Tigers in bhopal-VIDEO वायरल: भोपाल में संस्कार वैली स्कूल के पास सड़क पर दिखा बाघ

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Tigers in bhopal-VIDEO वायरल: भोपाल में संस्कार वैली स्कूल के पास सड़क पर दिखा बाघ

Tigers in bhopal: राजधानी भोपाल में जंगलों की सीमाएं लांघ शहर में लगातार दिख रहे बाघ,टाइगर का वीडियो इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो मेंं सड़क पर घूम रहा जंगल का राजा टाइगर सड़क पर भी बेखौफ टलहता हुआ नजर आया. भोपाल में रविवार दोपहर ढाई बजे संस्कार वैली स्कूल के पास सड़क पर एक बाघ के दिखने से हड़कंप मच गया। बाघ करीब 5 मिनट तक सड़क पर नजर आया। इस दौरान 100 मीटर दूर टहल रहे एक कपल को एक कारोबारी ने अपनी गाड़ी में बिठाकर सुरक्षित निकाला। डीएफओ ने बताया कि यह इलाका टाइगर मूवमेंट वाला है, इसलिए लोगों को अकेले नहीं निकलना चाहिए।
यह घटना रविवार, 17 अगस्त 2025 की दोपहर करीब 2 बजे की है, जब संस्कार वैली स्कूल के पास कालियासोत इलाके में एक बाघ सड़क पर टहलता नजर आया। इस दृश्य ने न केवल स्थानीय लोगों को दहशत में डाल दिया, बल्कि यह भोपाल के अनोखे शहरी-जंगली मेल का एक और सबूत बन गया। वन विभाग ने इस घटना के बाद इलाके में गश्त बढ़ा दी है और लोगों से सावधानी बरतने की अपील की है।

यह रोमांचक और डरावनी घटना भोपाल के कालियासोत क्षेत्र में हुई, जो रातापानी वन्यजीव अभयारण्य के करीब है। रविवार दोपहर एक युवक अपनी कार की टेस्ट ड्राइव कर रहा था, जब उसने सड़क पर एक बाघ को टहलते देखा। बाघ अपनी पूरी शान के साथ सड़क पर खड़ा था और कुछ देर तक आसपास का मुआयना करता रहा। युवक ने तुरंत अपने मोबाइल से इस दृश्य का 28 सेकंड का वीडियो बनाया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।

 

वीडियो में बाघ सड़क पर शांतिपूर्वक चलता दिख रहा है, फिर धीरे-धीरे झाड़ियों की ओर बढ़ जाता है। इस दौरान, सड़क पर करीब 100 मीटर दूर एक कपल भी टहल रहा था, जिसे युवक ने सावधानी से सुरक्षित निकाल लिया। इस घटना ने भोपाल की उस अनोखी विशेषता को फिर से उजागर किया, जहाँ शहरी और जंगली जीवन एक साथ साँस लेते हैं।

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भोपाल को दुनिया का एकमात्र ऐसा शहर माना जाता है, जहाँ शहरी सीमा के अंदर जंगली बाघ स्वतंत्र रूप से विचरण करते हैं। रातापानी अभयारण्य के आसपास के जंगल भोपाल की सीमाओं से सटे हैं, और यहाँ करीब 25 बाघों की मौजूदगी की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 5 बाघ नियमित रूप से शहर के बाहरी इलाकों में देखे जाते हैं, खासकर कालियासोत और केरवा क्षेत्र में। इस घटना से पहले भी भोपाल में बाघों की आवाजाही की कई खबरें सामने आ चुकी हैं। जनवरी 2025 में कालियासोत क्षेत्र में 5 बाघों, जिनमें शावक भी शामिल थे, को दिन के समय सड़कों पर देखा गया था, जिससे स्थानीय लोग दहशत में आ गए थे। इसी तरह, अक्टूबर 2022 में मॉलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MANIT) के परिसर में एक बाघ देखा गया था, जिसके बाद छात्रों को हॉस्टल में रहने की सलाह दी गई थी।
बाघ के सड़क पर दिखने की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम तुरंत हरकत में आई।

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भोपाल के डीएफओ लोकप्रिया भारती ने बताया, “हमें संस्कार वैली स्कूल के पास बाघ के दिखने की सूचना मिली थी। हमने तुरंत इलाके में गश्त बढ़ा दी है और कैमरा ट्रैप्स लगाए हैं। लोगों से अपील है कि वे कालियासोत और केरवा जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सावधानी बरतें।” वन विभाग ने यह भी कहा कि बाघ आमतौर पर रात 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सक्रिय रहते हैं और इंसानों से दूरी बनाए रखते हैं। हालांकि, दिन में बाघ का सड़क पर दिखना चिंता का विषय है। विभाग ने स्थानीय लोगों को सलाह दी है कि वे सुबह और शाम के समय इन क्षेत्रों में अकेले न जाएँ और बच्चों को जंगल के पास खेलने से रोकें। स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया बाघ के सड़क पर दिखने से कालियासोत और आसपास के इलाकों में दहशत का माहौल है। ।” दूसरी ओर, कुछ लोग इस अनोखे सह-अस्तित्व की तारीफ करते हैं।

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भविष्य की चुनौतियां भोपाल में बाघों की मौजूदगी शहर की एक अनोखी विशेषता है, लेकिन यह एक गंभीर चुनौती भी है। शहरीकरण, जंगल कटाई, और बाघों के प्राकृतिक आवास में कमी के कारण ये जानवर शहर की सीमाओं में घुस रहे हैं। वन विभाग और प्रशासन के सामने सवाल है कि इस अनोखे सह-अस्तित्व को कैसे बनाए रखा जाए, ताकि न तो बाघों को नुकसान हो और न ही इंसानों की सुरक्षा खतरे में पड़े। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में कहा था, “भोपाल में इंसान दिन में सड़कों का इस्तेमाल करते हैं, और रात में बाघ। यह हमारा अनोखा सह-अस्तित्व है।” लेकिन इस घटना ने सवाल उठाया है कि क्या यह सह-अस्तित्व अब खतरे में है?

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गौरतलब है कलियासोत डैम के आसपास आजकल टाइगर का मूवमेंट बढ़ गया है. भोपाल की सड़क पर घूम रहे टाइगर शावक बताया जा रहा है, लेकिन अभी तक उसकी पहचान नहीं हो पाई है. वायरल वीडियो में दिखे शावक को लेकर वन विभाग अलर्ट पर है. वन विभाग के मुताबिक केरवा से कलियासोत तक कई टाइगर-शावकों की हलचल देखी जा रही है.