यह है पीढ़ीगत परिवर्तन वाला सदन…
सोलहवीं विधानसभा का पहला दिन और सदन में सब कुछ बदला-बदला नजर आया। आसंदी पर सोलहवीं विधानसभा में वरिष्ठतम विधायक डॉ. गोपाल भार्गव प्रोटेम स्पीकर के रूप में विराजमान रहे। सत्ता पक्ष में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहले स्थान पर आसीन और उनके पास उनके दो डिप्टी सीएम और चौथे स्थान पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जगह मिली। उनके बाद नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय जैसे कद्दावर नेता आसीन रहे। और विपक्ष में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर उमंग सिंघार आसीन रहे और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की गैरमौजूदगी के चलते पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, राजेंद्र सिंह आगे बैठे दिखाई दिए। मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के नए चेहरों ने सदन में नई पीढ़ी के नेतृत्व का अहसास कराया। बीच के पंद्रह माह छोड़ दिए जाएं, तो करीब सत्रह साल सत्ता पक्ष की पहली कुर्सी शिवराज के नाम रही। तो नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी अजय सिंह, सत्यदेव कटारे, कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेताओं के पास रही। हालांकि सोलहवीं विधानसभा के यह नए नेता भी चारों तरफ से वरिष्ठ नेताओं से ही घिरे नजर आ रहे हैं। अब एक निगाह मंत्रिमंडल के गठन पर पड़े, तब वास्तव में आकलन हो कि पीढ़ीगत परिवर्तन हुआ है या अभी मंजिल बढ़ी दूर है। हालांकि वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर को स्पीकर की कुर्सी पर आसीन होना है, तो यह साफ है कि वरिष्ठ के मार्गदर्शन में नई पीढ़ी को संवरने का पूरा अवसर मिलने वाला है। दलीय भाव से ऊपर उठकर सभी को प्रोत्साहित करने का भाव तोमर का व्यक्तिगत गुण है। वह स्पीकर के पद के लिए पार्टी की मंशा के मुताबिक नामांकन भर चुके हैं और बुधवार को निर्विरोध स्पीकर चुने जाएंगे। और तब तक नए मंत्रियों ने शपथ ले ली, तब स्पीकर पहले दिन से ही मंत्रिमंडल सहित मुख्यमंत्री, सत्ता पक्ष और विपक्ष को सामने बैठा देखेंगे।
पीढ़ीगत परिवर्तन हुआ तो पुराने मंत्रियों को फिर से कुर्सी पाने में निराशा हाथ लगने वाली है। वैसे यदि देखा जाए तो कम से कम दो भारी भरकम विभाग दो उप मुख्यमंत्री के हिस्से में आने वाले हैं। हालांकि यह साफ हो गया है कि इन दो या दूसरे बीस को क्या मिलेगा, यह उन दो पर ही निर्भर करता है। यदि पीढ़ीगत परिवर्तन हुआ तो भी कुछ वरिष्ठों को मंत्रिमंडल में जगह मिलना तय है। जैसे मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के साथ वरिष्ठ स्पीकर रहेंगे। मुख्यमंत्री के साथ दो वरिष्ठ उप मुख्यमंत्री कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने का लक्ष्य हासिल करेंगे। इसी तरह कुछ नए चेहरों संग कुछ वरिष्ठों की उपस्थिति दिखने वाली है। पर यदि नए चेहरों की संख्या मंत्रिमंडल में भी ज्यादा रही, तब पीढ़ीगत परिवर्तन पर पक्की मुहर लग जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीढ़ीगत परिवर्तन का दिल खोलकर स्वागत किया है। उन्होंने पहले दिन मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि सोलहवीं विधानसभा में अनुभवी एवं नई पीढ़ी का पर्याप्त समावेश है। विधानसभा में जहां एक तरफ पुराने और अनुभवी साथी भी विधायक चुनकर आए हैं, वहीं नई पीढ़ी का भी पर्याप्त समावेश है। पीढ़ी परिवर्तन एक स्वभाविक प्रक्रिया है। यह दोनों पक्षों में देखने मिल रही है। मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं तो नेता प्रतिपक्ष भी उमंग सिंघार हैं। पीढ़ी परिवर्तन को हमें बहुत सकारात्मक रूप से लेना चाहिए।मुझे गर्व भी है और संतोष भी है। तो सदन में लंबे अरसे बाद पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में मौजूद रहे शिवराज ने अभिव्यक्त किया कि मैंने लगभग 17 साल मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश की जनता की सेवा की है और विकास हो या जनकल्याण मुझे आत्मसंतोष और गर्व भी है कि अपनी जनता के लिए और प्रदेश के विकास के लिए मैं बहुत काम कर पाया। लेकिन स्वाभाविक रूप से राज्य के नागरिक के नाते मेरी यही इच्छा है कि मोहन यादव के नेतृत्व में मुझसे बेहतर काम हो। मैं सकारात्मक और सक्रिय सहयोग करूंगा। विधायक दल के नेता के नाते मोहन हमारे भी नेता हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश प्रगति और विकास की नई ऊंचाइयां छूएगा। तो बतौर स्पीकर नरेंद्र सिंह तोमर नई पीढ़ी को आगे बढ़ाने को दिल से तैयार हैं। निश्चित तौर से सोलहवीं विधानसभा पीढ़ीगत परिवर्तन का पर्याय बन आगामी दो दशकों के लिए मध्यप्रदेश विधानसभा को समृद्ध करेगी…।