्रति जनता की भावना को समर्पित करते हुए, 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था। यह दिन हमारे देश में विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और भाषाओं के बावजूद एकता को बनाए रखने के महत्व को रेखांकित करता है। तो राम भी बिना भेदभाव के सामाजिक सौहार्द और एकता के प्रतीक हैं। और सरदार वल्लभ भाई पटेल राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार रहे। ऐसे में यह दीप पर्व राष्ट्रीय एकता को समर्पित है। उस राष्ट्र की एकता को समर्पित है, जहां अनेकता में एकता और वसुधैव कुटुंबकम् का भाव दिलों में समाया है। जहां उत्तर में जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री हैं, तो दक्षिण में तमिलनाडु में एमके स्टालिन मुख्यमंत्री हैं। पंजाब में सरदार भगवंत मान सीएम हैं, तो मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हैं। या फिर पूर्व में असम में हिमंत बिस्वा सरमा और पश्चिम में गुजरात में भूपेंद्र भाई पटेल सीएम हों। हिंदू-मुस्लिम सिख-ईसाई, आपस में सब भाई-भाई का भाव भारत में सर्वत्र विद्यमान है। पर शर्त यही है कि भाई ही भाई की पीठ पर खंजर भौंकने का महारथी न बन सके।
तो आइए एकता की बात करते हैं। राष्ट्रीय एकता दिवस का मुख्य उद्देश्य देशवासियों को एकजुट रखना है। यह देश की विविधताओं के बावजूद लोगों के बीच भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने का प्रयास करता है। सरदार पटेल, जिन्हें ‘लौह पुरुष’ के नाम से जाना जाता है। सरदार पटेल ने स्वतंत्रता के बाद देश की 550 से अधिक रियासतों का एकीकरण करके एक सशक्त और संगठित भारत की नींव रखी थी। राष्ट्रीय एकता दिवस उनके इस योगदान को सम्मानित करने का एक प्रयास है। इस दिन पर कई गतिविधियों का आयोजन होता है, जैसे कि ‘रन फॉर यूनिटी’ दौड़, जिससे समाज में एकता का संदेश फैलाया जाता है। सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात में हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई और गांधीजी के साथ मिलकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। राष्ट्रीय एकता दिवस का आरंभ 31 अक्टूबर 2014 को सरदार पटेल की 139वीं जयंती के अवसर पर किया गया था। इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी और तब से हर वर्ष इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
तो यह राष्ट्रीय एकता दिवस इस बात का भी साक्षी बन रहा है कि जब असुरों यानि आतंकवादियों का नाश कर राम लौटे थे, तब अयोध्या में दीपावली मनी थी। ऐसे में जब दुनिया में आतंकी सोच का समूल नाश हो जाए, तब ही असल दीप पर्व मनाने के हम सब हकदार हैं। दीप पर्व का मतलब यह है कि ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ अर्थात अन्धकार की ओर नहीं, प्रकाश की ओर जाओ। तो अंधकार रूपी आसुरी आतंकी सोच नष्ट हो और सद्भाव सौहार्द का उजाला जग को रोशन करे। और यह दीप पर्व राष्ट्रीय एकता का वाहक बने, यही कामना है। हर देशवासी को राष्ट्रीय एकता को समर्पित यह दीप पर्व नई ऊर्जा दे…।