
यह तीसरे विश्व युद्ध की रिहर्सल है..
कौशल किशोर चतुर्वेदी
रूस-यूक्रेन, इजराइल-फिलिस्तीन, भारत-पाकिस्तान और अब इजरायल-अमेरिका और ईरान… युद्धों की यह श्रृंखला अब पूरी दुनिया को अपने आगोश में समेट रही है। रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध और तनाव जारी है, इजराइल-फिलिस्तीन के बीच युद्ध जारी है। भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध का अंत अभी नहीं हुआ है। ऑपरेशन सिंदूर ट्रेलर बनकर सबके सामने आ चुका है। और अब अमेरिका-इजरायल और ईरान के बीच युद्ध शायद यही कह रहा है कि अभी तक अगर डॉक्युमेंट्री चल रही थीं तो अब अमेरिका की एंट्री ने फिल्म निर्माण की नींव डाल दी है। और जिस तरह रूस अभी तक यूक्रेन को जीत नहीं पाया है, उसी तरह ईरान भी हैरान किए बिना कतई नहीं मानेगा।
अमेरिका की एंट्री के बाद अब स्क्रिप्ट बड़ी रोमांचक होने जा रही है। ईरान ने अपने तीन प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिका द्वारा की गई बमबारी का बदला लेने का संकल्प लेते हुए रविवार यानि 22 जून 2025 को कहा कि अमेरिकी हमलों के ‘‘दीर्घकालिक परिणाम’’ होंगे। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची की यह प्रतिक्रिया उसके तीन परमाणु प्रतिष्ठानों फोर्दो, नतांज और इस्फहान में अमेरिका द्वारा बी 2 बमवर्षकों के जरिये घातक ‘बंकर बस्टर’ बम गिराये जाने के कुछ घंटों बाद आई। वहीं अमेरिकी हमले के बाद ईरानी संसद ने एक बड़ा फैसला लिया है। संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। अब ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के बारे में अंतिम निर्णय लेना होगा। अगर ईरान ने जलडमरूमध्य बंद किया, तो दक्षिण और पूर्वी एशियाई देशों को भारी नुकसान होगा। वैश्विक तेल और गैस की मांग का लगभग 20% इसी जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। यह ईरान और ओमान के बीच स्थित एक पतला लेकिन महत्वपूर्ण जलमार्ग है। यह जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को उत्तर में ओमान की खाड़ी से दक्षिण में जोड़ता है। यह अरब सागर तक फैला हुआ है। होर्मुज जलडमरूमध्य लगभग 161 किलोमीटर लंबा है और अपने सबसे संकरे बिंदु पर 33 किलोमीटर चौड़ा है, जबकि शिपिंग लेन दोनों दिशाओं में सिर्फ तीन किलोमीटर चौड़ी है। यह जलडमरूमध्य दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल के टैंकरों के लिए पर्याप्त गहरा है और इसका उपयोग पश्चिम एशिया के प्रमुख तेल और गैस उत्पादकों और उनके ग्राहकों द्वारा किया जाता है। भारत और चीन जैसे विकासशील बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
और अब ईरान पर अमेरिकी हमले के खिलाफपाकिस्तान की प्रतिक्रिया को नकारा नहीं जा सकता। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी कर अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर किए गए सैन्य हमलों की कड़ी निंदा की है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि ईरान की संप्रभुता पर किया गया यह हमला क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है। और चीन ने भी अमेरिकी हमले की निंदा की है।
चीन ने ईरान पर अमेरिकी हमलों और आईएईए के सुरक्षा उपायों के तहत परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की कड़ी निंदा की है। चीन ने कहा, “अमेरिका की कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के उद्देश्यों और सिद्धांतों का उल्लंघन है। इससे मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ेगा।” और इससे आगे ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों के बाद यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की इमरजेंसी मीटिंग है। ईरान ने इस मीटिंग का अनुरोध किया था, जिसे पाकिस्तान, चीन और रूस का समर्थन मिला। हालांकि, इस मीटिंग का कोई खास मतलब नहीं होने वाला है, क्योंकि कुछ भी पास होने से पहले अमेरिका उसे वीटो कर देगा। पर पाकिस्तान, चीन और रूस अब सीधे तौर पर अमेरिका के सामने खड़े हो चुके हैं। यह एक गंभीर संकट के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान के इस्फहान, फोर्डो और नतांज परमाणु ठिकानों पर किया गया सटीक हमला सफल रहा। ट्रंप ने कहा कि तेहरान के परमाणु कार्यक्रम का मुकुट रत्न, फोर्डो नष्ट हो गया है। रूस ने अमेरिकी हमले की निंदा की है। रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने कहा, ‘शांति स्थापित करने वाले राष्ट्रपति के रूप में आए ट्रंप ने अमेरिका के लिए एक नया युद्ध शुरू कर दिया है। मखौल उड़ाया कि इस तरह की सफलता के साथ ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलेगा। उधर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अपनी हत्या की स्थिति में तीन उत्तराधिकारियों को नामित किया है। उत्तराधिकारियों में तीन वरिष्ठ मौलवी शामिल हैं। खास बात यह है कि इन उत्तराधिकारियों में उनके बेटे मुजतबा खामेनेई का नाम शामिल नहीं है। पर ईरान ने साफ किया है की उसने दो माह से लेकर 6 माह तक के युद्ध की तैयारी कर ली है। तो ईरान ने अमेरिका को दीर्घकालिक परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दे दी है। यही कहा जा सकता है कि युद्ध तो युद्ध है और यहां कोई भी आसानी से हार नहीं मानता। पर अब 21वीं सदी में युद्धों की श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए अमेरिका की एंट्री ने यह साफ कर दिया है कि अब तीसरे विश्व युद्ध की रिहर्सल शुरू हो गई है और रिहर्सल के बाद की भयंकर तस्वीर भी जल्दी ही सामने आ सकती है…।





