Trishur: केरल की सांस्कृतिक राजधानी में 3 चुनावों से लगातार बढ़ रहा है भाजपा को जनसमर्थन, अंगद होंगे सुरेश गोपी

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Trishur: केरल की सांस्कृतिक राजधानी में 3 चुनावों से लगातार बढ़ रहा है भाजपा को जनसमर्थन, अंगद होंगे सुरेश गोपी

त्रिशूर से सुदेश गौड़ की ग्राउंड रिपोर्ट 

केरल के त्रिशूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में साल 2019 के आम चुनावों के दौरान बेहद ही रोमांचक राजनीतिक लड़ाई देखने को मिली थी जिसने केरल में भाजपा के सपनों में रंग भर दिए थे। अपने राजनीतिक महत्व और जीवंत संस्कृति के लिए जाना जाने वाला त्रिशूर हमेशा से केरल में राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बिंदु रहा है। इसको केरल की सांस्कृतिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। इस जिले को पहले त्रिचूर के नाम से जाना जाता था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसी जिले में स्थित गुरुवयूर मंदिर सिर्फ केरल ही नहीं बल्कि देश के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और समृद्ध इतिहास के कारण दुनिया भर से लोगों को आकर्षित करता है। त्रिशूर जिले में स्थित इस मंदिर को दक्षिण का द्वारका भी कहा जाता है। अयोध्या में भव्य, नव्य और दिव्य राम मंदिर में रामलला की 22 जनवरी की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 जनवरी को गुरुवयूर मंदिर में करीब दो घंटे बिताए थे। उन्होंने मंदिर परिसर में प्रार्थना की और उन्हें मंदिर प्रबंधन के लोगों और पुजारियों के साथ लंबी बातचीत भी की थी।

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केरल की सभी 20 लोकसभा सीटों पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को मतदान होना है। इस संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2019 में कुल मतदाताओं की संख्या 10,41,869 थी। जिनमें से कुल पुरुष मतदाता 4,88,619 और महिला मतदाता 5,51,694 थीं। 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 77.92% था। वामदलों के कब्जे वाले सात विधानसभा क्षेत्रों से गठित त्रिशूर संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने सुरेश गोपी की पिछली पर्फोरमेंस के ध्यान में रखते हुए अंगद की तरह पांव जमाने के लिए मैदान में उतारा है, कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण के बेटे के मुरलीधरन को प्रत्याशी बनाया है जबकि माकपा की ओर से वीएस सुनील कुमार मैदान में है। भाजपा की संभावित मजबूत स्थिति को देखते हुए कांग्रेस और भाकपा ने अपने प्रत्याशियों में बदलाव किया है।

कांग्रेस ने अपने मौजूदा सांसद प्रतापन की जगह मुरलीधरन को मैदान में उतारा है जबकि माकपा ने पिछली बार हारे हुए प्रत्याशी राजाजी मैथ्यू थॉमस को इस बार रिपीट नहीं किया है।उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री के करुणाकरण के बेटे के.मुरलीधरन की बहन पद्मजा पहले ही भाजपा में आ चुकी हैं।

 

*मुकाबला त्रिकोणीय*

 

2019 के चुनावों में, त्रिशूर में मुकाबला मुख्य रूप से तीन राजनीतिक पार्टियों के बीच देखने को मिला था यानी कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में। इस मुकाबले में भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोपी ने लगभग 3 लाख वोट हासिल कर केरल में भाजपा की प्रभावी उपस्थिति का अहसास करा दिया था। त्रिशूर लोकसभा सीट पर लगातार भाजपा का वोट बढ़ता जा रहा है। 2009 में भाजपा को 54,680 वोट मिले थे जो 2014 में बढ़कर 1,02,681 हो गए और 2019 में लगभग तीन गुना वृद्धि के साथ 2,93,822 मत प्राप्त हुए थे। 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस के टीएन प्रतापन त्रिशूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे।उन्हें कुल 4,15,089 वोट मिले थे, जो डाले गए वोटों का 39.83% हिस्सा था। चुनाव में दूसरे नंबर पर भाकपा के राजाजी मैथ्यू थॉमस थे, जिन्होंने 321,456 वोट हासिल किए थे। भाजपा के सुरेश गोपी ने 293,822 वोट हासिल करके सबको चौंका दिया था। इसके अलावा, नोटा के लिए 4,253 वोट थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के निखिल चंद्रशेखरन को सिर्फ 2,551 वोट ही मिले थे।

 

*हर चुनाव में बदलाव की लहर*

 

वहीं, 2014 के आम चुनाव में भाकपा के सीएन जयदेवन त्रिशूर लोकसभा क्षेत्र से जीते थे। जयदेवन ने 2014 चुनाव में कुल 3,89,209 वोट हासिल किए थे जबकि कांग्रेस प्रत्याशी केपी धनपालन को 3,50,982 मत मिले थे। भाजपा के केपी श्रीसन को 1,02,681 मत मिले थे। 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के पीसी चाको 3,85,297 मत प्राप्त करके विजयी रहे थे और भाकपा के सीएन जयदेवन 3,60,146 मत ही हासिल कर पाए थे। भाजपा की रीमा रघुनंदन ने 54,680 मत प्राप्त किए थे।

यदि साल 1996 से लेकर 2019 तक के चुनाव पर नजर डाले तो, हर चुनाव में सत्ता पलटती रही है। यानी, 1996 में भाकपा ने यहां से जीत दर्ज की थी, जिसके बाद 1999 में कांग्रेस जीती थी. फिर 2004 में भाकपा, 2009 में कांग्रेस, 2014 में भाकपा और फिर 2019 में कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी यानी हर चुनाव में सत्ता बदलती रहती है। सिर्फ 1952 से लेकर 1980 तक का समय था जब इस सीट पर लगातार भाकपा सत्ता पर काबिज रही।

 

*केरल की सांस्कृतिक राजधानी*

 

त्रिशूर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र न केवल चुनावी राजनीति में बल्कि सांस्कृतिक और कलात्मक क्षेत्र में भी बहुत महत्व रखता है।“केरल की सांस्कृतिक राजधानी” के रूप में जाना जाने वाला त्रिशूर अपनी विरासत और सांस्कृतिक दृश्य के लिए प्रसिद्ध है।यहां आयोजित सबसे प्रसिद्ध सांस्कृतिक कार्यक्रमों में से एक त्रिशूर पूरम है, जिसे अक्सर “सभी पूरम का पूरम” कहा जाता है।यह कार्यक्रम त्रिशूर और उसके आसपास के विभिन्न मंदिरों को एक साथ लाता है, जिसमें पारंपरिक रूप से सजे हुए हाथियों, पारंपरिक ताल वाद्य यंत्रों और आतिशबाजी का शानदार प्रदर्शन होता है। ये दुनिया भर से पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।त्रिशूर साहित्य में अपने योगदान के लिए भी जाना जाता है, इस क्षेत्र से कई प्रसिद्ध लेखक और कवि आते हैं। साहित्यिक उत्कृष्टता को मान्यता देने वाले वार्षिक केरल साहित्य अकादमी पुरस्कारों में अक्सर त्रिशूर से जुड़े लेखकों की भागीदारी देखी जाती है।

 

*250 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं सुरेश गोपी*

 

त्रिशूर से भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोपी ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1965 की फिल्म ओडायिल निन्नु में एक बच्चे के रूप में की थी। उन्होंने 1986 में एक वयस्क के रूप में अपनी शुरुआत की और तब से, उन्होंने 250 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। अपने कॉलेज के दिनों के दौरान, सुरेश गोपी माकपा की छात्र शाखा के एक सक्रिय सदस्य थे। बाद में अपने जीवन में, उन्होंने एलडीएफ और यूडीएफ दोनों उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। 29 अप्रैल 2016 को, सुरेश गोपी ने राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली। मई 2016 में, उन्हें सूचना प्रौद्योगिकी के लिए स्थायी समिति और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की सलाहकार समिति में सदस्य के रूप में सूचीबद्ध किया गया था । अक्टूबर 2016 में, सुरेश आधिकारिक तौर पर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। उन्होंने 2019 के भारतीय आम चुनाव में केरल में त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था और कांग्रेस उम्मीदवार टीएन प्रतापन से हार गए थे। मार्च 2024 में, उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए त्रिशूर निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के रूप में घोषित किया गया था । उन्होंने 2021 में हुए केरल विधानसभा चुनाव में भी भाग लिया था और कड़ी टक्कर देते हुए मात्र 3806 मतों से पराजित हो गए थे।

 

*केरल में भाजपा के एकमात्र विधायक ओ.राजगोपाल*

 

15 सितंबर 1929 को जन्में ओ.राजगोपाल केरल विधानसभा में अबतक के भाजपा के एकमात्र रहे हैं। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके इस भारतीय राजनीतिज्ञ ने 2016 के विधानसभा चुनाव में नेमोम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था। उस चुनाव में उन्होंने माकपा के वी शिवकुट्टी को पराजित कर इतिहास रच दिया था। वे भारतीय जनता पार्टी के पहले सदस्य और केरल विधान सभा में इसके फ्लोर लीडर रह चुके हैं। केरल से भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक ओ. राजगोपाल ने रक्षा, संसदीय मामले, शहरी विकास, कानून, न्याय, कंपनी मामले और रेलवे सहित विभिन्न मंत्री पद संभाले हैं। राजगोपाल 1992 से 2004 तक भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा में दो बार सांसद रहे। ओ. राजगोपाल केरल सरकार की याचिका एवं विधान सभा समिति के सदस्य भी थे । लोक कार्य, परिवहन और संचार समिति के राजगोपाल को भारत के 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है। यह पुरस्कार सार्वजनिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया था।