वो सात मिनट..जब थम गया रीवा का नेताओं से सजा मंच!!

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वो सात मिनट..जब थम गया रीवा का नेताओं से सजा मंच!!

संजीव शर्मा

अरे,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को क्या हुआ,नेताओं से भरे मंच पर एकाएक वे अपनी कुर्सी छोड़कर कहां चल दिए!! सब सन्न थे, भौंचक्के और चिंतित भी क्योंकि प्रधानमंत्री का उठना मतलब पूरे मंच का उठना । स्वागत भाषण की औपचारिकताओ के बीच प्रधानमंत्री का उठकर मंच के एक कोने में इस तरह चले जाना,सभी को चौंका गया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यपाल मंगू भाई पटेल, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, स्पीकर गिरीश गौतम,तमाम मंत्री, सांसद और संचालक से लेकर मंच के सामने मौजूद मीडिया के कैमरे तक हैरान थे कि प्रधानमंत्री को अचानक क्या हुआ? कहीं कोई नाराजगी तो नहीं? आयोजक और अन्य अतिथि जब तक कुछ अंदाजा लगा पाते तब तक तो वह दृश्य कायम हो गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी और क़रीब 7 मिनट तो प्रधानमंत्री लोगों की हतप्रभ करते हुए मंच के उस कोने में अकेले खड़े गए और सभी नेता अपनी कुर्सियों पर।

मोदी तो मोदी हैं,उनका अंदाज़ निराला है और वे हमेशा ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसकी छाप लोगों के दिल में सालों साल कायम रहती है। रीवा के एसएएफ मैदान में भी यही हुआ और हजारों लोग इसके साक्षी बने। दरअसल, राष्ट्रीय पंचायती दिवस समारोह में शामिल होने यहां आए प्रधानमंत्री के स्वागत जैसी विभिन्न औपचारिकताओं के बाद जब विंध्य की बेटियों ने मुख्य मंच से कुछ ही दूरी पर बने स्टेज पर लोककला से शराबोर नृत्य नाटिका ‘धरती कहे पुकार के’ शुरू की तो उन कलाकारों के अभिनय,भाव भंगिमाओं, स्वर और संदेश से प्रधानमंत्री इतने भाव विभोर हो गए कि अपनी कुर्सी छोड़कर तसल्ली और करीब से देखने के लिए वे मंच के कोने तक चले आए । आमतौर पर विशिष्ट अतिथियों के लिए सामने स्क्रीन लगी होती है और यह स्टेज भी मुख्य मंच से ज्यादा दूर नहीं था।

बस,फिर क्या था…प्रधानमंत्री मंत्र मुग्ध होकर नृत्य नाटिका को देख रहे थे और मंच पर मौजूद अतिथि प्रधानमंत्री को। वहीं, प्रधानमंत्री की रुचि को देखकर कलाकार चौगुने उत्साह के साथ अभिनय में डूब रहे थे और सभागार में मौजूद हजारों लोग तालियों की गड़गड़ाहट से उत्साह बढ़ा रहे थे। अपनी इस प्रस्तुति में कलाकारों ने रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से धरती और पर्यावरण को हो रहे नुकसान का मार्मिक चित्रण किया। धरती बनी कलाकार के भाव इस दर्द और तकलीफ़ को खुलकर बयां कर रहे थे। धरती मां के कलेजे को छलनी कर रहे तत्वों के अलग अलग किरदार में सजे कलाकार भी अपनी भूमिका बखूबी निभा रहे थे।

करीब सात मिनट तक मंच ऐसे ही थमा रहा और फिर प्रस्तुति के समापन पर कलाकारों ने प्रधानमंत्री का इस स्नेह के लिए आभार जताया तो श्री मोदी ने भी ताली बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया। फिर, बाद में,अपने संबोधन में श्री मोदी ने इस प्रस्तुति का उल्लेख भी किया और लोगों से प्राकृतिक खेती को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि धरती हमारी मां है और इसे मारने का अधिकार हमे नहीं है । कुल मिलाकर प्रधानमंत्री के इस सहज अंदाज ने लगभग दो घंटे के कार्यक्रम में सात मिनट की इस गुमनाम सी प्रस्तुति को देशभर में ‘हाइलाइट’ कर दिया।

-संजीव शर्मा